2:03 PM : COVID-19 UPDATES:

2:03 PM : COVID-19 UPDATES:

1:55 PM : COVID-19 UPDATES:

1:55 PM : COVID-19 UPDATES:

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि त्योहार और जाड़े के मौसम में अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। ताकि कोरोना के संक्रमण को रोका जा सके। राज्य इस बात को सुनिश्चित करें कि लोग कोविड संबंधी व्यवहार अपनाएं। मास्क लगाएं और दूरी का पालन करें।

इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि देश में रिकवरी रेट बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सभी ने मिलकर इस महामारी से लड़ाई लड़ी।

12:05 PM : 30 नवंबर तक पटाखों पर प्रतिबंध

12:05 PM : 30 नवंबर तक पटाखों पर प्रतिबंध

जिन शहरों में एयर क्वालिटी poor या poor से खराब है वहां पूरे तरीके से पटाखे बैन होंगे। जिन इलाकों में एयर क्वालिटी मॉडरेट है या मॉडरेट से अच्छी है वहां सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुसार समय निर्धारित है।

दिवाली और गुरु पर्व पर रात 8 से 10 बजे तक पटाखे जलाए जाएंगे। छठ पर सुबह 6 बजे से 8 बजे तक पटाखे जलाएं जा सकते हैं। न्यू ईयर और क्रिसमस पर रात 11:55 से रात 12.30 बजे तक पटाखे जलाए जाएंगे।

8:12 AM : भारतीय अर्थव्यवस्था को लगे नए पंख

भारतीय अर्थव्यवस्था को लगे नए पंख

जब कोविड-19 का संक्रमण फैलना शुरू हुआ, तब मजबूरन लॉकडाउन लगाना पड़ा, जिस वजह से तमाम फैक्‍ट्र‍ियों के चक्के रुक गए, कई बड़े प्रतिष्‍ठानों का व्यापार थम गया, जिसका असर लोगों के रोजगार पर भी देखने को मिला। ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था को लेकर गतिरोध की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। सरकार ने इस गतिरोध को दूर करने के लिए समय से पूरे प्रयास किए। समय पर उठाए गए कदम आज रंग लाने लगे हैं। जी हां भारत की अर्थव्यवस्था को नए पंख लग चुके हैं।

शुरुात करते हैं पीएमजीकेवाई से। इसके तहत पौने दो लाख करोड़ रुपये का पैकेज दिया गया। पैकेज का उद्देश्य था कि प्रभावित लोगों को हर प्रकार से मदद पहुंचाना। छोटे और मंझोले कारोबारी, महिलाएं और गैर संस्थागत क्षेत्रों में काम करने वाले कारीगरों को विशेष रूप से मदद पहुंचायी गयी। इस बात का प्रयास किया कि लोगों को लॉकडाउन के कारण खाद्यान्न की कमी न पड़ने पाए। पीएमजीकेवाई के तहत मुफ्त राशन वितरण की व्यवस्था पूरे देश में एकसाथ की गई। सरकार का यह बहुत कल्याणकारी कदम था जिसका फायदा लोगों को मिला।

20 लाख करोड़ रुपए का आर्थिक पैकेज

अनलॉक की प्रक्रिया जैसे-जैसे शुरू हुयी, अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार ने फिर एक बड़ा कदम उठाया और 20 लाख करोड़ रुपए का एक बड़ा आर्थिक पैकेज दिया। इस पैकेज को मोटे तौर पर तीन हिस्सों में बांटकर देखा जा सकता है। पहला फौरी सहायता के रूप में ऐसे लोगों को मदद पहुंचायी गयी जिन्हें पैसों की जरूरत थी। इसके तहत खाद्यान्न वितरण की व्यवस्था को और आर्थिक मदद दी गई। छोटे और मंझोले कारोबारियों को आसान शर्तों पर कर्ज की सुविधा दी गयी। बड़े उद्योगों के लिए विशेष रूप से मदद दी गयी।

खास बात यह है कि समाज के हर तबके के बीच, समावेशी विकास का प्रयास किया गया। किसानों के लिए पैकेज दिया गया। यही नहीं तीन विशेष कानूनों के जरिए किसानों को परंपरागत खेती की जगह आधुनिक खेती के उपयुक्त बनाया गया। अतिरिक्त रूप से किसानों की आय बढ़ाने वाले कदम उठाए गए। पीएम किसान निधि के तहत किसानों को आर्थिक मदद पहुंचायी गयी।

2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का संकल्प

सरकार ने इस बात का प्रयास किया कि प्रधानमंत्री ने 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का जो संकल्प लिया है वह समय से पूरा हो। यह एक बहुत बड़ी चुनौती थी लेकिन इन कानूनों के बन जाने के बाद कृषि के क्षेत्र में विकास का नया मार्ग प्रशस्त हुआ है। सबसे बड़ी चीज यह रही है कि वन नेशन वन मार्केट एक देश और एक बाजार की नीति को सरकार ने स्वीकार किया और उसे लागू किया।

एक देश और एक बाजार से किसान अपना सामान देश में कहीं भी बेच सकता है। किसानों को ई-सुविधा से जोड़ा गया। किसान घर बैठे देश की विभिन्न मंडियों मे अपनी शर्तो पर सौदा करने में सक्षम हुआ है।

रेहड़ी पटरी दुकानदारों के लिए पीएम स्वनिधि योजना

सरकार ने छोटे और मंझोले कारोबारियों की समस्याओं को देखते हुए आसान शर्तों पर उन्हें कर्ज की सुविधा मुहैया कराई। रेहड़ी पटरी दुकानदारों के लिए पीएम स्वनिधि योजना शुरू की गई, जिसमें उन्हें आसान शर्तों पर कर्ज मुहैया कराया गया और इसमें कैशबैक की भी सुविधा दी गई। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में इस योजना के तहत काफी काम हुआ है।

सरकार ने छोटे और मंझोले कारोबारियों को उनका कारोबार आसान करने के संबंध में भी मदद की। बड़े उद्योगों को भी सरकार ने मदद दी और उसमें एफडीआई को महत्व दिया गया ताकि विदेशी निवेश से देश के बड़े उद्योगों को नई उड़ान मिल सके।

जीएसटी संग्रह एक लाख पाँच हजार करोड़

एक एतिहासिक पहल के तहत सरकार ने जीएसटी वस्तु और सेवा कर लागू किया था। भारतीय अर्थव्यवस्था में जीएसटी ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कौटिल्य ने अपने “अर्थशास्त्र” में लिखा था कि राजा को मधुमक्खी की तरह कर संग्रह करना चाहिए। जैसे मधुमक्खी फूलों से पराग लेती है, लेकिन फूलों को कष्ट नहीं होता, वैसे ही राजा को चाहिए कि वह लोगों से इस प्रकार से कर ले कि लोगों को पता भी ना चले और राज्य का खजाना भी भर जाए।

अक्टूबर 2020 में वस्तु और सेवा कर राजस्व संग्रह एक लाख पाँच हजार करोड़ रुपये हुआ है। इसमें से सीजीएसटी 19193 करोड़ रुपए, एसजीएसटी 25411 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 52540 करोड़ रुपये तथा सेस 8011करोड़ रुपये है। अक्टूबर माह के लिए 31 अक्टूबर 2020 तक दाखिल किए गए जीएसटीआर 3बी रिटर्न की कुल संख्या 80 लाख है।

सरकार ने नियमित निपटान के रूप में आईजीएसटी से सीजीएसटी के लिए 25091करोड़ रुपये और एसजीएसटी के लिए 19427 करोड़ रुपये का निपटान किया है। अक्टूबर 2020 में नियमित निपटान के बाद केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा अर्जित राजस्व के लिए 44285 करोड़ रुपए और एसजीएसटी के लिए 44839करोड़ रुपये है। इस महीने प्राप्त जीएसटी राजस्व पिछले वर्ष इसी महीने में प्राप्त राजस्व से 10 प्रतिशत अधिक है। यह आने वाले समय में निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में इससे मदद मिलेगी।

जीएसटी राजस्व में लगातार वृद्धि

भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी डॉ. श्रीकांत श्रीवास्तव की मानें तो जीएसटी का बेहतर संग्रह इस बात को साबित करता है कि सरकार ने जीएसटी का जो ढांचा बना रखा है वह इतना उपयुक्त है कि इसके दायरे में अधिक से अधिक लोगों को शामिल किया जा सका है।

इसी महीने यानी अक्टूबर के दौरान पिछले वर्ष के इसी महीने के दौरान इन स्रोतों से प्राप्त राजस्व की तुलना, माल के आयात से राजस्व 9 प्रतिशत अधिक था और घरेलू लेनदेन सेवाओं के आयात से राजस्व में 11 प्रतिशत अधिक था। जीएसटी राजस्व में वृद्धि जुलाई-अगस्त सितंबर 2020 की तुलना में क्रमश ऋणनात्मक 14, 8 और 5 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

इसके अलावा सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने अपने जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर की कमी को पूरा करने के लिए राज्यों का विशेष विंडो के तहत 16 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों को दूसरी किस्त के रूप में छह हजार करोड़ रुपये की राशि जारी की। यह राशि चार दशमलव चार-दो प्रतिशत भारित औसत ब्याज पर जुटाई गयी थी। सरकार आगे भी राज्यों को ऐसी ही मदद के कदम उठा सकती है।

बाजार को गति देने के लिए मांग बढ़ाना आवश्‍यक

डॉ. श्रीकांत श्रीवास्तव का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती है वह है बाजार को गति देना। बाजार को गति देने के लिए आवश्यक है कि मांग बढ़ाई जाए। मांग बढ़ाने के लिए पहली शर्त है कि लोगों के हाथों में पैसा दिया जाए। सरकार इस बात का पूरा प्रयास कर रही है कि उपभोक्ताओं के हाथों में पैसा आए ताकि वे मांग उत्पन्न कर सकें।

बाजार में मांग उत्पन्न हो। जब बाजार में मांग उत्पन्न होगी तब आपूर्ति चेन मजबूत होगी। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में आपूर्ति और बहाल होगी। इस समय रोजगार देना काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। इसलिए सरकार का सारा प्रयास रोजगार पर है। प्रवासी मजदूरों की स्किल मैपिंग, उनका पुनर्वास इसी दिशा में उठाए गए कदम हैं। यह मुद्रास्फीति जनित मंदी से भी अर्थव्यवस्था को उबारने में मदद करेगा। लोगों की आय में इजाफा होगा और मांग बढ़ेगी।

(ह‍िन्दुस्थान समाचार)

8:02 AM : #Vocal For Local

7:44 AM : विदेशी झालरों को मात देंगे स्वदेशी दीपक

विदेशी झालरों को मात देंगे स्वदेशी दीपक

देश में बीते दिनों एलएसी सीमा पर चीन की घुसपैठ को भारतीय जवानों द्वारा नाकाम करते हुए तोड़ जवाब दिया था। चीनी सेना की इस कारगुजारी के चलते उसकी देश और दुनिया में काफी किरकिरी हुई थी। परिणाम स्वरूप देश में चीनी उत्पादों के बहिष्कार का दौर शुरू हो गया था। इस दीपावली पर भी उसका असर काफी देखने को मिल रहा है।

उत्तर प्रदेश के कोने-कोने में भी चीनी उत्पादों का बहिष्कार साफ तौर पर देखने को मिल रहा है। कानपुर देहात जनपद के लोगों ने भी चाइना की झालरों की जगह देशी दीपकों को इस बार दीपावली में जलाने का मन बना लिया। यही कारण है कि कुम्हारों ने दीपावली में उपयोग होने वाले मिट्टी के दीपकों व बर्तनों का उत्पाद बढ़ा दिया है।

चीनी उत्पादों से परहेज

दीपावली का पर्व आते ही बाजारों में बीते कुछ वर्षों से चाइना की झालरें अपनी जगमगाहट बिखरने लगती थीं लेकिन इस बार लोगों के चीनी उत्पादों का बहिष्कार करते हुए स्वदेशी चीजों को अपनाने का मन बना लिया है। चाइना की झालरों की जगह देशी दीपकों की ओर लोगों का आकर्षण अब स्वदेशी युग को ओर आगे बढ़ाता दिख रहा है।

जून में गलवान घाटी में चीन की सेना भारत में 423 मीटर जब से अंदर आई है देश के हर कोने में चीन का और उसके उत्पादों का बहिष्कार हो रहा है। जनपद के कुम्हारों ने इस वक़्त चीनी उत्पादों को पछाड़ने के लिए कमर कस ली है और अलग-अलग डिजाइन के दीपक बनाने शुरू कर दिए हैं।

देश फिर से स्वदेशी युग की ओर

रसूलाबाद के कुम्हार मैकू ने बताया कि इस बार लोगों ने स्वदेशी दीपकों को जलाने का मन बनाया है। दीपावली में अभी समय भी बाकी है इसके पहले ही उनके पास कई ऑर्डर दीपकों के आ चुके हैं। वहीं भोगनीपुर के कुम्हार जिनकी कई पीढियां यही काम कर रही हैं।

उनका मानना है कि दीपकों की ऐसी मांग काफी दिनों बाद आई है। जब से बाजारों में चाइना की झालरों ने अपना कब्जा बनाया था तब से हम लोगों का काम न कर बराबर हो गया था। बहुत से लोगों ने कुम्हारों का काम छोड़कर अन्य काम करना शुरू कर दिया था। इस वर्ष जब से देश के लोगों ने चीनी उत्पादों का बहिष्कार किया है तभी से हमारे व्यापार में बढ़ोतरी हुई है। आज लगता है अपना देश फिर से स्वदेशी युग की ओर बढ़ रहा है।

जनपद के बाहर भी जा रहे ऑर्डर

वैसे तो सभी जनपदों में कुम्हार खुद अपने ही जिले के लोगों की मिट्टी के सामान के जरूरत को पूरा कर देते हैं। इस बार बढ़ती मांग के चलते जनपद के कुम्हार अन्य आसपास के जनपदों जैसे कानपुर नगर, जालौन, औरैया में भी इन सामानों को भेजने का काम कर रहे हैं।

स्वरोजगार की ओर बढ़ते कदम

सरकार के स्वरोजगार की बात लोगों द्वारा पूरा करते हुए इस दीपावली के साफ देखने को मिल रहा है। कुम्हार सरकार की इस योजना को साकार करते नजर आ रहे हैं। जनपद के कुम्हारों ने खुद से मिट्टी के बर्तन बनाकर उनको बेचकर जो कमाई का साधन बनाया है उससे साफ हो गया है कि देश में लोग इस योजना को अपनाते दिख रहे हैं और धरातल पर यह योजना काम कर रही है।

(हिन्दुस्थान समाचार)

7:36 AM : Ready for a Big day

7:31 AM : Coronavirus task force in United States

8 November 2020

8:31 AM : Only the United States

8:29 AM : Kamala Harris thanked supporters

8:01 AM : India's Fatality Rate is 1.48% now

7:43 AM : Telemedicine service ‘eSanjeevani’

7:31 AM : यूं लौटे कुम्हारों के अच्‍छे दिन

यूं लौटे कुम्हारों के अच्‍छे दिन, 4-5 साल में बढ़ी माल की खपत

(828 words)

दीयों की रोशनी के बिना दिवाली अधूरी है। आधुनिक चकाचौंध में भी मिट्टी के दीये जलाने की परंपरा बरकरार है। पूजा-पाठ से लेकर लोग घरों को सजाने में भी मिट्टी के दीये का इस्तेमाल अधिक करते हैं। ऐसे में कुम्हारों की व्यस्तता बढ़ गई है।

आधुनिकता की दौड़ व व्यवसायिक युग में एक तरफ जहां बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल वाले कागज के थैलों तक का पैसा वसूल करने में परहेज नहीं करते हैं। वही गांव-गांव में रहने वाले कुम्हार आज भी घरों तक पहुंचाने वाले दियों के साथ बच्चों के लिए मिट्टी के खिलौने ले जाना नहीं भूलते। खास बात यह है कि तमाम कोशिशों के बावजूद बच्चों से खिलौने के पैसे लेना मुनासिब नहीं समझते। इसके साथ ही घरों में दिए जाने वाले दीयों के बदले नकद लेनदेन की अपेक्षा अनाज लेने की परंपरा को कायम रखे हुए हैं।

पीएम मोदी भी मिट्टी के दीयों से दीपावली मनाने की कर चुके अपील

गौरतलब हो कि पिछले एक दशक से लोककृतियों, परंपराओं, तीज त्यौहार में बड़ी तेजी के साथ आधुनिकता का रंग चढ़ा है। ऐसे में दीपोत्सव का त्योहार दीपावली भी इससे अछूता नहीं रह गया। परंपरागत मिट्टी के दीयों का स्थान चाइनीज झालर बत्तियों ने ले लिया। वही एक दूसरे से मिलने और रीत प्रीत की परंपराओं की जगह लोग अपने में सिमटकर ही रहने लगे। लेकिन ऐसे में हाल के कुछ वर्षों से देश के प्रधानमंत्री और तमाम संगठनों द्वारा मिट्टी के दीयों से दीपावली मनाने की अपील रंग लाती नजर आती है। इससे एक तरफ जहां अपनी पुरातन संस्कृति से नई पीढ़ी का जुड़ाव होता नजर आएगा, वही गांव गिरांव में रहने वाले हमारे समाज के विभिन्न समुदायों के भाई बंधुओं को रोजगार भी स्थापित होने लगा।

पिछले 4-5 वर्षों में मिट्टी के दीयों की फिर बढ़ी मांग

एक आंकड़े के अनुसार पिछले चार-पांच वर्षों में मिट्टी के दीयों की मांग काफी बढ़ गई। लोगों द्वारा पुनः चाइनीज झालर बत्ती के स्थान पर मिट्टी के दीयों से घर सजाने की परंपरा शुरू हो गई। स्थिति यह है कि गांवों में अब पुनः पुरातन परंपरा की सुखद तस्वीरें नजर आने लगी, जिसके तहत मिट्टी के बर्तन व दिए बनाने वाले कुम्हार परिवार महीनों पूर्व से दीपावली की तैयारी करते नजर आए। दीपावली के हफ्तों पूर्व से कुम्हार दंपतियों द्वारा लोगों के घरों तक मिट्टी के दीए पहुंचाने का कार्य शुरू हो गया। खास बात यह है कि एक तरफ जहां लोग नकद लेनदेन के साथ ही डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देते नजर आ रहे हैं वहीं कुम्हार दंपतियों द्वारा आज भी पारंपरिक रूप से नकदी के स्थान पर अनाज की ही मांग की जाती रही।

कुम्हार कलाकारी से जुड़ी लोक परंपरा आज भी जारी

लोक परंपराओं की बात करें तो पूर्व में दीपावली के समय बच्चों के खिलौने के रूप में मिट्टी के घंटी और मिट्टी के चकिया मुफ्त मिला करते थे जिन्हें कुम्हारिन काकी द्वारा आज भी उपलब्ध कराए जाने की परंपरा कायम रखी गई है। इस संबंध में घरों तक दिया पहुंचाने आई लक्ष्मीना काकी ने कहाकि हाल के कुछ वर्षों से लगातार दीयों की मांग ने हमारे परंपरागत व्यवसाय में संजीवनी का काम किया है।

स्थिति यह है कि अब हम बच्चों को लेकर चाक के सहारे दिए बनाने का काम करते हैं। हालांकि कुम्हार को गड्ढों से पर्याप्त मात्रा में मिट्टी की उपलब्धता के लिए थोड़ी बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं क्षेत्र के ही शिवपूजन प्रजापति ने कहाकि गांव के घर हमारे लिए खेती के समान थे जहां हम चैत रामनवमी के समय मिट्टी के बर्तन व दीपावली के समय दीए, मूर्ति व मिट्टी के खिलौने देकर अनाजों की वसूली किया करते थे। जिससे हमारे साल भर का खाद्यान्न का काम चल जाता था। ऐसे में दोबारा मिट्टी के दीयों का चलन बढ़ने से हमारा व्यवसाय चल पड़ा है।

प्लास्टिक पर प्रतिबंध से लौटे कुम्हार कलाकारी के दिन

मिट्टी के खिलौने बर्तन बनाने वाले हरिद्वार प्रजापति ने कहा कि लॉकडाउन के चलते रामनवमी पर मिट्टी के बर्तनों की आपूर्ति नहीं हो सकी। वहीं साल भर तीज त्यौहार लगभग न के बराबर होने से मिट्टी के बर्तनों की मांग काफी कम रही है। लेकिन सरकार द्वारा प्लास्टिक पर लगाए गए पूर्ण प्रतिबंध से अब पुनः शादी विवाह के अवसरों पर कुल्हड़ की मांग होने लगी जिससे कुम्हार कलाकारी के दिन फिर से उबरने के आसार नजर आने लगे हैं।

मिट्टी की उपलब्धता न होना बड़ी समस्या

परंपरागत व्यवसाय का कार्य कर रहे दुखन्ति प्रजापति ने कहा कि पिछले दो-तीन वर्षों से दीपावली के समय मिट्टी के दीयों की लगातार मांग बढ़ी है। हालांकी मिट्टी की उपलब्धता न हो सकने से काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। गांव में कुम्हार कलाकारी के लिए आरक्षित कुम्हार गड्ढों को अतिक्रमण कर लिया गया है। या तो जरूरत के हिसाब से चिकनी मिट्टी की उपलब्धता नहीं हो पाती। जिससे ₹1200 से ₹1500 प्रति ट्राली के हिसाब से चिकनी मिट्टी की खरीद करनी पड़ती है। फिलहाल मिट्टी के बर्तनों व दियों की मांग बढ़ने से परंपरागत व्यवसाय पुनर्जीवित होने लगा है।हिन्दुस्थान समाचार

7:03 AM : Congratulations Joe Biden

Heartiest congratulations @KamalaHarris! Your success is pathbreaking, and a matter of immense pride not just for your chittis, but also for all Indian-Americans. I am confident that the vibrant India-US ties will get even stronger with your support and leadership.

7 November 2020

4:19 PM : e-auction

3:51 PM : Sriharikota

3:44 PM : Satellite launched

3:10 PM : सेहत के लिये कितना जरूरी है शारीरिक श्रम

सेहत के लिये कितना जरूरी है शारीरिक श्रम

शारीरिक श्रम में कमी और दिन भर बैठे रहना कई तरह की बीमारियों को न्योता देता है। आजकल की अनियंत्रित जीवनशैली स्वास्थ्य पर आने वाले खतरे को बढ़ा रही है। शारीरिक श्रम में कमी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है और कई समस्याओं का कारण बनती है।

सफदरजंग अस्पताल के डॉ. चेतन चेन्नावीरा बताते हैं कि आज का समय ऐसा है कि ज्यादातर बैठे-बैठे काम कर रहे हैं। इस वजह से मोटापा होना आम बात है, इसके अलावा शारीरिक श्रम न होने से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। जोड़ों पर भी प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा डायबिटीज़, बीपी, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी संभावना को कम करने के लिये जरूरी है कि व्यायाम, टहलना, नृत्य करना, शारीरिक खेल खेल सकते हैं यानी दिन में करीब 20 मिनट तक शारीरिक रूप से काम करना है।

स्वस्थ रहने के लिये जरूरी

> कैल्शियम और विटामिन-डी की कमी न होने दें

> विटामिन-डी का मुख्य स्रोत सूर्य की किरणें हैं इसलिए थोड़ी देर धूप में बैठे

> प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ पर्याप्त मात्रा में लें

> दूध और दूध से बने पदार्थ लें

>पर्याप्त मात्रा में पानी पियें

नियमित व्यायाम करना और पौष्टिक आहार लेना अच्छी सेहत के दो मुख्य कारक है। अगर नियमित रूप से व्यायाम न किया जाये या लंबे समय तक शारीरिक श्रम में कमी हो, तो इससे चय-उपचय प्रक्रिया प्रभावित होती है। इसलिए आवश्यक है कि अपनी व्यस्त दिनचर्या में से प्रतिदिन शारीरिक व्यायाम को शामिल करें। सक्रिय जीवन शैली अपनायें और साथ ही ये ध्यान रखें कि जो आहार ले रहे हैं कितना पौष्टिक है।

3:49 PM : Ro-Pax terminal at Hazira

2:23 PM : मालाबार-20

मालाबार-20: उफनती लहरों में जहाजों ने ईंधन भरने का किया अभ्यास

बंगाल की खाड़ी में 03 नवम्बर से क्वाड (QUAD)देश-भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाओं के बीच चल रहे मालाबार नौसैन्य अभ्यास का 24वां संस्करण शुक्रवार को खत्म हो गया। तीन दिनों में क्वाड समूह के चारों देशों की नौसेनाओं ने समुद्री युद्धाभ्यास के साथ ही जहाजों ने समुद्र में ईंधन भरने का अभ्यास किया।

चारों देशों ने युद्धाभ्यास में दिखाया दम-खम

भारतीय नौसेना के प्रवक्ता ने बताया कि इस अभ्यास में लाइव हथियार फायरिंग, सतह, वायु-रोधी और पनडुब्बी रोधी युद्ध अभ्यास, संयुक्त युद्धाभ्यास और सामरिक प्रक्रियाओं को देखा गया। इस दौरान चारों देशों की नौसेनाओं ने समुद्री युद्धाभ्यास किया। अभ्यास में भारतीय नौसेना (आईएन), यूनाइटेड स्टेट्स नेवी (यूएसएन), जापान मैरिटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स (जेएमएसडीएफ) और रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी (आरएएन) के पांच डिस्ट्रॉयर/फ्रिगेट, एक फ्लीट सपोर्ट शिप, एक ऑफशोर पैट्रोल वेसल (ओपीवी) के साथ-साथ लंबी दूरी के समुद्री गश्ती विमान, उन्नत जेट ट्रेनर, इंटीग्रल हेलिकॉप्टर और एक पनडुब्बी की भागीदारी देखी गई। अभ्यास के लिए समुद्र में एंटी सबमरीन वारफेयर ऑपरेशंस, क्रॉस डेक लैंडिंग और सीमनशिप युद्धाभ्यास करने वाले जहाज उतरे।

नौसैन्य अभ्यास का दूसरा चरण 20 नवम्बर से

अभ्यास के दूसरे दिन भारतीय नौसेना के जहाज रणविजय, शिवालिक, शक्ति, सुकन्या, और पनडुब्बी सिंधुराज ने पनडुब्बी रोधी युद्ध संचालन और यूएसएस जॉन एस मैक्केन, एचएमएएस बैलेरट और जेएमएसडीएफ शिप जेएस ओनामी के साथ नौसेना युद्धाभ्यास किया, ताकि इंटर ऑपरेबिलिटी को बढ़ाया जा सके और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा किया जा सके।

भारतीय नौसेना का प्रतिनिधित्व रियर फ्लीट कमांडिंग ईस्टर्न फ्लीट के फ्लैग ऑफिसर रियर एडमिरल संजय वात्सयन ने किया। इस दौरान भारतीय नौसेना के फ्लीट सपोर्ट शिप आईएनएस शक्ति ने समुद्र में ईंधन भरने का अभ्यास किया। अब मालाबार नौसैन्य अभ्यास का दूसरा चरण 20 नवम्बर से अरब सागर में आयोजित किया जाना है।

2:19 PM : COVID -19

12:18 PM : Hogenakkal Waterfalls

12:20 PM : Hazira Ghogha RoPax

11:10 AM : 51st Annual Convocation Ceremony of IIT Delhi

11:10 AM : 51st Annual Convocation Ceremony of IIT Delhi

10:55 AM : National Testing Agency

10:23 AM : 5 Years Of OROP

6 November 2020

6:22 PM : रो-पैक्स टर्मिनल

गुजरात के हजीरा में रो-पैक्स टर्मिनल का शुभारंभ करेंगे पीएम

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 8 नवंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात के हजीरा में रो-पैक्स टर्मिनल का शुभारम्भ करेंगे और हजीरा एवं घोघा के बीच रो-पैक्स सेवा को हरी झंडी दिखाएंगे। यह जलमार्गों के उपयोग और उन्हें देश के आर्थिक विकास के साथ एकीकृत करने के प्रधानमंत्री के विजन की दिशा में एक अहम कदम है। प्रधानमंत्री इस कार्यक्रम के दौरान इस सेवा का उपयोग करने वाले स्थानीय लोगों के साथ संवाद भी करेंगे। इस अवसर पर पोत परिवहन राज्य मंत्री और गुजरात के मुख्यमंत्री भी उपस्थित रहेंगे।

25 करोड़ रुपये की आई लागत

हजीरा में शुरू किए जा रहे रो-पैक्स टर्मिनल की 100 मीटर लंबाई और 40 मीटर चौड़ाई है, जिस पर अनुमानित रूप से 25 करोड़ रुपये की लागत आई है। इस टर्मिनल में प्रशासनिक कार्यालय इमारत, पार्किंग क्षेत्र, सबस्टेशन और वाटर टॉवर आदि कई सुविधाएं हैं। रो-पैक्स फेरी वीसल ‘वोयेज सिम्फनी’ डीडब्ल्यूटी 2500-2700 एमटी, 12000 से 15000 जीटी विस्थापन के साथ एक तीन मंजिला जहाज है।

370 से घटकर 90 किमी रह जाएगी घोघा-हजीरा की दूरी

इसकी मुख्य डेक की भार क्षमता 30 ट्रक (प्रत्येक 50 एमटी), ऊपरी डेक की 100 यात्री कार और यात्री डेक की क्षमता 500 यात्रियों व 34 क्रू एवं आतिथ्य सेवा कर्मचारियों की है। हजीरा-घोघा रो-पैक्स फेरी सेवा के कई फायदे होंगे। यह दक्षिणी गुजरात और सौराष्ट्र क्षेत्र के द्वार के रूप में काम करेगा। इससे घोघा और हजीरा के बीच की दूरी 370 किमी से घटकर 90 किमी रह जाएगी।

प्रति दिन 3 राउंड लगाएगी फेरी सेवा

इसके अलावा कार्गो ढुलाई की अवधि 10-12 घंटे से घटकर लगभग 4 घंटे होने के परिणामस्वरूप ईंधन (लगभग 9,000 लीटर प्रति दिन) की भारी बचत होगी और वाहनों की रख-रखाव की लागत में खासी कमी आएगी।

फेरी सेवा हजीरा-घोघा मार्ग पर प्रति दिन 3 राउंड ट्रिप के माध्यम से सालाना लगभग 5 लाख यात्रियों, 80,000 यात्री वाहनों, 50,000 दोपहिया वाहनों और 30,000 ट्रकों की ढुलाई करेगी। इससे ट्रक चालकों की थकान कम होगी और अतिरिक्त ट्रिप के ज्यादा अवसर मिलने से उनकी आय में भी इजाफा होगा। इससे सीओ2 के उत्सर्जन में प्रतिदिन लगभग 24 एमटी तक की कमी भी आएगी और सालाना लगभग 8653 एमटी की कुल बचत होगी।

(हिन्दुस्थान समाचार)

5:33 PM : Joe Biden takes narrow lead

5:11 PM : इटली के पीएम कोंटे के बीच वर्चुअल माध्यम से द्विपक्षीय शिखर बैठक

कोरोना के कारण इटली में हुई क्षति के लिए भारत की ओर से संवेदनाएं

कोरोना के शुरुआत में ही आपने इस महामारी को नियंत्रित किया

2018 के बाद दोनों देशों के बीच आपसी बातचीत में गति आई

कोविड-19 के बाद इटली के संसद के सदस्यों का स्वागत करने का अवसर मिलेगा

कोरोना के कारण उत्पन्न चुनौतियों और अवसरों पर ध्यान देना जरूरी

5:00 PM : चीन छोड़ आगरा में शिफ्ट हुई जर्मन फुटवियर कंपनी वॉन वेलेक्स

चीन छोड़ आगरा में शिफ्ट हुई जर्मन फुटवियर कंपनी वॉन वेलेक्स

(344 words)

कोरोना वायरस और उसके बाद चीन का पैतरें बाजी से वैश्विक मंच पर काफी किरकिरी हुई है। ऐसे में दुनिया भर के कई देशों के इन्वेस्टर्स चीन से अब अपना हाथ खींच रहे हैं। चीन से मुंह मोड़ने के बाद एशिया में भारत कारोबार के लिहाज से इन्वेस्टर्स पहली पसंद बन रहा है। इसी के तहत जर्मनी की फुटवियर कंपनी वॉन वेलेक्स ने चीन से अपना कारोबार समेट उत्तर प्रदेश के आगरा में दो नई यूनिट शुरू की है। वॉन वेलेक्स ने अभी तक कुल 2000 लोगों को इन यूनिट में रोजगार दिया गया है।

10 हजार लोगों को रोजगार के अवसर

वॉन वेलेक्स कंपनी अब यूपी में तीन परियोजनाओं में लगभग 300 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। कंपनी का दावा है कि इससे 10 हजार लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा जबकि यूनिट्स सालाना 50 लाख जोड़े जूते का उत्पादन करेंगी।

वहीं इन यूनिट की स्थापना एक्सपोर्ट प्रमोशन इंडस्ट्रियल पार्क आगरा में भारत के इआट्रिक इंडस्ट्रीज ग्रुप के साथ साझेदारी में की गई है। इन दोनों यूनिट में कुल 2,000 रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं तथा 50 लाख जोड़ी जूतों की सलाना उत्पादन क्षमता है।

कोविड-19 के बाद के कालखंड में यूपी के लिए यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिसमें मात्र पांच माह के अल्प समय में निवेश-प्रस्ताव क्रियान्वित होकर उत्पादन भी प्रारम्भ हो गया है। वॉन वेलेक्स द्वारा 10,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में जेवर (यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण) में दिसंबर 2020 तक एक नई उत्पादन इकाई स्थापित किए जाने की संभावना है, जबकि कोसी-कोटवान, मथुरा में 7.5 एकड़ में एक और विनिर्माण यूनिट प्रस्तावित है।

ईओडीबी रैंकिंग में लगाई है लंबी छलांग

राज्य और संघ शासित प्रदेशों की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (ईओडीबी) रैंकिंग में इस बार उत्‍तर प्रदेश ने लंबी छलांग लगाई है। रैंकिंग में यूपी 10 पायदान उछलकर दूसरे नंबर पर पहुंच गया है। ऐसा करने में उसने महाराष्‍ट्र, गुजरात, तेलंगाना और राजस्‍थान जैसे कई प्रमुख राज्‍यों को पीछे छोड़ा है। इस रैंकिंग में यूपी अब केवल आंध्र प्रदेश से पीछे है।

4:48 PM : CDS General Bipin Rawat

4:33 PM : आयोग का गठन

प्रदूषण पर लगाम के लिये आयोग का गठन, दिल्ली, हरियाणा, यूपी, राजस्थान और पंजाब के अधिकारी शामिल

(315 words)

दिल्ली –एनसीआर व आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण की समस्या को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट काफी सख्त है। इसी के तह अब केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर एक आयोग का गठन किया है। इस आयोग के अध्यक्ष पेट्रोलियम मंत्रालय के सचिव रहे डॉ. एमएम कुट्टी को बनाया गया है। जो प्रदूषण दूर करने की दिशा में काम करेगा।

केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आयोग के गठन की जानकारी देते हुए शुक्रवार को बताया कि इस आयोग में विशेषज्ञ के रूप में आईआईटी के मुकेश खरे, मेट्रोलॉजिकल विभाग के पूर्व महानिदेशक रमेश के जे, पर्यावरण मंत्रालय के संयुक्त सचिव अरविंद कुमार नॉटियाल आयोग के सदस्य होंगे।

नियमों का उल्लंघन पर पांच साल तक की सजा का प्रावधान

इसके अलावा गैर सरकारी संगठन ऊर्जा अनुसंधान संस्थान के महानिदेशक अजय माथुर, वायु प्रदूषण एक्शन ग्रुप से आशीष धवन को भी आयोग में शामिल किया गया है। इसके अलावा 10 पदेन सदस्य भी शामिल किए गए हैं। इनमें अलग-अलग विभाग के अधिकारी, विशेषज्ञ, दिल्ली, हरियाणा, यूपी, राजस्थान और पंजाब के अधिकारी भी शामिल हैं। ये आयोग दिल्ली के आस-पास की हवा की स्वच्छता के लिए निर्देश देगा। राज्यों को इन निर्देशों को पालन करना होगा। आयोग के निर्देश न मानने वाले उद्योग के अधिकारियों और व्यक्तियों को पांच साल तक की सजा हो सकती है।

आयोग का कार्यकाल तीन साल के लिए निर्धारित किया गया है। प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि आयोग जल्दी ही काम करना शुरू करेगा और दिल्ली- आसपास के पड़ोसी राज्यों को साथ लेकर प्रदूषण दूर करने की दिशा में आयोग काम करेगा।

वहीं आज दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मामले पर सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि प्रदूषण पर लगाम के लिए घोषित आयोग के सदस्यों के नाम तय कर दिए गए हैं। आयोग आज से ही काम शुरू कर देगा। प्रदूषण के मामले पर चल रही सुनवाई अब दीवाली के बाद होगी।

(हिन्दुस्थान समाचार)

4:02 PM : दिशा-निर्देश जारी

3:43 PM : Replenishment-at-sea in the Indian Ocean

3:43 PM : Replenishment-at-sea in the Indian Ocean

1:29 PM : बँटा हुआ सा लग रहा अमेरिका

बँटा हुआ सा लग रहा अमेरिका, भ्रम की स्थ‍िति बरकरार, चुनाव परिणाम का इन्तजार

संयुक्त राज्य अमेरिका में अभी भी चुनाव परिणाम को लेकर अनिश्चिता की स्थिति बनी हुई है। चुनाव के दो दिन बाद भी कई ऐसे राज्यों में मतों की गिनती जारी है, जहां ऐन मौके पर कुछ भी हो सकता है। चार राज्यों – जॉर्जिया, पेंसिल्वेनिया, नेवादा और उत्तरी कैरोलिना में जो बाइडन और राष्‍ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच कांटे की टक्कर है। यहां परिणाम किसी के भी पक्ष में जा सकते हैं। हालांकि इनमें से एक भी राज्य में मिली जीत डेमोक्रेट प्रत्याशी जो बाइडन को व्हाइट हाउस ले जा सकते हैं।

वहीं चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी को लेकर जो अपील अमेरिकी अदालतों में दाखिल की गई थीं उनको कोर्ट ने खारिज कर दिया है। हालांकि फिर भी ट्रम्प, प्रक्रिया की वैधता पर सवाल उठा रहे हैं।

ट्रम्प ने कहा, “अगर कानूनी मतों पर ध्यान दिया जाए, तो मैं चुनाव जीत गया हूं। लेकिन अवैध मतों के अनुसार, मैं पीछे चल रहा हूं। चुनाव पर मुकदमेबाजी सर्वोच्च न्यायालय में समाप्त हो सकती है।”

राष्‍ट्रव्यापी सर्वे की रिपोर्ट

2020 के राष्ट्रपति चुनाव ने अमेरिकी समाज के भीतर एक बार फिर खाई बड़ी हो गई है। 2016 में सत्ता में आने के लिए जिसका डोनाल्ड ट्रम्प ने इस्तेमाल किया था। एक गैर-पक्षपातपूर्ण शोध संस्थान, शिकागो विश्वविद्यालय में NORC द्वारा एसोसिएटेड प्रेस के लिए किए गए एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण, एपी वोटकास्ट में इसकी झलक साफ नज़र आयी।

सर्वे के परिणाम इस प्रकार हैं:

· 55% श्वेत मतदाताओं ने ट्रम्प का समर्थन किया; 43% समर्थित बाइडन
· 59% श्वेत पुरुषों ने ट्रम्प का समर्थन किया; केवल 39% श्वेत पुरुषों ने बाइडन का समर्थन किया
· 64% कॉलेज में पढ़ने वाले श्वेत पुरुषों ने ट्रम्प का समर्थन किया। केवल 34% ने बाइडन के लिए मतदान किया
· 90% काले मतदाताओं ने बाइडन का समर्थन किया; केवल 8% ने किया ट्रम्प
· 93% अश्वेत महिलाओं ने बाइडन के लिए मतदान किया; 6% समर्थित ट्रम्प
· 70% एशियाई और 63% हिस्पैनिक ने बाइडन का समर्थन किया
· 18-29 वर्ष आयु के 61% ने बिडेन का समर्थन किया और 65% से अधिक ने ट्रम्प का समर्थन किया
· 65% शहरी मतदाताओं ने बिडेन का समर्थन किया; 65% ग्रामीण मतदाताओं ने ट्रम्प का समर्थन किया
· ट्रम्प और बिडेन मतदाता बुनियादी तथ्यों पर भी सहमत नहीं हो सके।
· 28% अमेरिकी मतदाताओं ने अर्थव्यवस्था और नौकरियों को देश के सामने सबसे अधिक दबाव वाले मामलों के रूप में माना। इसमें से 81% ने ट्रम्प के लिए, और केवल 16% बिडेन के लिए मतदान किया
· 41% ने महामारी को सबसे महत्वपूर्ण मामला माना। इसमें से 73% ने बिडेन को वोट दिया, और ट्रम्प को केवल 25%
· 43% ने सोचा कि अर्थव्यवस्था एक अच्छी स्थिति में थी। इस समूह के 81 ने ट्रम्प के लिए मतदान किया।
· 57% ने सोचा कि अर्थव्यवस्था एक गरीब या गैर-अच्छी स्थिति में थी; 76% ऐसे मतदाताओं ने बिडेन का समर्थन किया
· 19% ने सोचा कि अमेरिका के पास महामारी पूरी तरह से नियंत्रण में है। उनमें से 91% ट्रम्प मतदाता थे। 50% ने सोचा कि महामारी नियंत्रण में नहीं थी; उनमें से 83% बिडेन मतदाता थे
· नस्लीय असमानता और पुलिस हिंसा के खिलाफ व्यापक विरोध के बावजूद, 24% ने सोचा कि नस्लवाद देश के सामने एक गंभीर समस्या नहीं है। उनमें से 90% ट्रम्प के साथ थे

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

सेंटर आफ कनेडियन यूएस एंड लैटिन अमेरिकन स्‍टडीज़, जेएनयू के प्रो. चंद्रमण‍ि मोहापात्रा का कहना है कि अमेरिका इस वक्त इतिहास में सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। सबसे बड़े उदरहरण कोरोना के कारण चरमराईं स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं, जिसकी वजह से ढाई लाख से अधिक लोगों की कोविड से मौत हो गई। जोकि पूरी दुनिया में सबसे अधिक है और पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा लोग अमेरिका में ही संक्रमित हुए हैं। दूसरी बात यह कि कोविड के साथ-साथ कई अन्य कारणों से अमेरिका की अर्थव्‍यवस्था कमजोर पड़ गई है। वहां लाखों लोगों का रोजगार छिन गया है, लोगों के पास स्वास्थ्‍य बीमा नहीं है, उनको पता नहीं है कि इस परिस्‍थिति का सामना कैसे करें।

प्रो. मोहापात्रा का कहना है कि इससे पहले कभी भी अमेरिका राजनीतिक और सामाजिक तौर पर इतना विभाजित नहीं दिखा, जितना आज दिख रहा है। रंगभेद समेत कई मुद्दे हैं, जिनका असर इस चुनाव पर पड़ा है।

1:00 PM : OROP

12:28 PM : Malabar 2020

11:32 AM : India's COVID-19 recovery rate improves

11:00 AM : COVID-19 Testing Update

9:52 AM : कोरोना से जुड़े सवाल

कोरोना से जुड़े सवाल और स्वास्थ्‍य विशेषज्ञ के जवाब

विश्व के लगभग कई देशों की वैक्सीन तीसरे फेज के ट्रायल में पहुंच गई है। कई वैक्सीन के 2021 की शुरुआत में लॉन्च होने की खबर हैं। उनमें सीरम इंस्टिट्यूट की वैक्सीन को जहां जनवरी में लॉन्च होने करने का दावा है वहीं भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को फरवरी में लॉन्च करने की खबरें आ रहे हैं। हालांकि वैक्सीन के ट्रायल सफल होने के बाद लॉन्च होने और उत्पादन के बाद लोगों तक पहुंचने में वक्त लगेगा। उससे पहले ठंड का मौसम शुरू हो चुका है और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भारत में भी कोरोना की तीसरी लहर को लेकर संभावना जताई जा रही है। ऐसे में सफ़दरजंग हॉस्पिटल, नई दिल्ली के डॉ. बलविंदर सिंह ने कोरोना लहर से लेकर भारत की स्थिति के बारे में कई अहम जानकारी दी।

कोरोना लहर

कोरोना लहर पर डॉ. बलविंदर ने बताया कि जब शुरू में कोरोना के केस आये तो धीरे-धीरे बढ़ते गये। फिर एक फेज़ आया जिसमें मामलों की संख्या कम होने लगी। जब इसका कर्व बनाते हैं तो एक वेव पैटर्न बनता है। अभी केस नीचे आ रहे हैं, लेकिन अब फिर से केस बढ़ने लगे तो उसे नई वेव या नई लहर कहा जाएगा।

भारत में कोरोना की स्थिति

फिलहाल तो भारत में कोरोना का ग्राफ नीचे जा रहा है,लेकिन आने वाले दिनों में भी ऐसी ही स्थिति रहेगी इस पर उन्होंने कहा कि कई ठंडे देशों में दोबारा लॉकडाउन लगा दिया गया है, क्योंकि ठंड बढ़ने के साथ वहां केस भी बढ़ने लगे हैं। ठंड के मौसम में नमी बढ़ जाती है, इससे वायरस नीचे ही रह जाता है। सूरज निकलने पर नमी ऊपर उठती है तो उसमें मौजूद वायरस लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। अभी केस कम आ रहे हैं, लेकिन ज्यादातर लोग बहुत लापरवाही रख रहे हैं। बिना मास्क लगाये बाजार जा रहे हैं, सड़कों बाजारों में भीड़ दिख रही है। यह खतरनाक है और ऐसी ही स्थिति रही तो सर्दियों में ये वायरस गंभीर रूप ले सकता है।

ठंड में वायरस होते हैं ज्यादा एक्टिव

ठंड के बढ़ने के बाद कई यूरोपीय देशों में कोरोना की नई लहर आ रही है, जिसकी वजह से वहां लॉकडाउन लगाया गया। भारत के बारे में डॉ बलविंदर ने कहा कि अगर केस बढ़ेगे तो ऐसा हो सकता है। फिलहाल हमारे देश में मृत्यु दर कम है अगर रिकवरी रेट इसी तरह संभला रहा तो स्थिति कंट्रोल में रहेगी, लेकिन जाहिर है ठंड में कोरोना के केस बढ़ेगे ही, इसलिये बहुत सतर्क रहना है, क्योंकि सभी वायरस ठंड में ज्यादा एक्टिव रहते हैं।

टहलते वक्त मास्क का करें प्रयोग

वहीं सुबह-सुबह समूह में टहलना कितना सुरक्षित है इस पर उन्होंने कहा कि अगर कई लोग साथ जा रहे हैं तो फिजिकल डिस्टेंसिंग रखें, कम से कम एक मीटर की दूरी हो। जहां तक सांस फूलने की बात है तो कई लोग चलने पर तेज-तेज से सांस लेते हैं। ऐसी जगह पर मत जायें, जहां बहुत ज्यादा भीड़ होती है। मास्क लगाये रखें और साथ में पानी भी रखें।

हर खांसी, जुकाम कोरोना नहीं

इसके अलावा उन्होंने कहा कि अक्सर कोविड मरीज को सांस लेने में परेशानी होती है तो वो तेज-तेज सांस लेता है। खांसी और छींक भी आती है। अगर बाहर में कोई अनजान ऐसा दिखता है तो आपको पता नहीं होता है कि उसे वाकई में संक्रमण है, या सामान्य सर्दी-जुकाम है। अगर कोरोना भी होगा और सामने वाले पर शक होता है तो मास्क लगाये रखें और सुरक्षित दूरी बना कर रहें।

9:44 AM : Deepotsav in Ayodhya

9:39 AM : Paris Masters tennis tournament

9:39 AM : US President Elections

There was no ‘blue wave’ that they predicted. They thought there was going to be a big ‘blue wave’ that was false, that was done for suppression reasons. But instead there was a big ‘red wave’.

Our goal is to defend the integrity of the election, we will not allow the corruption to steal such an important election or any election for that matter. And we can’t allow silence, anybody to silence our voters.

9:31 AM : वैश्विक निवेशक गोलमेज़ सम्मेलन

आत्मनिर्भर बनने की भारत की भूख महज़ एक विजन नहीं, सोची समझी रणनीति है : पीएम मोदी

कोरोना महामारी के कारण जब देश की अर्थव्‍यवस्‍था की चूलें हिल गईं, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आत्मनिर्भर भारत के तहत कई सारी योजनाओं को लेकर आगे आयी। एक-एक कर सभी नीतियों और नए नियमों को लागू किया गया, जिसके परिणाम स्वरूप भारत के उद्योगों ने रफ्तार पकड़ी और सभी क्षेत्र पटरी पर आने लगे। यह आत्मनिर्भर भारत क्या है, इसके प्रति अगर आपके मन में कोई संशय हो, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह बात समझने के लिए काफी है, “आत्मनिर्भर बनने की भारत की भूख महज़ एक vision नहीं है, यह एक well planned strategy है।”

दरअसल आत्‍मनिर्भर भारत की यह परिभाषा प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक निवेशक गोलमेज़ सम्मेलन को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते वक्त दी। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत बनने की ललक वह strategy है जिसका लक्ष्‍य हमारी व्‍यापार करने की क्षमता और कर्मियों के कौशल से भारत को Global Manufacturing Powerhouse बनाना है।

प्रस्‍तुत हैं पीएम मोदी के संबोधन के प्रमुख अंश, उन्होंने कहा :

> वैश्विक निवेशकों के Plans और हमारे Vision को एक सूत्र में बांधने का यह सबसे अच्छा मौका है।

> जिस तरह से भारत ने कोरोना महामारी से जंग लड़ी है, उसे पूरी दुनिया ने देखा है, दुनिया ने भारत की असली शक्ति को भी देखा, इस दौरान हम सफलतापूर्वक उन क्षेत्रों में आगे बढ़े, जिसके लिए भारतीय जाने जाते हैं।

> महामारी के दौरान भारत में विश्‍व के प्रति जिम्मेदारी, राष्‍ट्रीय एकता और इनोवेशन के लिए ऊर्जा दिखाई दी, चाहे वायरस से जंग हो या अर्थव्‍यवस्था के स्‍थायित्व को बनाये रखना, भारत ने हर पटल पर अपनी शक्ति का परिचय दिया, जिसमें जनता का पूर्ण सहयोग रहा।

> यह हमारे सिस्टम की मजबूती ही है कि हम 800 मिलियन लोगों को अनाज मुहैया करा पाये, 420 मिलियन लोगों को धन और 80 मिलियन परिवारों को मुफ्त रसोई गैस दे पाये, यह लोगों के सहयोग से संभव हुआ।

> हमारी स्थाई नीतियां ही हैं, जिनके कारण आज भारत निवेश के लिए विश्‍व के सर्व-प्रधान गंतव्यों में से एक है। हम न्यू इंडिया का निर्माण कर रहे हैं, जो पुरानी कार्यशैली से मुक्त होगा, आज भारत बेहतर कल के लिए बदल रहा है।

> भारत विश्‍व के निवेशकों को Democracy, Demography, Demand और Diversity मुहैया कराने में सक्षम है। आज भारत में प्रति दिन तीन से चार स्‍टार्टअप कंपनियां खुल रही हैं।

> हमें केवल बड़े शहरों में नहीं, बल्कि छोटे शहरों में भी निवेश चाहिए, इस‍के लिए छोटे शहरों का विकास मिशन मोड स्कीम के तहत किया जा रहा है।

> अगर आपको अच्‍छा रिटर्न चाहिए, स्‍थायित्व चाहिए, हरित सोच के साथ ग्रोथ चाहिए तो भारत आपके लिए है। आने वाले समय में भारत की आर्थिक वृद्धि वैश्विक अर्थव्‍यवस्था में सुधार के लिए उत्प्रेरक का काम करेगी।

9:02 AM : Active cases

8:44 AM : प्रतियोगिता की शुरुआत

5 November 2020

6:05 PM : नेशनल डिफेंस कॉलेज (एनडीसी) का डायमंड जुबली समारोह

‘नेबरहुड फर्स्ट’ के तहत भारत ने सभी मित्र पड़ोसियों से संबंध सुधारे

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि भारत ने कई सिद्धांतों के आधार पर अपनी सुरक्षा नीति में भारी बदलाव किये हैं, जो मजबूत, कानूनी और नैतिक रूप से स्थायी कार्यों के लिए उन्मुख हैं। युद्ध रोकने की क्षमता के माध्यम से ही शांति सुनिश्चित की जा सकती है। रही बात पड़ोसी देशों की तो भारत ने नेबरहुड फर्स्ट के तहत भारत ने अपने सभी मित्र पड़ोसियों से संबधों को मजबूत किया है।

भारत एकपक्षीयता और आक्रामकता के सामने अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए दृढ़ है, चाहे वह बलिदान ही क्यों न हो। भारत अपनी सीमाओं पर अन्य चुनौतियों का सामना कर रहा है फिर भी हमारा मानना है कि मतभेद विवाद नहीं बनने चाहिए। हम बातचीत के माध्यम से मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान को महत्व देते हैं।

एनडीसी को दी बधाई

रक्षा मंत्री आज नेशनल डिफेंस कॉलेज (एनडीसी) के डायमंड जुबली के अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने राष्ट्र के प्रति समर्पित सेवा के 60 वर्ष पूरा करने पर कमांडेंट और एनडीसी कर्मचारियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि एनडीसी ने न केवल भारत से बल्कि कई मित्र देशों से भी कई रणनीतिक नेताओं को तैयार किया है। पूर्व छात्रों में से कुछ अपने देशों के प्रमुख बनने की कतार में हैं और कई अपने संबंधित क्षेत्रों में जिम्मेदारी के प्रमुख पदों पर काबिज हैं। मुझे यकीन है कि आप सभी जिन देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं, उनके वर्तमान और भविष्य के नेता के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

पाकिस्तान को छोड़ कर सभी से संबंध बेहतर हुए

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान को छोड़कर सभी पड़ोसियों के साथ अपने संबंधों में सुधार किया है। हमने अपने मित्रों की मदद के लिए आपसी-सम्मान और आपसी-हित के संबंध बनाने के लिए भारी निवेश किया है। हमने प्रगतिशील और समान विचारधारा वाले देशों के साथ काम करके न केवल पाकिस्तान की आतंकवादी नीतियों को उजागर किया है, बल्कि अब उसके लिए आतंक का व्यवसाय जारी रखना कठिन होता जा रहा है। भारत की विदेश और सुरक्षा नीति के सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक ‘नेबरहुड फर्स्ट’ पहल है। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत को अधिक आत्मनिर्भर बनाने के लिए रक्षा निर्माण क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ के बारे में उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है और आगे जरूरत पड़ने पर इसमें बदलाव भी किए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि दुनिया भर में भारत का प्रभाव बढ़ रहा है इसलिए हमें उन भारतीय नागरिकों की सुरक्षा करने में सक्षम होना चाहिए जो अब दुनिया भर में काम करते हैं। व्यापार मार्गों, संचार की शिपिंग लाइनों, मछली पकड़ने के अधिकारों और संचार नेटवर्क को सुरक्षित करने के लिए हमारे हितों को भी वैश्विक प्रयासों में योगदान करने की आवश्यकता है, ताकि खुले और मुक्त महासागर बनाए जा सकें। उन्होंने कहा कि भारत ने समान विचारधारा वाले लोगों के साथ घनिष्ठ संबंधों और साझेदारी को बढ़ावा दिया है ताकि साझा हितों को आगे बढ़ाया जा सके। अमेरिका के साथ हमारी रणनीतिक साझेदारी पहले से कहीं अधिक मजबूत है। इसी तरह जून 2020 में ऑस्ट्रेलिया के साथ आभासी शिखर सम्मेलन ने हमारी पहले से ही मजबूत रणनीतिक साझेदारी के लिए एक उत्साह प्रदान किया है।

रूस के साथ मजबूत व गहरे संबंध

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत के रूस के साथ भी मजबूत, पारंपरिक और गहरे संबंध हैं। दोनों देशों ने निकट समझ और एक-दूसरे की चिंताओं और हितों की सराहना के माध्यम से अतीत में कई चुनौतियों का सामना किया है। फ्रांस और इजराइल जैसे विश्वसनीय दोस्तों के साथ भारत ने विशेष साझेदारी की है और भविष्य में भी जारी रखेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम एशिया, दक्षिण पूर्व और पूर्वी एशिया में अपने सहयोगी देशों तक पहुंचने में विशेष रुचि ली है। हमने पश्चिम में सऊदी अरब, यूएई और ओमान के साथ और पूर्व में इंडोनेशिया, वियतनाम और दक्षिण कोरिया के साथ अपने संबंधों के दायरे और गुणवत्ता को बढ़ाया है। भारत की स्थिरता और सुरक्षा से ही आर्थिक रूप से बढ़ने की क्षमता भी जुड़ी है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि देश के पिछले छह साल राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति भारत के अगले दशक के दृष्टिकोण का खाका खींचते हैं। इसमें पहला भारत की क्षेत्रीय अखंडता, बाहरी खतरों और आंतरिक चुनौतियों से संप्रभुता को सुरक्षित करने की क्षमता है। दूसरा, भारत की आर्थिक वृद्धि को सुविधाजनक बनाने के साथ ही राष्ट्र निर्माण के लिए संसाधन तैयार करना और व्यक्तिगत आकांक्षाओं को पूरा करना है। तीसरा, सीमाओं से परे अपने हितों की रक्षा करने की क्षमता पैदा करना और आखिर में परस्पर दुनिया में देश के सुरक्षा हितों को आपस में जोड़ा गया है।

(हिन्दुस्थान समाचार)

5:44 PM : 51 DTH शिक्षा टीवी चैनल

5:23 PM : Ministry of Railways

5:05 PM : Virtual Global Investor Roundtable

5:01 PM : MoU with the Serum Institute of India

4:44 PM : तीसरे और अंतिम चरण का प्रचार तेज

बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण का प्रचार कार्य आज शाम समाप्‍त हो जाएगा। इस चरण में 15 जिलों में फैले 78 निर्वाचन क्षेत्रों में इस महीने की 7 तारीख को मतदान कराया जाएगा।

3:23 PM : कोरोना से जुड़े सवाल

कोरोना से जुड़े सवाल और स्वास्थ्‍य विशेषज्ञ के जवाब

विश्व के लगभग कई देशों की वैक्सीन तीसरे फेज के ट्रायल में पहुंच गई है। कई वैक्सीन के 2021 की शुरुआत में लॉन्च होने की खबर हैं। उनमें सीरम इंस्टिट्यूट की वैक्सीन को जहां जनवरी में लॉन्च होने करने का दावा है वहीं भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को फरवरी में लॉन्च करने की खबरें आ रहे हैं। हालांकि वैक्सीन के ट्रायल सफल होने के बाद लॉन्च होने और उत्पादन के बाद लोगों तक पहुंचने में वक्त लगेगा। उससे पहले ठंड का मौसम शुरू हो चुका है और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भारत में भी कोरोना की तीसरी लहर को लेकर संभावना जताई जा रही है। ऐसे में सफ़दरजंग हॉस्पिटल, नई दिल्ली के डॉ. बलविंदर सिंह ने कोरोना लहर से लेकर भारत की स्थिति के बारे में कई अहम जानकारी दी।

कोरोना लहर

कोरोना लहर पर डॉ. बलविंदर ने बताया कि जब शुरू में कोरोना के केस आये तो धीरे-धीरे बढ़ते गये। फिर एक फेज़ आया जिसमें मामलों की संख्या कम होने लगी। जब इसका कर्व बनाते हैं तो एक वेव पैटर्न बनता है। अभी केस नीचे आ रहे हैं, लेकिन अब फिर से केस बढ़ने लगे तो उसे नई वेव या नई लहर कहा जाएगा।

भारत में कोरोना की स्थिति

फिलहाल तो भारत में कोरोना का ग्राफ नीचे जा रहा है,लेकिन आने वाले दिनों में भी ऐसी ही स्थिति रहेगी इस पर उन्होंने कहा कि कई ठंडे देशों में दोबारा लॉकडाउन लगा दिया गया है, क्योंकि ठंड बढ़ने के साथ वहां केस भी बढ़ने लगे हैं। ठंड के मौसम में नमी बढ़ जाती है, इससे वायरस नीचे ही रह जाता है। सूरज निकलने पर नमी ऊपर उठती है तो उसमें मौजूद वायरस लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। अभी केस कम आ रहे हैं, लेकिन ज्यादातर लोग बहुत लापरवाही रख रहे हैं। बिना मास्क लगाये बाजार जा रहे हैं, सड़कों बाजारों में भीड़ दिख रही है। यह खतरनाक है और ऐसी ही स्थिति रही तो सर्दियों में ये वायरस गंभीर रूप ले सकता है।

ठंड में वायरस होते हैं ज्यादा एक्टिव

ठंड के बढ़ने के बाद कई यूरोपीय देशों में कोरोना की नई लहर आ रही है, जिसकी वजह से वहां लॉकडाउन लगाया गया। भारत के बारे में डॉ बलविंदर ने कहा कि अगर केस बढ़ेगे तो ऐसा हो सकता है। फिलहाल हमारे देश में मृत्यु दर कम है अगर रिकवरी रेट इसी तरह संभला रहा तो स्थिति कंट्रोल में रहेगी, लेकिन जाहिर है ठंड में कोरोना के केस बढ़ेगे ही, इसलिये बहुत सतर्क रहना है, क्योंकि सभी वायरस ठंड में ज्यादा एक्टिव रहते हैं।

टहलते वक्त मास्क का करें प्रयोग

वहीं सुबह-सुबह समूह में टहलना कितना सुरक्षित है इस पर उन्होंने कहा कि अगर कई लोग साथ जा रहे हैं तो फिजिकल डिस्टेंसिंग रखें, कम से कम एक मीटर की दूरी हो। जहां तक सांस फूलने की बात है तो कई लोग चलने पर तेज-तेज से सांस लेते हैं। ऐसी जगह पर मत जायें, जहां बहुत ज्यादा भीड़ होती है। मास्क लगाये रखें और साथ में पानी भी रखें।

हर खांसी, जुकाम कोरोना नहीं

इसके अलावा उन्होंने कहा कि अक्सर कोविड मरीज को सांस लेने में परेशानी होती है तो वो तेज-तेज सांस लेता है। खांसी और छींक भी आती है। अगर बाहर में कोई अनजान ऐसा दिखता है तो आपको पता नहीं होता है कि उसे वाकई में संक्रमण है, या सामान्य सर्दी-जुकाम है। अगर कोरोना भी होगा और सामने वाले पर शक होता है तो मास्क लगाये रखें और सुरक्षित दूरी बना कर रहें।

2:36 PM : COVID-19 UPDATES

2:36 PM : COVID-19 UPDATES

1:41 PM : 24वें मालाबार नौसेना

1:22 PM : COVID-19 UPDATES

1:22 PM : COVID-19 UPDATES

8:34 AM : रिकवरी रेट 92% से अधिक

8:29 AM : Second batch of IAF Rafale

8:06 AM : वर्चुअल ग्लोबल इन्वेस्टर राउंडटेबल

4 November 2020

Watch LIVE coverage of US Presidential Election

4:22 PM: US Presidential elections

African-American and Indian-American voters to play decisive role

The US Presidential elections is heading towards a neck to neck fight in which the African-American and Indian-American community can play a decisive role. Where do the two communities stand on their support of Trump or Biden tells the experts?

“Kamala Harris is a bigger factor with African-American voters which is a far bigger consequential factor in the US elections. And if Biden wins then the credit should be given to Kamala Harris for his victory as she would have played a significant role in mobilizing especially the black women which is a very powerful community that believes in the historical injustices and both Biden and Harris had been talking about the systemic racism and how they are going to reform institutions like policing,” says Dr. Sreeram Chaulia, Prof and Dean, Jindal School of International Affairs.

Chaulia adds ” So she is going to be the key player in that count. You will see that especially in the large cities and suburbs where the racial minorities congregate in the US.”

“From the context of the Indian diaspora point of view they are more driven by the priorities of this country (USA) but like diaspora everywhere there are divides among them. The Indian community votes are divided but according to Carnegie most of the Indians would vote for democrats,” says Prof. WPS Sidhu, Centre for Global Affairs, New York University.

“Looking just from the American point of view the American and Chinese economies are intertwined and it is very difficult to decouple them. Paradoxically, China has also emerged as the number one military threat. How you deal militarily with your number one importer or banker in some way. Whoever wins Trump and Biden they will be constrained by it,” adds Sidhu.

According to Chaulia “If we consider the Indian-American voters then they are divided. It is certain that Trump would attract more Indian voters than any previous Republican candidate. There are reasons for it which includes his role in furthering strategic partnership with India, his bonhomie with Prime Minister Narendra Modi.”

Chaulia points out that “There is a conservative leaning from Indian-American community in this election towards Trump who generally tends to be liberal. They have mobilized in a big way towards Trump. Apart from it many Indians who fear and despise China and believe that China is posing an existential threat to India thinks that Trump would be tougher on China. The average Indian American feels that Trump would be harder and hit China on the face.”

4:03 PM: COVID-19 UPDATES

3:05 PM: Cabinet briefing

Cabinet approves Rs 1810 crore Investment Proposal of 210 MW Luhri Stage-I Hydro Power Project on river Satluj; Project to be commissioned within a span of 62 months; will also lead to reduction of 6.1 lakh Tons of carbon dioxide from environment annually.

Cabinet approves signing of MoU between India and UK on cooperation in Telecommunication/ICTs Cabinet approves MoU between India and Israel on cooperation in Health and Medicine.

2:33 PM: Educational programmes to every household

2:07 PM: 'द जनरल ऑफ द नेपाल आर्मी’ की मानद उपाधी

भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल नरवणे को ‘द जनरल ऑफ द नेपाल आर्मी’ की मानद उपाधी

भारत के थलसेना प्रमुख एमएम नरवणे बुधवार से नेपाल की तीन दिन की यात्रा पर हैं। जहां उन्हें जनरल रैंक की मानद उपाधि से सम्मानित किया जाना है। नरवणे का यह तीन दिनों का दौरा 6 नवंबर तक रहेगा। सेना प्रमुख का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत के साथ-साथ अब नेपाल से भी जमीन विवाद को लेकर चीन से तल्खी बढ़ने की खबरे हैं। हालांकि उनकी यह यात्रा नेपाली सेना के अध्यक्ष के बुलावे पर हो रही है।

नेपाल पीएम और रक्षा मंत्री से भी करेंगे मुलाकात

सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे तीन दिनों के नेपाल दौरे पर पीएम केपी ओली और नेपाल को रक्षा मंत्री के साथ मुलाकात करेंगे। इसके अलावा वहां पर जनरल पूरन सिंह थापा से मुलाकात भी करेंगे। तीन दिनों के दौरे के दौरान आर्मी चीफ नेपाल में सेना के आर्मी कमांडर एंड स्टाफ कॉलेज में छात्र और अधिकारियों को संबोधित करेंगे। नरवणे को वहां ‘द जनरल ऑफ द नेपाल आर्मी’ की मानद उपाधि से सम्मानित किया जाना है।

नेपाल यात्रा को लेकर सेना प्रमुख ने जताई खुशी

जनरल एमएम नरवणे ने अपनी यात्रा से पूर्व नेपाली सेना के निमंत्रण पर जाने और अपने समकक्ष जनरल पूर्ण चंद्र थापा से मिलने पर खुशी जताते हुए कहा कि मुझे यकीन है कि यह यात्रा दो सेनाओं को संजोने के लिए दोस्ती के बंधन को मजबूत करने में एक लंबा रास्ता तय करेगी। उन्होंने कहा कि वह बहुत खुशनसीब है कि भारत-नेपाल के रिश्तों को मजबूत करने के लिए वहां पर जा रहे हैं। उन्होंने इस बात के लिए भी आभार जताया कि नेपाल सरकार ने उन्हें नेपाली सेना के जनरल के मानद रैंक से सम्मानित किए जाने का फैसला लिया। निमंत्रण मिलने के बाद से मैं इस यात्रा का बेसब्री से इंतजार कर रहा था।

द जनरल ऑफ द नेपाल आर्मी’ से होंगे सम्मानित

दोनों देशों की सेनाओं के बीच मजबूत रिश्तों की पहचान के तौर पर दिया जाने वाला ‘द जनरल ऑफ द नेपाल आर्मी’ की मानद उपाधि का परंपरागत सम्मान एक समारोह में नेपाली राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी जनरल नरवणे को देंगी। इस सम्मान की शुरुआत 1950 में की गई थी। भारत भी नेपाल के सेना प्रमुख को ‘जनरल ऑफ इंडियन आर्मी’ की मानद रैंक देकर सम्मानित करता है।

2:03 PM: Sero Survey

1:24 PM: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का चुनाव नतीजों पर बयान

1:01 PM: फेफड़े का इंफेक्शन

क्या करें अगर सर्दियों में हो फेफड़े का इंफेक्शन

कोरोना को हराने में भारतीयों ने जो ताकत दिखाई है वो शायद ही किसी देश में है, क्योंकि आज भारत में सक्रिय केस काफी कम हो गये हैं। लेकिन इससे जिम्मेदारी खत्म नहीं होती है, क्योंकि ठंड ने दस्तक दे दी है और इम्यूनिटी और फेफड़े का काफी ध्यान रखना है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी लोगों को सलाह दी है कि ठंड के मौसम में सुरक्षित रहने के लिये साथ ही शारीरिक रूप से एक्टिव रहें। सेहत और स्वास्थ्य से जुड़ी कई महत्वपूर्ण और अहम सवालों के जवाब दिये लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के डॉ. अनुपम प्रकाश ने।

विटामिन सी शरीर को कैसे इम्यूनिटी प्रदान करता है?

विटामिन सी एक तरह का खनिज है जो बचपन से लेकर मृत्यु तक शरीर के लिये जरूरी होता है। यह प्राय खट्टे फलों आदि में मिलता है। इनके अंदर एंटीऑक्सिडेंट भी होते हैं। ये सफेद रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करने वाले किटाणुओं को नष्‍ट करने में मदद करते हैं। इससे घाव जल्दी भर जाते हैं। इसके अलावा शरीर के अंदर कई तरह के कीटाणुओं को मारता भी है। खांसी, नज़ला, जुकाम, आदि में भी राहत प्रदान करता है।

क्या कोरोना से संक्रमितों को कम भूख लगती है?

जितने भी वायरल इंफेक्शन होते हैं या कई बीमारियों ऐसी होती हैं, जिनमें भूख कम हो जाती है। जब तक बीमारी रहती है तब तक भूख प्यास कम हो लगती है। वायरस इंफेक्शन में शरीर शिथिल हो जाता है, और भूख कम लगने के कारण उबरने में काफी वक्त लग जाता है। कोरोना में भी कई बार ऐसा देखा जा रहा है। इसलिये अगर आप संक्रमित हैं, तो एक बार में अधिक खाना खाने के बजाए धीरे-धीरे कई बार थोड़ा-थोड़ा खाते रहें। ताकि शरीर में पोषक तत्व जाते रहें।

फेफड़े में अगर इंफेक्शन हो तो क्या करें?

अगर ऐसी कोई परेशानी है तो कोरोना की जांच करा लें। वैसे मौसम बदल रहा है तो खांसी-जुकाम या निमोनिया की वजह से फेफड़े प्रभावित होते हैं। इस बीच डॉक्टर की सलाह जरूर लें। डॉक्टर के यहां जाने से पहले या अगर जांच कराई है तो रिपोर्ट आने से तक नमक के गरम पानी से गरारा करें, भाप लें। इससे फेफड़ों को राहत मिलती है और कफ बाहर निकल जाता है। अगर बुखार भी है तो डॉक्टर के परामर्श लें। तभी पता चलेगा कि यह किस तरह का इंफेक्शन है।

कोविड से ठीक होने के बाद शरीर में दर्द है तो क्या करें?

कोविड की जंग जीत चुके हैं तो हताश न हों और परेशान न हों, क्योंकि ऐसा कई लोगों को शरीर में दर्द की शिकायत आई है। जो धीरे-धीरे ठीक हो जाता है। अब ठीक होने में कितने दिन लगेंगे, यह नहीं कहा जा सकता है। सबके शरीर की क्षमता अलग होती है, ताजा, पौष्टीक भोजन लें। अगर ज्यादा समस्या है तो डॉक्टर को दिखा लें।

क्या आने वाले समय में कोरोना एक आम संक्रमण बनकर रह जाएगा?

कई वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस जल्दी जाने वाला नहीं है। ऐसे में अगर ज्यादातर लोग इससे इम्यून हो जायें तो यह वायरस आम ही रह जायेगा। लेकिन फिर भी कोरोना के संक्रमण का खतरा रहेगा। हालांकि अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है, कई तरह के शोध आ रहे हैं और इस वायरस के कई रूप हो सकते हैं।

11:22 AM: COVID-19 UPDATES

10:23 AM: COVID-19 UPDATES

10:11 AM: Joe Biden leads

9:56 AM: COVID-19 Testing Update

9:31AM: COVID-19 Update

6:22 AM: U.S. voters listed economy as the issue that mattered most

6:01 AM: Robocalls urging people to stay home

4:06 AM: Americans cast votes

4:03 AM Joe Biden visits his childhood home

3 November 2020

8:06 PM : Phase 1 Malabar2020

7:29 PM : ‘वोकल फॉर लोकल’ का है सही मौका

‘वोकल फॉर लोकल’ का है सही मौका, उत्सव की खुशियां मनाएं पर जरूरी सावधानी भी अपनाएं

हर बार की तरह इस बार भी त्योहारों का सिलसिला शुरू हो गया है। इस बार त्योहार भले ही वही हैं लेकिन इनकी रौनक थोड़ी बदली-बदली सी रहेगी। इसकी वजह सभी जानते हैं वो है कोरोना वायरस। लेकिन इस आपदा के दौर में जहां अपने घर आंगन को सजाना है वहीं अपनी सेहत का भी ध्यान रखना है, लेकिन इन सब के बीच इस बात का भी ध्यान रखना है कि कई घरों में दूसरों की वजह से उजाला होता है। इसलिये अब वक्त है लोकल की ताकत पहचानने की, आत्मनिर्भर भारत में योगदान दे रहे लोगों के हौसले को बढ़ाने की।

पीएम के ‘वोकल फॉर लोकल’ का है यह सही मौका

दरअसल हाल ही में पीएम ने कहा कि हमे अभी से भारत में बने या स्थानीय उत्पादों के आगे आना होगा। जिससे लोकल उत्पाद को ग्लोबल पहचान मिले। इस माह पड़ने वाले अधिकतर त्योहार ऐसे हैं जिसमें पूजा-पाठ में इस्तेमाल होने वाली अधिकतर सामग्री हमारे पास-पड़ोस में ही छोटे-छोटे कामगारों द्वारा बनायी जाती हैं। दीपावली के दीप और मोमबत्ती बनाने में जुटीं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ीं स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से इनकी खरीददारी करके घरों को जगमग करने के साथ ही उन महिलाओं के जीवन में भी दीपावली की रोशनी बिखेरी जा सकती है। विदेशी झालरों के स्थान पर स्थानीय दियों की रोशनी की चमक इस बार एक अलग ही ख़ुशी का एहसास कराएगी।

स्थानीय शिल्पकारों के हुनर को दें बढ़ावा

कोरोना काल में लोगों के सामने रोजी-रोटी की दिक्कत को देखते हुए ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘वोकल फॉर लोकल’ का नारा दिया था। उस नारे को सही साबित करने का यही सही मौका है। इसके अलावा स्थानीय शिल्पकारों द्वारा तैयार की जा रहीं लक्ष्मी-गणेश की आकर्षक मूर्तियों को तरजीह देना हम सभी का कर्तव्य भी बनता है।

इस दौरान बाजार में भीड़ लगाने से बचें, स्थानीय उत्पादों को तरजीह दें, ताकि छोटे-छोटे कामगारों के जीवन को भी दीपपर्व के प्रकाश से जगमग किया जा सके। पटाखों की चंद सेकेण्ड की रोशनी और धमक पूरे जीवन को स्याह बना सकती है, इसलिए इस दीपावली में घर-परिवार को पटाखों से दूर रखकर कोरोना से खुद को सुरक्षित बनाने के साथ ही दूसरों को भी सुरक्षित बनाने का नेक काम किया जा सकता है। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वन्दना सिंह का।

खरीददारी को भीड़भाड़ वाली जगह पर जाने से बचें

अपनी जिम्मेदारियों के बीच त्योहारों की खुशियां बरक़रार रखने के लिए जरूरी है कि हर कदम पर कोरोना को लेकर पूरी सावधानी बरतें ताकि उत्सव के साथ जीवन की रंगोली में कोरोना का रंग कतई न भरने पाए। इस बारे में फर्रुखाबाद के सीएमओ ने कहा कि धनतेरस और दीपावली के साथ ही छठ पूजा के बाद शादी की खरीददारी के लिए बाजार में अभी से अच्छी खासी भीड़ देखी जा सकती है।

ऐसे में यह कदापि नहीं भूलना है कि अभी कोरोना ख़त्म नहीं हुआ है, इसलिए इन प्रमुख पर्वों की खुशियां अनंत काल तक बरक़रार रखने के लिए उन जरूरी बातों का जरूर ख्याल रखें, जो कोरोना से सुरक्षित बनाने के लिए आवश्यक हैं। बाजार में खरीददारी के वक्त मास्क से मुंह व नाक अच्छी तरह से ढककर रखना है, एक दूसरे से उचित दूरी बनाकर रखना है, दुकान में प्रवेश करते वक्त और निकलते वक्त हाथों को अच्छी तरह सेनेटाइजर करना भी न भूलें।

घर पर तरह-तरह की डिश बना कर ले आनंद

तरह-तरह के पकवानों और मिठाइयों के लिए प्रसिद्ध इन त्योहारों पर इस बार कोरोना के संक्रमण को देखते हुए बाहर की सामग्री पर निर्भर न रहें बल्कि घर पर ही तरह-तरह के पकवान बनाएं और पूरे परिवार के साथ उसकी मिठास का आनंद उठायें। बाहर की मिठाइयां, नमकीन व अन्य फ़ास्ट फ़ूड न जाने कितने हाथों से होकर आपके अपनों तक पहुंचता है, ऐसे में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए अगर घर का हर सदस्य अपनी पसंद का कोई एक-एक डिश भी तैयार करता है तो उसके स्वाद से त्योहार का आनंद दोगुना हो जाएगा।

(इनपुट-हिन्दुस्थान समाचार)

6:02 PM : Watch LIVE coverage of US Presidential Election on DD India now.

5:21 PM : रिकवरी रेट बढ़ कर 91.96 प्रतिशत

रिकवरी रेट बढ़ कर 91.96 प्रतिशत, फिर भी सावधानी बहुत जरूरी – स्वास्थ्‍य मंत्रालय

(550 words)

देश में कोविड की स्थिति धीरे-धीरे सुधर रही है देश में कोविड से ठीक होने वालों की दर 91.96 प्रतिशत पहुंच चुकी है। स्वास्थ्‍य मंत्रालय की मानें तो अब तक 11 करोड़ से ज्यादा टेस्ट देश में किये जा चुके हैं और प्रति मिलियन मृत्यदर 89 है हो गई है।

स्‍वास्थ्‍य सचिव राजेश भूषण ने मंगलवार को प्रेसवार्ता में बताया कि आज प्रति 10 लाख की आबादी पर 5991 केस हैं। अबतक देश में 76,03,121 लोग ठीक हुए हैं। साथ ही भारत में सक्रिय मामले आज 5.5 लाख से कम हुए हैं और पिछले एक हफ्ते में मामलों में लगातार गिरावट देखी जा रही है।

उन्होंने बताया कि मणिपुर, दिल्ली, केरल और पश्चिम बंगाल में मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्‍होंने सभी लोगों से अपील है कि वे लोग मास्क पहनें, सुरक्षित दूरी का पालन करें और हाथ साफ करते रहें।

उन्‍होंने कहा कि आज आवश्यकता है कि भूतकाल में जो हमें फायदे मिले हैं, उनको प्रोटेक्ट करने की जरूरत है, ये तभी सम्भव है जब लोग भारत सरकार और राज्य सरकारों की गाइड लाइन को अपनाएंगे। साथ ही उन्‍होंने त्योहारों पर कोविड दिशा निर्देशों को अपनाने की अपील की।

आईगोट के बारे में जानकारी देते हुए उन्‍होंने बताया कि आईगोट प्लेटफार्म का उपयोग स्वास्थ्य मंत्रालय ने फ्रंटलाइन कोविड वोरियर्स की ट्रेनिंग के लिए किया। इसपर 13 लाख 60 हज़ार से ज्यादा रजिस्टर युजर्स थे। इन लोगो ने 19 लाख से ज्यदा डिजिटल कोर्सेस कम्प्लीट किये। इनको 15 लाख 5435 सर्टिफिकेट दिए गए हैं। इसमें कुल 56 माड्यूल विकसित किये। 196 ट्रेनिंग वीडियो और 133 ट्रेनिंग डॉक्यूमेंट तैयार किये गए।

केरल दिल्ली, महाराष्ट्र में बढ़ रहे मामले

प्रेसवार्ता में नीति आयोग के सदस्य एवं कोरोना के खिलाफ एम्‍पावर्ड कमेटी-1 के प्रमुख डा. वीके पॉल ने कहा कि कुछ प्रदेशो में केरल दिल्ली, महाराष्ट्र में केसेस में बढ़ोतरी हो रही है। हमारे सिरो सर्वे से सामने आया कि हमे अभी भी संक्रमण हो सकता हैं। वायरस के बिहेवियर को हम पूरी तरह नही जानते। हम एक जगह इकट्ठा होते, दूरी नही बनाते तो ऐसा सम्भव है।

उन्‍होंने कहा कि हमें अपनी सक्सेस में ओर तेज़ गति लानी है। वायरस के चेन ऑफ ट्रांसमिशन को बचाने के लिए हमारी रणनीति, टेस्ट, ट्रेस, ट्रैक ओर ट्रीट करते हैं। कई इलाकों में नए मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। दिल्ली और आसपास गुड़गांव, फरीदाबाद में भी मामले बढ़ रहे हैं, जोकि चिंताजनक है।

डॉ. पॉल ने कहा, “हमें टेस्ट के जरिये लक्षण आने पर ट्रीट करना है और उनको आइसोलेट करना है। हमारी विनती है कि जब भी थोड़े भी लक्षण हो कृपया टेस्ट कराए। आज के समय में भी काफी बेड खाली है, डरे नहीं। जो लोग भी आपके संपर्क में आये हो उनकी जानकारी दे, जिससे वो लोग भी सेल्फ आइसोलेट करें। इसके लिए सख्ती की जरूरत नही है, ये जिम्मेदारी है जो भाईचारे की तरह हमे निभानी है।”

उन्‍होंने कहा कि त्यौहारों की एक स्टेज निकल गई है, काफी सयंम बरता गया है। उनके लक्षण आगे आ सकते हैं, आगे भी जो त्योहार है उनके लिए भी सयम बरतें। मास्क वाली, दीवाली, मास्क वाला गुरु पर्व मनाना है। कोरोना के पीक का होना या ना होना हमारे हाथ में है। लोग मास्क लगाये, दूरी का ख्याल रखें, एक्सरसाइज करें, वॉक करें और स्वस्‍थ रहें।

3:01 PM : स्वदेशी रैकेट

भारत के पहले बैडमिंटन ब्रांड ‘ट्रांसफॉर्म’ ने बनाया स्वदेशी रैकेट

देश आत्मनिर्भर भारत के विचार को आत्मसात करने की दिशा में निरंतर बढ़ रहा है। फिर ये कैसे संभव है कि भारत के खेल उपकरण निर्माता इस अभियान में पिछड़ जायें। भारत का पहला घरेलू पेशेवर बैडमिंटन ब्रांड ट्रांसफॉर्म मेक इन इंडिया पहल के तहत आगे आया है। अब भारतीय खिलाड़ियों के पास मेक इन इंडिया उपकरण होंगे, जो देश का प्रतिनिधित्व करने के लिये बाहर जाने पर खिलाड़ियों में गर्व की भावना को प्रवाह‍ित करेंगे।

ट्रांसफॉर्म कंपनी में निर्मित बैडमिंटन रैकेट की मजबूती व पावर अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार में मौजूद सर्वश्रेष्ठ रैकेटों के बराबर है। वर्तमान में भारत में खेलने के लिये ऐसे रैकेट विदेशों से आयात किये जाते हैं। ऐसा पहली बार होगा जब बैडमिंटन में स्पोर्ट और फिटनेस के शौकीनों के लिये मौजूदा ब्रांडों की तुलना में भारतीय कंपनी विश्वस्तरीय बैडमिंटन रैकेट और अन्य सामान का निर्माण करेगी।

ट्रांसफॉर्म बैडमिंटन के प्रोमोटर राम मल्होत्रा कहते हैं कि आज जब पीएम मोदी देश को आत्मनिर्भर बनाने की अपील कर रहे हैं, इसी वजह से हमने इसकी शुरुआत बैडमिंटन से की। यह पहला हाई क्वालिटी प्रोफेशनल बैडमिंटन इंडिया के लिये है।

जहां तक वैश्विक खेल उद्योग बाजार की बात है तो उसका साइज 2019 में 489 बिलियन डॉलर आंका गया है। जबकि खेल उद्योग परिसंघ के अनुसार बाजार का साइज 614 बिलियन डॉलर को छूने की उम्मीद है। वहीं भारत खेल उद्योग 12 हजार करोड़ रुपये का है। इस प्रकार बाजार में जगह बनाने का एक बड़ा अवसर होगा, जो निर्यात के संदर्भ में न केवल विदेशी न केवल विदेशी मुद्रा प्रदान सकता है बल्कि मेक इंडिया पहल के जरिये रोजगार के अवसर भी प्रदान करेगा।

2:29 PM : Review meeting

2:29 PM : Review meeting

1:25 PM : MP ByElection2020

1:15 PM : Bihar Elections 2020

1:13 PM : Air quality in Delhi-NCR

1:11 PM : New confirmed cases in 24 hours

1 November 2020

3:49 PM : वन्य जीवों के लिए पेय जल की व्यवस्था

छत्तीसगढ़ में वन्य जीवों के लिए की जाएगी पेय जल की व्यवस्था

जंगलों में रहने वाले जानवरों को उनके मन मुताबिक भोजन तो मिल जाता है, लेकिन अक्सर पानी की कमी उनका जीना मुश्किल कर देती है। छत्तीसगढ़ के जंगलों व वन्‍य क्षेत्रों में रहने वाले वन्‍य जीवों के लिए पेय जल की व्‍यवस्था की जाएगी। इसके लिए बड़े-बड़े नालों को विकसित किया जाएगा। इस कार्य को कैम्पा निधि से मिलने वाली वित्तीय सहायता से पूरा किया जाएगा।

वन क्षेत्रों में भू-जल संरक्षण और संवर्धन के लिए संचालित की जा रही नरवा विकास योजना के तहत वन क्षेत्रों में भू-जल संरक्षण तथा जल-स्त्रोतों, नदी-नालों और तालाबों को पुनर्जीवित करने का कार्य किया जा रहा है। वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में कैम्पा मद के अंतर्गत वर्ष 2019-20 में 137 नरवा का चयन कर 160.95 करोड़ रूपए की लागत से 31 वन मण्डल, एक राष्ट्रीय उद्यान, दो टाइगर रिजर्व, एक एलीफेंट रिजर्व, एक सामाजिक वानिकी क्षेत्र में कुल 12 लाख 56 हजार भू-जल संरचनाओं में से 10 लाख 77 हजार संरचनाएं निर्मित की जा चुकी है |

इन कार्यों में कैम्पा मद से प्रदेश के 3 टाइगर रिजर्व, 2 नेशनल पार्क और 1 एलीफेंट रिजर्व के 151 नालों में नरवा विकास के कार्य किए जाएंगे। इनमें से इंद्रावती टाइगर रिजर्व के 58 नालों, गुरू घासीदास नेशनल पार्क के 42 नालों, अचानकमार टाइगर रिजर्व के 28 नालों, कांगेर वेली नेशनल पार्क के 11 नालों, उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के 10 नालों और तमोरपिंगला एलीफेंट रिजर्व के 2 नालों में बनाई जाएंगी जल संवर्धन संरचनाएं निर्मित की जाएंगी।

कुल मिलाकर 37 वन मण्डल के 1089 नालों में 12 लाख 64 हजार भू-जल संग्रहण संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा। इससे 4 लाख 28 हजार 827 हेक्टेयर भूमि उपचारित होगी। कैम्पा मद के बनने वाली इन जल संग्रहण संरचनाओं से वनांचल में रहने वाले लोगों और वन्य प्राणियों के लिए पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।

2:54 PM : Community service efforts

2:54 PM : Community service efforts

2:44 PM : Heavy Rainfall likely over TamilNadu

2:23 PM : Strategic Partners India and Germany

1:22 PM : भारत में COVID-19 से स्‍वस्‍थ होने की दर

12:49 PM : COVID-19 UPDATES:

12:49 PM : COVID-19 UPDATES:

12:03 PM : Extremely positive news for India's Economy

11:42 AM : India's COVID19 recovery rate improves

11:12 AM : Make in India Breaks Pre-COVID Manufacturing Records

10:45 AM : Typhoon Goni

10:10 AM : COVID-19: अगर सैंपल (sample) देना है तो क्या सावधानी रखें?

9:58 AM : COVID-19 Testing Update:

8:25 AM : India having lowest death rate

8:25 AM : India having lowest death rate

8:22 AM : रोमांच होगा सी प्लेन

समय की बचत के साथ-साथ पर्यटकों के लिए नया रोमांच होगा सी प्लेन

लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गुजरात की साबरमती नदी से केवडिया-साबरमती रिवरफ्रंट सी-प्लेन सेवा की शुरुआत कर दी गई। इस सी-प्लेन सेवा की बड़ी विशेषता यह है कि यह देश की पहली ऐसी सी-प्लेन सेवा है, जो पानी और जमीन दोनों जगहों से उड़ान भर सकती है और इसे पानी के साथ-साथ जमीन पर भी लैंड कराया जा सकता है। इस सी-प्लेन सेवा के माध्यम से अहमदाबाद के साबरमती रिवरफ्रंट को नर्मदा जिले के केवडिया में स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को आपस में जोड़ा गया है। सी-प्लेन प्रोजेक्ट को प्रधानमंत्री मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट बताया जाता रहा है।

दरअसल जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने वहां सी-प्लेन शुरू करने की योजना बनाई थी। प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर इस पायलट प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया गया और उन्होंने स्वयं सी-प्लेन के जरिये साबरमती नदी से केवडिया डैम तक का 220 किलोमीटर का सफर 45 मिनट में तय किया।

अहमदाबाद से केवडि‍या तक रोज़ाना दो उड़ानें

अब यह सी-प्लेन सेवा पर्यटकों के लिए प्रतिदिन अहमदाबाद से केवडिया और केवडिया से अहमदाबाद के बीच उपलब्ध होगी। सी-प्लेन की उड़ानें स्पाइसजेट की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कम्पनी ‘स्पाइस शटल’ द्वारा संचालित की जा रही हैं। शुरुआत में स्पाइसजेट द्वारा अहमदाबाद-केवडिया मार्ग पर दो दैनिक उड़ानें संचालित की जा रही हैं। आने वाले समय में पर्यटकों की संख्या के आधार पर इन उड़ानों की संख्या बढ़ाई जा सकती है।

15 सीटर प्लेन

स्पाइसजेट द्वारा इन उड़ानों के लिए 15 सीटर ट्विन ओटर 300 विमानों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ट्विन ओटर 300 सबसे सुरक्षित और सबसे लोकप्रिय सी-प्लेन है, जो दुनियाभर में सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले विमानों में से एक है। साबरमती नदी से केवडिया डैम तक चलने वाले ये दोनों सी-प्लेन कनाडा से गुजरात आए हैं।

इन दोनों ही फ्लाइटों में दो विदेशी पायलट और दो क्रू-मेंबर रहेंगे, जो अगले छह महीनों तक गुजरात में ही रहकर यहां के पायलटों को ट्रेनिंग देंगे। सी-प्लेन की पहली उड़ान प्रतिदिन अहमदाबाद से सुबह 10.15 बजे शुरू होगी, जो 10.45 बजे केवडिया पहुंचेगी और केवडिया से पहली उड़ान 11.45 बजे शुरू होगी, जो 12.15 बजे अहमदाबाद पहुंचेगी। सी-प्लेन की दूसरी उड़ान अहमदाबाद से रोजाना 12.45 पर उड़ान भरकर दोपहर 1.15 बजे केवडिया पहुंचेगी और वहां से दोपहर 3.15 बजे वापसी की उड़ान भरकर 3.45 पर अहमदाबाद पहुंचेगी।

अहमदाबाद से साबरमती रिवरफ्रंट तक 1500 रुपए किराया

अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट को नर्मदा जिले के केवडिया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से सीधे जोड़ने वाली इस सी-प्लेन सेवा से गुजरात में पर्यटन को काफी बढ़ावा मिलेगा। दुनियाभर से पर्यटक सरदार वल्लभ भाई पटेल की दुनियाभर में सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को देखने के लिए केवडिया जाते हैं। अहमदाबाद से केवडिया के बीच की दूरी करीब दो सौ किलोमीटर है, जिसे तय करने में लोगों को अभीतक 4-5 घंटे का समय लगता था लेकिन सी-प्लेन की शुरुआत होने के बाद यह दूरी तय करने में अब करीब 45 मिनट का ही समय लगेगा।

इस सेवा का लाभ उठाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को एक ओर का 1500 रुपये किराया चुकाना होगा अर्थात् समय की बचत के साथ सी-प्लेन से दोनों तरफ का रोमांचक सफर तीन हजार रुपये में किया जा सकेगा। सी-प्लेन में एकबार में दो पायलट और दो क्रू मेम्बर सहित कुल 19 लोग सवार हो सकते हैं।

महज 300 मीटर के रनवे पर उतर जाते हैं सी-प्लेन

सी-प्लेन अपनी विश्वसनीयता, शानदार डिजाइन, शॉर्ट टेक-ऑफ और लैंडिंग क्षमताओं के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। इन्हें ऐसी कारगर उड़ान मशीनें कहा जाता है, जो नई जगहों पर और विपरीत भौगोलिक क्षेत्रों में सुगमतापूर्वक जाने में मददगार होती हैं। इनमें पानी से उतरने और टेक-ऑफ करने की अद्भुत क्षमता होती है, जिससे ऐसे क्षेत्रों तक पहुंच काफी सुगम हो जाती है, जहां लैंडिंग स्ट्रिप्स या रनवे नहीं होते।

इनकी सबसे बड़ी विशेषता यही है कि ये महज 300 मीटर के छोटे से रनवे से भी उड़ान भर सकते हैं और इसी विशेषता के कारण 300 मीटर की लंबाई वाले किसी भी तालाब या जलाशय का इस्तेमाल हवाई पट्टी के रूप में किया जा सकता है। छोटे फिक्स्ड विंग वाला यह विमान जलाशयों के अलावा पथरीली उबड़-खाबड़ जमीन और घास पर भी उतर सकता है। काफी सुरक्षित माने जाने वाले सी-प्लेन का दुनियाभर में सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। इनका अब तक का कोई दुर्घटना इतिहास नहीं है, इसीलिए दुनियाभर में अपने गंतव्य तक उड़ान अनुभव के लिए यह सर्वाधिक मांग वाला विमान है।

8:11 AM : रक्षा क्षेत्र में तेज़ी से बढ़ा निर्यात

रक्षा क्षेत्र में तेज़ी से बढ़ा निर्यात, जानें क्या कहते हैं आंकड़े

भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की ओर कदम बढ़ा रहा है और इस बात की तस्दीक करते हैं रक्षा उपकरण, हथियार, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के निर्यात में दर्ज हुई वृद्धि। हालांकि कोरोना महामारी से पहले ही भारत ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया था। इसका सबसे बड़ा उदाहरण मेक इन इंडिया की पहल ने स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहन देना है। इसी दिशा में आगे कदम बढ़ाते हुये भारतीय रक्षा उद्योग मुख्य रूप से सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए विविध उत्पाद और बाजार के साथ विकसित हुआ है और इन्हीं प्रयासों की वजह से निर्यात में हालिया सफलताओं से प्रेरित होकर, भारत एक उभरते हुए रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में अपनी क्षमता का एहसास करने के लिए तैयार है।

एक नज़र पहले आंकड़ों पर

अगस्त 2020 की बात करें तो रक्षा क्षेत्र में करीब 16,901.85 करोड़ रुपए का निर्यात केवल रक्षा क्षेत्र में हुआ, जो कि अगस्त 2019 के मुकाबले 312.47 प्रतिशत अधिक है। पिछले वर्ष इसी महीने अगस्त 4,097.74 रुपये का निर्यात हुआ था।

वहीं अगर वित्तीय वर्ष के शुरुआती पांच महीनों की बात करें तो अप्रैल-अगस्त 2019 में जहां रक्षा क्षेत्र में 30,669.74 करोड़ रुपए का निर्यात हुआ था, वहीं 2020 में अप्रैल-अगस्त के बीच करीब 58,870.00 करोड़ रुपए है के निर्यात का अनुमान लगाया गया है। यानी पांच महीने में साल 2019 की अपेक्षा 2020 में 91.95% की वृद्धि हुई है।

हाल ही में सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही निर्यात पर जोर देते हुये कहा था कि भारत के डिफेंस पब्लिक सेक्‍टर यानी पीएसयू और ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों में काम का माहौल सुधारने और क्‍वालिटी कंट्रोल बढ़ाने की जरूरत है। जनरल रावत ने कहा कि हमारे पास पुराने हथियार सिस्‍टम अच्छे तो हैं लेकिन अब बदलती तकनीक के जमाने में उनकी जगह अत्याधुनिक हथियारों की जरूरत है। भारत अपने इन पुराने हथियारों को उन देशों को निर्यात भी कर सकता है जिनके पास खुद की रक्षा के लिए पर्याप्त हथियार नहीं हैं।

इसके साथ ही सीडीएस ने कई आंकड़े भी सामने रखें, जिसमें बताया गया कि भारत की डिफेंस इंडस्ट्री अब कई गुना ग्रोथ को तैयार है। उन्होंने कहा कि भारत 2019 में रक्षा निर्यातकों की सूची में 19वें स्थान पर था और भारत ने रक्षा निर्यात में 700 प्रतिशत की ग्रोथ की है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि भारत ने 2016-17 में 1521 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात किया था। यह 2018-19 में बढ़कर 10,745 करोड़ रुपये हो गया। यानी दो वर्षों में लगभग 700 प्रतिशत वृद्धि देखी है। 2016-17 में 1521 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात किया था।

क्या कहते हैं रक्षा विशेषज्ञ

इस बारे में इंफेंट्री के पूर्व महानिदेशक रिटायर्ड ले.ज. संजय कुलकर्णी का कहना है कि यह बहुत ही जरूरी था कि भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनें। 2015-2020 के बीच में साढ़े तीन लाख करोड़ तक रक्षा हथियार विदेशों से मंगाये गए, जबकि अब चार लाख करोड़ के हथियार भारत में बनेंगे। इंडियन डिफेंस मैन्‍युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को अब इसे चैलेंज के तौर पर लेना होगा कि उन्हें इस मौके को जाने नहीं देना है। डीआरडीओ ऐसी सभी प्राइवेट कंपनियों की मदद करता है, रिसर्च, डेवलपमेंट भी भारत आगे निकलेगा।

उन्होंने बताया कि हाल ही में भारत ने 101 हथियारों की सूची को दूसरे देशों से आयात करने पर प्रतिबंध लगा दिया। इस सूची में कई बड़े उपकरण जैसे ऑर्टलरी गन, रायफल, फाइटर वाहन, कम्यूनिकेशन इक्यूपमेंट, रडार, बुलेट फ्रूफ जैकेट, माल वाहन, पनडुब्बी और भी बहुत कुछ है, जो अब भारत में बनेंगे।

पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल कुलकर्णी कहते हैं कि भारत में क्षमता, स्किल, रिसर्च एंड डेवलपमेंट की कोई कमी नहीं है। इन्हें सिर्फ एक जगह लाने की जरूरत है। अब जब मौका मिला है तो कर के दिखाना है और आगे बढ़ना है, ताकि हम निर्यात को बढ़ा सकें। इसमें विशेष ध्यान क्वालिटी पर रखना होगा, ताकि जब सेना देसी हथियारों का प्रयोग करे तो उसे लगे कि विदेशी के बराबर नहीं बल्कि उनसे बहुत बेहतर हैं। उन्‍होंने बताया कि रक्षा उपकरण व हथियार खरीदने वाले देशों के लिये नियमों में भी कई परिवर्तन कर उनका सरलीकरण किया जा रहा है।

31 October 2020

8:01 AM : LIVE - Celebrations of National Unity Day

7:59 AM : सरदार वल्लभ भाई पटेल

भारत को एकता के सूत्र में पिरोने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल

31 अक्टूबर को हर साल राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय एकता दिवस, आजादी के बाद भारत के एकीकरण करने वाले और 500 से अधिक रियासतों को स्वतंत्र भारतीय संघ में शामिल करने के लिए राजी करने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले सरदार पटेल की जयंती पर मनाया जाता है। हालांकि देश में इसे मनाने की परंपरा साल 2014 के बाद शुरू हुई।

सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के पहले उप प्रधानमंत्री थे और जो ‘भारत के लौह पुरुष’ के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने 500 से अधिक रियासतों को स्वतंत्र भारतीय संघ में शामिल करने के लिए राजी करने में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने कई बाधाओं के बावजूद सभी रियासतों को नए स्वतंत्र भारत में एकीकृत किया। 2014, भारत के गृह मंत्रालय के आधिकारिक बयान में कहा गया है कि राष्ट्रीय एकता दिवस “हमारे देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए वास्तविक और संभावित खतरों का सामना करने के लिए हमारे देश की अंतर्निहित ताकत और लचीलापन को फिर से पुष्टि करने का अवसर प्रदान करेगा।” इस दिन देश के विभिन्न हिस्सों में रन फॉर यूनिटी ’का आयोजन किया जाता है।

‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’

सरदार वल्लभभाई पटेल की याद में गुजरात में केवड़िया गांव में नर्मदा नदी के बीच एक प्रतिमा बनाई गई है, जिसे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी कहते हैं, जो 182 मीटर यानी करीब 597 फीट ऊंची है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी विश्व को सबसे ऊंची प्रतिमा होने का गौरव प्राप्त है। ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के ऊंचाई न्यूयॉर्क के 93 मीटर उंचे ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ से करीब दोगुना है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का कुल भार करीब 1700 टन है जबकि इस प्रतिमा का एक पैर 80 फीट, हाथ 70 फीट, कंधा 140 फीट और चेहरा 70 फीट का है। 2018 में तैयार इस प्रतिमा को प्रधानमंत्री मोदी ने 31 अक्टूबर 2018 को राष्ट्र को समर्पित किया। यह प्रतिमा 5 वर्षों में लगभग 3000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुई है।

सरदार वल्लभ भाई पटेल के बारे में तथ्य

> सरदार वल्लभभाई पटेल का पूरा नाम वल्लभभाई झावेरभाई पटेल है।

> उनका जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को नाडियाड, गुजरात, भारत में हुआ था और 15 दिसंबर, 1950 को बॉम्बे में उनका निधन हुआ था।

> भारतीय स्वतंत्रता के बाद, उन्होंने उप प्रधान मंत्री, गृह मंत्री, सूचना मंत्री और राज्यों के मंत्री के रूप में पहले तीन वर्षों तक सेवा की।

> सरदार पटेल की 16 साल की उम्र में शादी हो गई, 22 साल की उम्र में मैट्रिक किया और जिला याचिकाकर्ता की परीक्षा उत्तीर्ण की जिसके कारण वह कानून का अभ्यास करने में सक्षम थे।

> गोधरा में, उन्होंने 1900 में जिला याचिकाकर्ता का एक स्वतंत्र कार्यालय स्थापित किया।

> अगस्त 1910 में आगे की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए।

> 1913 में, वह भारत लौट आए और अहमदाबाद में बस गए और अहमादाबाद बार में आपराधिक कानून में एक बैरिस्टर बन गए।

> उन्होंने 1917 से 1924 तक अहमदाबाद के पहले भारतीय नगर आयुक्त के रूप में कार्य किया और 1924 से 1928 तक नगर पालिका अध्यक्ष के रूप में चुने गए।

> 1918 में बंबई (मुंबई) सरकार के फैसले के खिलाफ जिसमें भारी बारिश के कारण फसल खराब होने के बावजूद, सरकार पूर्ण वार्षिक कर एकत्र करना चाहती थी। उन्होंने किसानों और गुजरात के जमींदारों के एक बड़े अभियान द्वारा एक सभा की।

> 1928 में उन्होंने बारडोली अभियान का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया और सरदार की उपाधि प्राप्त की।

> सरदार वल्लभभाई पटेल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1929 के लाहौर अधिवेशन के महात्मा गांधी के बाद दूसरे अध्यक्ष थे।

> 1931 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कराची सत्र की अध्यक्षता की।

> वह एडवर्ड मेमोरियल हाई स्कूल बोरसाद (E.M.H.S) के पहले अध्यक्ष और संस्थापक थे, अब इसे झावेरभाई दाजीभाई पटेल हाई स्कूल के रूप में जाना जाता है।

> सरदार पटेल ने भारत को संयुक्त भारत (एक भारत) बनाने के लिए हमेशा कड़ी मेहनत की। श्रेष्ठ भारत या अग्रणी भारत बनाने के लिए, उन्होंने भारत के लोगों को एक साथ रहने का अनुरोध किया।

7:55 AM : Rashtriya Ekta Diwas

7:45 AM : इंदिरा गांधी की पुण्‍य तिथि

पूर्व प्रधानमत्री इंदिरा गांधी के जीवन से जुड़ी खास बातें

“आज यहां हूं.. कल शायद यहां न रहूं। मुझे चिंता नहीं मैं रहूं या न रहूं.. देश की चिंता करना हर नागरिक की जिम्मेदारी है। मेरा लंबा जीवन रहा है और मुझे इस बात का गर्व है कि मैंने अपना पूरा जीवन अपने लोगों की सेवा में बिताया है। मैं अपनी आखिरी सांस तक ऐसा करती रहूंगी और जब मैं मरूंगी तो मेरे ख़ून का एक-एक क़तरा भारत को मजबूत करने में लगेगा।” ये शब्द थे देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के, जिसे उन्होंने अपने मृत्यु के कुछ दिन पहले ही एक सभा में कहा था। उसके बाद 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई। इंदिरा गांधी की आज 36वीं पुण्यतिथि है।

लौह महिला कहलाने वाली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने का राजनीतिक सफर काफी उतार चढ़ाव भरा रहा। 1966 से 1977 के बीच लगातार तीन बार देश की बागडोर संभाली। भारत की प्रधानमंत्री-24 जनवरी, 1966 को प्रथम बार, 13 मार्च, 1967 को दूसरी बार और 18 मार्च, 1971 को तीसरी बार शपथ ग्रहण लिया। उसके बाद 1980 में दोबारा इस पद पर पहुंचीं और 31 अक्टूबर 1984 को पद पर रहते हुए ही उनकी हत्या कर दी गई।

हालांकि जहां राजनीति उन्हें विरासत में मिली, तो कई ऐसे फैसले उनके कार्यकाल में लिये गये, जिसके वजह से उन्हें देशवासियों के गुस्से और विपक्ष की आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा। फिर भी इंदिरा गांधी कभी घबरायी नहीं। बल्कि देश सेवा के लिये हरपल आगे रहीं। इंदिरा गांधी ने अपने कार्यकाल में एक से बढ़ कर कड़े और बड़े निर्णय लिये, जिसे देख कर विपक्षी नेता भी उनके साहस की सराहना करने लगे थे। यहां तक की चुनावी भाषणों में जिन सरलता से वो मंच बोलती जनता में एक नया जज्बा जगा देती।

कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में इंदिरा गांधी की अपने पिता प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू से टक्कराव भी हुए। प्रश्न केरल की बिगड़ती हुई राजनीतिक स्थिति का था। इंदिरा जी की राय थी कि केरल की इस स्थिति का सुधारने के लिए वहां राष्ट्रपति शासन लागू कर देना चाहिए। सरकार ने ऐसा कदम पहले कभी उठाया नहीं था, इसलिए पं. नेहरू द्विविधा में थे। पर परिस्थिति को जांच परख कर आखिर में उन्हें इंदिरा गांधी की बात माननी पड़ी और केरल में देश का सबसे पहला राष्ट्रपति शासन लागू हुआ।

इंदिरा गांधी का संक्षिप्त परिचय व तथ्य

> भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की एकमात्र संतान थीं और उनका जन्म 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) में हुआ था।

> उनकी शिक्षा स्विस स्कूलों और सोमरविले कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में हुई।

> उन्होंने 26 मार्च 1942 को फ़िरोज़ गाँधी से विवाह किया। उनके दो पुत्र थे।

> गांधी उपनाम के बावजूद, वे महात्मा गांधी के परिवार से संबंधित नहीं है।

> इंदिरा गांधी को 1960 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।

> 1966 में लाल बहादुर शास्त्री की अचानक मृत्यु के बाद, उन्होंने उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया।

> पीएम के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान उन्होंने 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया।

> 1975 में, एक चुनावी अपराध का दोषी पाए जाने के बाद और 6 साल के लिए राजनीति से बाहर रहने के बाद, उन्होंने आपातकाल लगा दिया।

> वह अपने पिता के बाद भारत की दूसरी सबसे लंबी सेवा करने वाली पीएम हैं।

> वह पूर्वी पाकिस्तान की स्वतंत्रता की लड़ाई और स्वतंत्रता आंदोलन के समर्थन में पाकिस्तान के साथ युद्ध करने का समर्थन किया, जिसके परिणामस्वरूप भारत की जीत के बाद, बांग्लादेश का निर्माण हुआ।

> 1984 में, पंजाब के उग्रवाद का मुकाबला करने के लिए अमृतसर में हरमंदिर साहिब में सेना की तैनाती के आदेश देने के कुछ महीनों बाद उनके ही सिख अंगरक्षकों ने उनकी हत्या कर दी।

> उनके अंगरक्षकों ने 31 गोलियां चलाई थीं, जिनमें से 23 उसके शरीर से गुज़रे थे जबकि 7 उसके अंदर फंसे थे।

> 1999 में बीबीसी द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन पोल में इंदिरा गांधी को “वुमन ऑफ़ द मिलेनियम” नामित किया गया था।

> गांधी प्रशासन के तहत भारतीय संविधान में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए समान काम के लिए समान वेतन का सिद्धांत निहित था।

> गांधी ने 1967 में परमाणु हथियारों के विकास को अधिकृत किया।

> 1971 में बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ भारत को जीत दिलाने के लिए इंदिरा गांधी को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

30 October 2020

6:18 PM : - सरदार वल्लभ भाई पटेल

सरदार वल्लभ भाई पटेल – ‘राष्ट्रवाद’ के प्रणेता को देश का नमन

सरदार वल्लभ भाई पटेल का व्यक्तित्व आधुनिक भारत का राष्ट्रवादी चेहरा है। जब हम भारत की बात करते हैं तो इतिहास का अध्ययन ‘सरदार’ के बगैर अधूरा है। ‘सरदार’ शब्द स्वयं में विराट और सम्पूर्णता का द्योतक है। भारत के ग्रामीण इलाकों में ‘सरदार’ शब्द प्रमुखता से आता है। सरदार का मतलब घर का मालिक यानी एक भरोसेमंद पुरुषत्व का महानायक।

राष्ट्रवाद के संदर्भ में उसी तरह सरदार पटेल को देखा जाता था। उनके नेतृत्व पर लोगों को खुद से अधिक विश्वास था। लेकिन आधुनिक भारतीय राजनीति और उसके दर्शन में पटेल विभाजित हो गए हैं। अवसरवादी और सत्ता सुलभ राजनीति ने सरदार के व्यक्तित्व को बेहद कम आँकने की भूल की है। राष्ट्रवाद उनमें कूट- कूटकर भरा था जिसकी वजह से उन्हें ‘सरदार’ की उपाधि मिली। स्वाधीन भारत की काँग्रेस सरकार में उन्होंने उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के रूप में काम किया।

सरदार वल्लभ भाई झावेरभाई पटेल का जन्म 31 अक्तूबर 1875 को गुजरात प्रांत के नडियाद में पाटीदार परिवार में हुआ था। पटेल अपने पिता झवेरभाई पटेल एवं माँ लाडबा की चौथी संतान थे। उनकी शिक्षा मुख्यतः स्वाध्याय से हुई। लन्दन जाकर उन्होंने वकालत की शिक्षा ली। अहमदाबाद की अदालत में उन्होंने प्रैक्टिस भी किया लेकिन उनका मन वकालत में नहीँ लगा। देश उस दौर में स्वाधीनता आंदोलन की आँच में गर्म था। अँग्रेजी हुकूमत से देश लड़ रहा था। गाँधीजी स्वाधीनता आंदोलन में अहम भूमिका निभा रहे थे। गाँधीजी के विचारों से प्रभावित होकर पटेल स्वाधीनता आंदोलन में कूद पड़े।

किसानों की जीत – बारडोली सत्याग्रह

सरदार पटेल का सबसे बड़ा योगदान 1918 में गुजरात के खेडा संघर्ष में हुआ। किसान सूखे की चपेट में थे। अंग्रेजी हुकूमत से लगान में छूट की मांग कर रहे थे, लेकिन अँगरेज यानी गोरों की सरकार इस मांग को नहीँ मान रही थी। पटेल ने गांधीजी और दूसरे नेताओं के साथ मिलकर किसानों की मांग का मुखर समर्थन किया। किसानों से लगान न जमा करने के लिए प्रेरित किया। बारडोली सत्याग्रह के बाद पटेल की छवि पूरे देश में अलग रूप से निखरी। उन्हीं की मुखरता की वजह से न्यायिक अधिकारी ब्लूमफील्ड और राजस्व अधिकारी मैक्सवेल को 22 फीसदी लगान वृद्धि को वापस लेना पड़ा। जिसकी वजह से बारडोली सत्याग्रह में किसानों की जीत हुई। इसी वजह से पटेल का नाम सीधे बारडोली सत्याग्रह से जुड़ गया।

गुजरात के एक दूसरे बड़े किसान आंदोलन में सत्याग्रह सफल होने पर वहां की महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि दी। पूरे गुजरात में किसान आंदोलन में पटेल की सशक्त भूमिका पर महात्मा गाँधी ने कहा था कि ‘इस तरह का हर संघर्ष, हर कोशिश हमें स्वराज के करीब पहुंचा रही है।’

भारत के लौहपुरुष

भारतीय राजनीति के इतिहास में राजशाही यानी सामंती व्यवस्था खत्म करने में सरदार पटेल का योगदान अहम था। गृहमंत्री के रूप में उनकी पहली प्राथमिकता रजवाडे खत्म करना था। वह सामंती शासन व्यवस्था के खिलाफ थे। जिसकी वजह से देशी रियासतों का भारत संघ में विलय उनका मुख्य लक्ष्य था। इसीलिए उन्हें ‘भारत का लौहपुरुष’ कहा जाता है। ‘भारत का प्रचीन इतिहास’ लिखने वाले तीन रूसी लेखकों अन्तोनोवा, बोगर्द लेविन और कोतोव्स्की ने लिखा है कि भारत में रियासतों के एकीकरण के लिए 1947 में एक विशेष मंत्रालय गठित किया गया जिसकी जिम्मेदारी पटेल को दी गई। यह भी लिखा गया है कि राज्यों के विलय के लिए राजाओं को 5.6 करोड़ की राजकीय पेंशन भी दी गई।

भारत में अँग्रेजी शासनकाल में कुल 601 देशी राज्य थे जिसमें 555 का विलय किया गया। लेकिन कुछ रियासतों को मिली विशेष सुविधाओं ने एकीकरण में समस्या खड़ी किया। जिसमें हैदराबाद, कश्मीर, जूनागढ़ और मैसूर थे। भारत संघ के साथ रियासतों के समझौते में 50 से लेकर 26 लाख तक सालाना पेंशन देशी रियासतों को देनी पड़ती थीं। राज्यों को विशेष सुविधाएं भी मिलती थी। निजाम हैदराबाद, कश्मीर को बाद में शामिल किया गया।

हैदराबाद रियासत के विलय के लिए सेना तक भेजनी पड़ी। क्योंकि निजाम हैदराबाद और जूनागढ़ पाकिस्तान और अँग्रेजी हुकूमत से मिलकर वह विलय प्रस्ताव नहीँ स्वीकार करना चाहते थे। जूनागढ़ ने तो बाकायदा पाकिस्तान में विलय की घोषणा कर दी थी। लेकिन सरदार के सामने एक न चली अंततः हैदराबाद और जूनागढ़ में सेना भेजकर सरदार पटेल ने इन देशी राज्यों को भारतीय संघ में मिला लिया। जबकि राजाओं को भागकर अपनी प्राण की रक्षा करनी पड़ी।

कश्‍मीर पर पटेल का पक्ष

भारत संघ में राज्यों के विलय को लेकर पटेल की नीति साफ थी। उन्होंने हैदराबाद, मैसूर और जूनागढ़ के विरोध को कुचल कर एकीकरण किया। जबकि नेहरू को यह नीति पसंद नहीं आयी और कश्मीर मसले को अपने पास रख लिया। नेहरू जी कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय समस्या बताते हुए इसे अपने पास रख लिया। यहाँ तक तो ठीक था लेकिन उन्होंने एक बड़ी भूल कर दी जो भारत के लिए नासूर बन गई। उन्होंने कश्मीर समस्या का अंतर्राष्ट्रीयकरण कर दिया और इस मसले को संयुक्त राष्ट्रसंघ में लेकर चले गए। उनकी यह सबसे बड़ी भूल थी। उसी समस्या को भारत आजतक झेल रहा है।

वर्तमान की बात करें तो सरदार पटेल की विचारधारा के समर्थक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कश्मीर को संवैधानिक जटिलताओं से मुक्त कर नई आजादी दिलाई। भारत के लिए 05 अगस्त 2019 दिन अहम साबित हुआ गृहमंत्री अमित शाह ने कश्मीर को मिले विशेष प्रावधान की धारा 370 और 35 (ए ) को खत्म दिया। इसके अलावा एक और बड़े फैसले की हिम्मत दिखाते हुए 31 अक्टूबर 2019 को जम्मू-कश्मीर को विभाजित कर लद्दाख एक अलग राज्य बना दिया।

नेहरू-पटेल में नहीं बना कभी संतुलन

नेहरू और पटेल में कभी संतुलन नहीं बन पाया। उसकी मुख्य वजह आप पटेल के शब्दों में सुन सकते हैं ‘मैंने कला या विज्ञान के विशाल गगन में ऊंची उड़ानें नहीं भरीं। मेरा विकास कच्ची झोपड़ियों में, गरीब किसान के खेतों की भूमि और शहरों के गंदे मकानों में हुआ है।’ जबकि नेहरू की विचारधारा सरदार से अलग थीं। पटेल राष्ट्रवादी चिंतक थे जबकि नेहरू का नज़रिया वैश्विक था। वे देश में इस तरह का कोई कार्य नहीँ होने देना चाहते थे जिससे दुनिया में भारत की छवि आलोचना की शिकार बने।

देशी रियासतों के भारत संघ में विलय के सवाल पर गाँधी ने पटेल के बारे में लिखा था ‘रियासतों की समस्या इतनी जटिल थी जिसे केवल तुम ही हल कर सकते थे।’ पंडित नेहरू ने कभी हिंदी-चीनी भाई- भाई का नारा दिया था। जबकि दूरदर्शी पटेल 1950 में नेहरू को लिखे एक पत्र में चीन तथा उसकी तिब्बत नीति से सावधान रहने चेतावनी दी थी। पटेल चीन को भारत का सबसे बड़ा दुश्मन मानते थे लेकिन नेहरू ने इस बात पर गौर नहीँ किया। पटेल ने पाकिस्तान से भी आगाह रहने को कहा था।

लंदन टाइम्स ने पटेल के लिए लिखा था ‘बिस्मार्क की सफलताएं पटेल के सामने महत्वहीन रह जाती हैं।’ मतलब साफ है यदि पटेल के कहने पर हम चलते तो कश्मीर, चीन, तिब्बत व नेपाल हमें आँख दिखाने की हिम्मत न जुटा पाते। भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा था ‘आज भारत जो कुछ भी है, उसमें सरदार पटेल का बहुत योगदान है, लेकिन इसके बावजूद हम उनकी उपेक्षा करते हैं। भारत निर्माण में हम पटेल की राष्ट्रवादी नीति को नहीँ भुला सकते हैं।

(ह‍िन्दुस्थान समाचार)

5:29 PM : शहरी आबादी से दूर बसाई जाएंगीं सैन्य छावनियां

शहरी आबादी से दूर बसाई जाएंगीं सैन्य छावनियां

किसी भी शहर का कैंट एरिया हमेशा से सबसे स्वच्छ और सुंदर होता है। दरअसल उसके रखरखाव की जिम्मेदारी सेना की होती है और वो किसी भी प्रकार की गंदगी से समझौता नहीं करती। लेकिन जिन शहरों में कैंट एरिया शहर के बीच में पड़ जाता है, वहां आपको कहीं न कहीं फर्क जरूर नज़र आ जाएगा। खैर आने वाले समय में यह फर्क नहीं मिलेगा, क्योंकि सैन्य छावनियां शहरी आबादी से दूर बसाई जाएंगी।

देश में आजादी से पहले बनाई गई सेना की छावनियों, सैन्य प्रतिष्ठानों और पुराने (विंटेज) आवासों को फिर नए सिरे से बसाया जायेगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि स्वतंत्रता से पूर्व इन्हें आबादी से दूर बसाया गया था लेकिन इन 70 सालों में यह सभी शहर की आबादी के बीच आ गए हैं, इसलिए अब इन्हें फिर नागरिक आबादी से दूर करने की योजना बनाई गई है।

शहर से दूर नए सिरे से बसाए जाने में सबसे बड़ी समस्या जमीन को लेकर आ रही है। भारतीय सेना ने पूरी योजना में पारदर्शिता रखने और आधारभूत ढांचे के प्रबंधन के लिए एक सॉफ्टवेयर बनाया है जिसे सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे ने लॉन्च किया है।

चार हिस्सों में बांटे गए 64 छावनी बोर्ड

भारत में सेना के 64 छावनी बोर्ड हैं जिन्हें चार हिस्सों में बांटा गया है। पहली श्रेणी में पचास हजार से अधिक जनसंख्या, दूसरी श्रेणी में दस हजार से अधिक लेकिन पचास हजार से कम, तीसरी श्रेणी में दो हजार पांच सौ से अधिक लेकिन दस हजार से कम और चौथी श्रेणी में दो हजार पांच सौ तक की आबादी वाली छावनियों को रखा गया है।

छावनी बोर्ड सैन्य क्षेत्र में सार्वजनिक स्वास्थ्य, जल आपूर्ति, स्वच्छता, प्राथमिक शिक्षा और सड़क प्रकाश व्यवस्था आदि बुनियादी जरूरतों को पूरा करते हैं। चूंकि सारे संसाधन भारत सरकार के स्वामित्व में हैं, इसलिए यह कोई कर नहीं लगा सकता है। भारत सरकार इन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

देश के 64 छावनी बोर्ड की संख्या राज्यवार देखें तो हिमाचल में 07, जम्मू-कश्मीर और तमिलनाडु में दो-दो, दिल्ली, हरियाणा, बिहार, झारखण्ड, मेघालय, ओडिशा, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना और गुजरात में एक-एक, पंजाब और राजस्थान में तीन-तीन, उत्तराखंड में 09, मध्य प्रदेश में 05, उत्तर प्रदेश में 13, महाराष्ट्र में 07, पश्चिम बंगाल में 04 सैन्य छावनियां हैं।

देश की आजादी से पहले इन सभी सैन्य छावनियों के साथ सैन्य प्रतिष्ठान भी शहर से दूर बसाए गए थे ताकि सेना की गतिविधियां शहरी आबादी से दूर हों। इन 70 सालों में शहरों की आबादी बढ़ती गई और नगर पालिका क्षेत्रों का विस्तार होता चला गया लेकिन सैन्य छावनियां अपनी जगह ही स्थापित रहीं। इसका नतीजा यह हुआ कि मौजूदा समय में सेना की छावनियां, सैन्य प्रतिष्ठान और पुराने आवास शहरी आबादी के बीच में आ गए हैं।

नए सिरे से खड़ा किया जाएगा इंफ्रास्ट्रक्चर

सेना के प्रवक्ता ने बताया कि अब सरकार ने सेना की छावनियों, सैन्य प्रतिष्ठानों और पुराने (विंटेज) आवासों को फिर से नागरिक आबादी से दूर स्थापित करने की योजना बनाई है। सेना का आधारभूत ढांचा फिर से खड़ा करना आसान नहीं है क्योंकि शहर से दूर नए सिरे से बसाए जाने में सबसे बड़ी समस्या जमीन को लेकर आ रही है। यह प्रक्रिया बोझिल और समय लेने वाली है जिसमें कई एजेंसियां शामिल हैं। वर्तमान में आधारभूत ढांचे के विकास और प्रबंधन की दिशा में भूमि की उपलब्धता, कार्यों की योजना और निगरानी, पर्यावरण संरक्षण और उत्तरदायी तिमाही नीतियों जैसे सभी कार्यों को हाथ से ही किया जाता है, जो न केवल समय लेने वाला है बल्कि अक्षम भी है।

दिल्ली में चार दिन हुई सैन्य कमांडरों के सम्मेलन में इस मुद्दे पर सेना के शीर्ष अधिकारियों के बीच अहम चर्चा हुई जिसके बाद इसलिए इस कार्य को गति देने, सशक्त, पारदर्शी कार्य प्रणाली बनाने के लिए भारतीय सेना ने ‘आधारभूत ढ़ांचा प्रबंधन प्रणाली (आईएमएस)’ नाम का एक सॉफ्टवेयर की शुरुआत की है। इसे सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुन्द नरवणे ने कमांडर सम्मेलन के दौरान लॉन्च किया है। इस विकसित सॉफ्टवेयर की सहायता से ही सेना की छावनियों, सैन्य प्रतिष्ठानों और पुराने (विंटेज) आवासों को नए सिरे से बसाने का कार्य किया जायेगा।

10:38 AM : COVID-19 Updates

10:38 AM : चीन से पहली वंदे भारत उड़ान

29 October 2020

4:34 PM : Annual Sardar Patel Memorial Lecture

3:34 PM : पाकिस्तान में पीएम मोदी का 'खौफ'

पीएम मोदी के ‘खौफ’ से पाकिस्तान ने किया था विंग कमांडर अभिनंदन को रिहा

भारतीय वायुसेना के पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान से हर कोई वाकिफ है। जी हां वही अभिनंदन जो विमान क्रैश होने के बाद पाकिस्‍तान की सरहद में पहुंच गए थे और फिर पाकिस्तान ने उन्हें भारत को सौंप दिया था। पाकिस्तान ने अभिनंदन को भारत को सौंपते वक्त कहा कि उसने यह फैसला मानवता के नाते लिया है, जबकि सच तो यह है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने यह फैसला भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के डर से लिया। जी हां यह खुलासा पाकिस्तान के ही पूर्व विदेश मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने किया है। उनका कहना है कि जब अभिनंदन की रिहाई को लेकर उच्च स्तरीय वार्ता चल रही थी, तब पाकिस्तानी सेना के जीव जनरल बाजवा के हाथ-पैर कांप रहे थे।

इस पूरे वाक्‍ये को समझने के लिए सबसे पहले एक नज़र दौड़ाते हैं पाकिस्‍तानी पीएम इमरान खान के शब्‍दों पर जो उन्‍होंने पाकिस्‍तान संसद में अभिनंदन पर अपने बयान में कहे। इमरान खान ने कहा, “ये जो टेंशन है, ये न पाकिस्तान को फायदा देती है, और न हिन्दुस्तान को। मैंने कल भी कोशिश की, नरेंद्र मोदी से बात करने की और सिर्फ डीएस्कलेट करने के लिए। हमनें यह भी कोशिश की है कि बाकी मेरे दोस्तों से शाम को बात हो रही है, तुर्की के राष्‍ट्रपति से भी। हम उनको भी चाहेंगे अपनी राय रखें। हम जो कोश‍िश कर रहे हैं, डीएस्कलेशन की, उसको कमजोरी न समझा जाये। ह‍िन्दुस्तान का पायलट जो हमने पकड़ा हुआ है। हम एस आ पीस जेस्चर, हम उसको कल उन्हें सौंप देंगे।”

पूर्व स्पीकर ने भी कही यही बात

इस बयान के करीब 20 महीने बाद पाक मीडिया में खबर आयी, जिसमें उन्हीं के पूर्व विदेश मंत्री ख्‍वाजा मोहम्मद आसिफ ने कहा, “पाकिस्तान ने भारतीय वायुसेना के पायलट अभिनंदन को भारत के खौफ की वजह से रिहा किया था। मो. आसिफ ने कहा कि भारत के खौफ की वजह से बीते साल विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान की रिहाई हुई थी। दरअसल यह फैसला भारत को खुश करने के लिए लिया गया था।”

पूर्व मंत्री मो. आसिफ की यह बात तब और पक्की हो गई, जब पाकिस्तानी संसद के पूर्व स्पीकर अयाज सादिक ने भी इसी विषय पर स्‍दन के अंदर एक बयान दिया। अयाज ने संसद में कहा, “रात 10 बजे के करीब जब अभिनंदन की रिहाई पर चर्चा चल रही थी तब पाकिस्तान को डर था कि कहीं भारत उस पर हमला न कर दे। इसी डर की वजह से भारत के हमले सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा के पैर कांप रहे थे और चेहरे पर पसीना आ रहा था।”

अगर इमरान खान के सदन में दिए गए बयान को इन दो पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से जोड़ कर देखें, तो साफ है कि जिस टेंशन की बात इमरान खान कर रहे थे, वो यह था कि अगर भारत ने हमला कर दिया, तो क्या होगा। और तो और पीएम खान का सदन में यह कहना कि उन्होंने अपने दोस्तों से बात की है, इस बात की ओर इशारा है कि सरकार ने एक रात पहले इस मुद्दे पर गहन चर्चा की।

12 मिसाइलें लेकर तैयार हैं मोदी

इसी वाक्‍ये से जुड़ा पीएम मोदी का वो बयान भी आपको जरूर याद होगा, जो उन्होंने गुजरात के पाटन में आयोजित चुनावी रैली में दिया था। प्रधानमंत्री ने कहा था, “अमेरिका के उच्च पद पर बेठे ऐसे एक शख्स ने अपना बयान दिया था कि मोदी अब कुछ बड़ा कर बैठेंगे। भारत ने एक साथ 12 मिसाइलें लगाई थीं। अमेरिका ने कहा था कि अच्छा हुआ कि पाकिस्‍तान ने पायलट को वापस कर दिया वरना वो रात कत्ल की रात होती।”

बता दें कि फरवरी 2019 में पाकिस्तान ने हमले के लिए अपने फाइटर जेट भारत में भेजे थे जिसका जवाब देने के लिए भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने मिग-21 में उड़ान भरी थी। उस दौरान उनका विमान क्रैश हो गया और पीओ के में जा गिरे थे।

3:04 PM : Cabinet Briefing by Union Minsters

Cabinet approves Mechanism for procurement of ethanol by Public Sector Oil Marketing Companies under Ethanol Blended Petrol Programme. Revised ethanol prices for supply to Public Sector OMCs for Ethanol Supply Year 2020-21.

Cabinet approves extension of Norms for Mandatory Packaging in Jute Materials. 100% of the food-grains and 20% of the sugar shall be mandatorily packaged in diversified jute bags.

Cabinet approves Externally Aided Dam Rehabilitation and Improvement Project (DRIP)–Phase II & Phase III To improve the safety and operational performance of selected 736 dams across the country, this project worth Rs 10,211 crore, will be implemented from April 2021-March 2031.

Cabinet approves Memorandum of Cooperation between India and Japan on cooperation in the field of Information and Communication Technologies.

2:39 PM : COVID-19 UPDATES:

2:29 PM : COVID-19 UPDATES:

2:15 PM : meeting with Delhi Health Secretary

Union Health Secretary Rajesh Bhushan holds meeting with Delhi Health Secretary in view of rising COVID-19 cases in national capital. Top officials of Delhi government participated in meeting.

12:55 PM : Air quality in Delhi

12:55 PM : Recovery rate improves

11:23 AM : Corona Virus Updates:

11:29 AM : BCG vaccination

10:30 AM : भारतीय सेनाएं में बनेंगी तीन कमांड

चीन-अमेरिका की तर्ज पर भारतीय सेनाएं में बनेंगी तीन कमांड, अंतरिक्ष से लेकर जमीनी युद्ध की होगी जिम्मेदारी

निरंतर अपनी सैन्य क्षमता को मजबूती प्रदान कर रहा भारत अब अपनी तीनों सेनाओं का पुनर्गठन कर चीन और अमेरिका की तर्ज पर तीन कमांड बनाएगा। दुनिया में बदलते युद्ध के पारंपरिक तौर-तरीके और ‘मॉडर्न वार’ को देखते हुए तीनों सेनाओं को एक करने का फैसला लिया गया है। इन्हीं तीन कमांड्स की अंतरिक्ष से लेकर साइबर स्पेस और जमीनी युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका होगी। यही नहीं चीन और पाकिस्तान से निपटने के लिए अलग से एक-एक कमांड बनेंगी। आपको बता दें कि सेना के थिएटर कमांड्स की व्यवस्था सिर्फ चीन और अमेरिका में है। फिलहाल यह ‘रोडमैप’ तैयार किया गया है, जिसे 2022 तक लागू किये जाने पर भारत ऐसा करने वाला तीसरा देश हो जाएगा।

मौजूदा समय में थल, नौसेना और वायुसेना के अपने-अपने कमांड्स हैं लेकिन पुनर्गठन होने पर हर थिएटर कमांड में भारत की तीनों सेनाओं नौसेना, वायुसेना और थल सेना की टुकड़ियां शामिल होंगी। सुरक्षा चुनौती की स्थिति में तीनों सेनाएं साथ मिलकर लड़ेगी। थिएटर कमांड का नेतृत्व केवल ऑपरेशनल कमांडर के हाथ में होगा। इसे देखते हुए भारत की सेनाओं को भी अत्याधुनिक बनाकर जमीनी युद्ध के साथ-साथ अंतरिक्ष, इंटरनेट और सीक्रेट वॉरफेयर के लायक सक्षम बनाने की जरूरत समझी गई। इसी के तहत बनाये गए ‘रोडमैप’ में तीनों सेनाओं को मिलाकर तीन स्पेशल कमांड गठित करने का फैसला लिया गया है, जो दुश्मन को किसी भी परिस्थिति में मुंहतोड़ जवाब दे सकें।

सीडीएस को सौंपी गई है जिम्मेदारी

केंद्र सरकार ने भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत को सेनाओं की तीन नई कमांड बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है। मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद जल्द ही सैन्य मामलों के विभाग के साथ इसके लिए अतिरिक्त और संयुक्त सचिव के पद सृजित किये जाने हैं। पहले से काम कर रही डिफेंस इंफॉर्मेशन एश्योरेंस एंड रिसर्च एजेंसी का विस्तार करते हुए इसे डिफेंस सा इबर एजेंसी (डीसीए) में बदला जाएगा।

एसओडी के लिए सेंट्रल पूल

इसी तरह स्पेशल ऑपरेशंस डिवीजन (एसओडी) के लिए तीनों सेनाओं से मिलाकर खास तौर पर एक ‘सेंट्रल पूल’ बनाया जाएगा। इसे गैर-पारंपरिक युद्धों की तकनीकों से लैस करके हर तरह की आधुनिक विशेषज्ञता मुहैया कराई जाएगी। यानी सबसे पहले डिफेंस सा इबर एजेंसी (डीसीए) बनेगी और इसके बाद डिफेंस स्पेस एजेंसी (डीएसए) व स्पेशल ऑपरेशंस डिवीजन (एसओडी) तैयार की जाएंगी ।

सीडीएस के पास साइबर कमांड

तैयार किये गए रोडमैप के मुताबिक इन तीनों कमांड का नेतृत्व चीफ ऑफ डि फेंस स्टाफ (सीडीएस) के हाथों में होगा । इसके अलावा सीडीएस के पास सशस्त्र बल स्पेशल ऑपरेशन डिवीजन, साइबर कमांड और उसके तहत रक्षा खुफिया एजेंसी होगी, जिसमें तीनों सेनाओं के अधिकारी शामिल होंगे। सेनाओं का नया ढांचा बनने के बाद थल सेनाध्यक्ष, वायु सेना प्रमुख और नौसेनाध्यक्ष के पास ऑपरेशनल जिम्मेदारी नहीं होगी लेकिन अमेरिकी सेना की तर्ज पर थिएटर कमांडरों के लिए संसाधन जुटाना इन्हीं के जिम्मे रहेगा।

एकीकृत कमांड में तीनों सेनाओं के अधिकारी

एकीकृत कमांड के तहत सेना, वायु सेना और नौसेना की इकाइयां रहेंगीं, जिसके परिचालन के लिए तीनों सेनाओं में से एक-एक अधिकारी को शामिल किया जायेगा। पांचों कमांड्स का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल या समकक्ष रैंक के कमांडरों के हाथों में होगा जो मौजूदा कमांड प्रमुखों के रैंक के बराबर होंगे।

चीन, पाकिस्तान के लिए विशेष कमांड

चीन और पाकिस्तान के लिए अलग से बनने वाली कमांड्स की जिम्मेदारी सिर्फ अपनी-अपनी सीमाओं तक सीमित होगी। चीन के लिए बनने वाली उत्तरी कमांड के पास वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के 3,425 किलोमीटर की सीमा के रख-रखाव की जिम्मेदारी होगी। इस कमांड का कार्यक्षेत्र लद्दाख के काराकोरम दर्रे से लेकर अरुणाचल प्रदेश की अंतिम भारतीय चौकी किबिथु तक रहेगा । इस कमांड का मुख्यालय लखनऊ हो सकता है। इसी तरह पाकिस्तान के लिए अलग से पश्चिमी कमांड बनेगी, जिसकी जिम्मेदारी चीन और सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र के सॉल्टोरो रिज पर इंदिरा कर्नल से गुजरात तक होगी, जिसका मुख्यालय जयपुर में रखे जाने की योजना है।

प्रायद्वीपीय कमांड

तीसरी कमांड प्रायद्वीपीय होगी, जिसका मुख्यालय केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में हो सकता है। चौथी एयर डिफेन्स कमांड देश की वायु सीमाओं की सुरक्षा के लिए समर्पित होगी, जिसकी जिम्मेदारी दुश्मनों पर नजर रखने और हवाई हमले करने की होगी। यह कमांड सभी लड़ाकू विमान, मिसाइलें, मल्टी रोल एयर क्राफ्ट पर अपना नियंत्रण रखेगी और भारतीय हवाई क्षेत्र की रक्षा करने के लिए भी जिम्मेदार होगी।

मौजूदा समय में भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना अलग-अलग तरह से बिना किसी तालमेल के भारतीय हवाई क्षेत्र की रक्षा करती हैं। यह भी एक तथ्य है कि भारतीय सेना के सभी कोर मुख्यालय वायुसेना के हवाई अड्डों के बगल में स्थित हैं, जिसकी वजह से खर्च का बोझ भी दोगुना पड़ता है। इस कमांड को भविष्य में जरूरत को देखते हुए एयरोस्पेस कमांड के रूप में विस्तारित किये जाने का भी प्रस्ताव है।

समुद्री सीमाओं पर नज़र रखेगी पांचवीं कमांड

भारत के पास पांचवीं और आखिरी समुद्री कमांड होगी, जिसमें मौजूदा अंडमान-निकोबार द्वीप कमांड (एएनसी) को इसके साथ मिला दिया जाएगा। चीन से जुड़ी समुद्री सीमा पर नौसेना की अंडमान-निकोबार कमांड (एएनसी) 2001 में बनाई गई थी। यह कमांड देश की पहली और इकलौती है, जो एक ही ऑपरेशनल कमांडर के अधीन जमीन, समुद्र और एयर फोर्स के साथ काम करती है।

पुनर्गठन के बाद समुद्री कमांड का काम हिन्द महासागर और भारत के द्वीप क्षेत्रों की रक्षा करना होगा और साथ ही समुद्री गलियारों को किसी भी बाहरी दबाव से मुक्त और खुला रखना होगा। शुरुआत में भारतीय नौसेना की समुद्री संपत्ति पूर्वी सीबोर्ड पर पश्चिमी समुद्र तट, विशाखापट्टनम पर करवार में और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में रखी जाएगी। खतरे के रूप में चीन के उभरने पर समुद्री कमांड का वैकल्पिक मुख्यालय आंध्र प्रदेश की नई राजधानी में रखने और नौसेना संचालन के लिए पोर्ट ब्लेयर को एक और प्रमुख आधार बनाने का प्रस्ताव है।

(हिन्दुस्थान समाचार)

10:13 AM : US presidential election

10:00 AM : COVID-19 Testing Update

9:38 AM : COVID-19 Testing Update

28 October 2020

3:01PM : एम्स बठिंडा में अत्याधुनिक सुविधाओं वाले उपकरण का उद्घाटन

2:48 PM : COVID-19 diagnostic machine

2:31 PM : eSanjeevani

1:58 PM : Festival of democracy

1:43 PM : All schools in Delhi will remain closed

1:23 PM : Manasi G. Joshi

1:23 PM : Manasi G. Joshi

11:47 AM : ऊंटनी का दूध

ऊंटनी का दूध सिर्फ दूध नहीं बल्कि कई रोगों का है ईलाज, जानें फायदे

कोरोना महामारी का प्रकोप सबसे ज्यादा डायबिटीज, कैंसर, टीबी, बीपी, हार्ट रोग से ग्रसित मरीजों को पर हो रहा है। गर्मी के बाद बदलते मौसम और सर्दी में अस्थमा और सांस के मरीजों प्रभावित होते हैं। ऐसे में उन्हें ज्यादा सतर्क रहना है। लेकिन कोरोना से बचाव के नियमों के पालन के साथ ही अस्थमा से राहत के लिये ऊंटनी का दूध काफी फायदेमंद साबित हो रहा है। सिर्फ अस्थमा ही नहीं वैज्ञानिकों ने पाया कि ऊंटनी का दूध डायबिटीज और अति मंदबुद्धि बच्चों को भी ठीक करने में यह मददगार है। इसका अनुसंधान भी वैज्ञानिक कर चुके हैं।

कई रोगों से निजात दिलाता है ऊंटनी का दूध

ऊंटनी का दूध कई रोगों की गंभारता को कम करने में भी मददगार होता है, जिनमें कैंसर, किडनी, आटिज्म के लक्षणों को कम करने, माइक्रोबियल संक्रमण से आराम दिलाए, आंत से जुड़ी समस्या से आराम, एलर्जी से आराम दिलाए, ऑटोइम्यून रोगों से आराम पहुंचाता है।

ऊंटनी के दूध में पाये जाने वाले पोषक तत्व

जिंक, मैंगनीज, मैग्नीशियम, आयरन, सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम के अलावा कई विटामिन जिनमें -ए, बी, सी, डी और विटामिन-ई पाये जाते हैं।

लॉकडाउन में चर्चा में आया था ऊंटनी का दूध

कोरोना की वजह से लॉकडाउन में ऊंटनी का दूध उस वक्त भी चर्चा में आया जब एक ऑटिज्म और खाने की दूसरी एलर्जी से जूझ रहे साढे तीन साल के बच्चे के लिये उसकी मां ने सोशल मीडिया पर ऊंटनी के दूध के लिये गुहार लगाई। जिसके बाद उड़िसा के एक आईपीएस अधिकारी अरुण बोथरा ने महिला से उन्होंने संपर्क कर मुंबई में रहने वाली महिला तक दूध पहुंचवाया। ऐसा नहीं है कि देश में ऊंटनी के दूध की कमी है बल्कि इसके फायदे से अनजान और ऊंटनी के दूध का न तो कोई सेंटर है और ना ही सरकार ने कोई प्रोत्साहन स्वरूप प्लांट लगाया।

क्या कहते हैं राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान संस्थान के निदेशक

इस बारे में राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान संस्थान (एनआरसीसी) के पूर्व निदेशक डॉ. एन.वी.पाटिल सरकार का इस ओर ध्यान आकर्षित कराना चाहते हैं। उनका कहना है कि वर्तमान परिदृश्य में ऊंट जिस दौर से गुजर रहा है उससे लगता है कि आने वाली सदी में ऊंट चिडिय़ाघर में ही देखे जाएंगे। कागजों में बहुत सारी पॉलिसी बनती हैं लेकिन धरातल पर काम नहीं दिख रहा। एक जानी-मानी दूध की कंपनी ने ऊंटनी के दूध से चॉकलेट बनाई और प्रधानमंत्री से उसका शुभारंभ कराया लेकिन उसके बाद काम बंद हो गया। राजस्थान में राज्य पशु घोषित किया गया लेकिन उसके दूध के मार्केट को लेकर सरकार की ओर से अभी तक कोई कदम दिखाई नहीं दिया। उन्होंने बताया कि अकेले राजस्थान में ऊंटनी का दूध करीब चार लाख लीटर उत्पादन होता है लेकिन इसकी वैल्यू अभी तक न तो सरकार ने समझी और ना ही किसानों ने।

प्रदेश का एकमात्र जैसलमेर जिला है जहां एक संस्था प्रतिदिन 200 से 300 लीटर दूध बेचती है। यहां से कुछ दूध बाहर की कंपनियां भी ले जाती हैं लेकिन शेष 32 जिलों में ऊंटनी के दूध पर कहीं काम नहीं हो रहा है। प्रदेश में अब ऊंटों की संख्या करीब ढाई लाख बची है जिसमें से 50 प्रतिशत ऊंटनी है। यही वजह है कि इतने बड़े स्तर पर ऊंटनी के दूध का कोई उपयोग नहीं हो पा रहा।

11:31 AM : State-wise details

11:05 AM : Voters being felicitated at polling booths

10:55 AM : Global COVID-19 cases

10:43 AM : COVID-19 Updates

10:38 AM : COVID-19 Updates

10:29 AM : COVID-19 Updates

10:01 AM : बिहार विधानसभा चुनाव

9:38 AM : बिहार विधानसभा चुनाव

बिहार विधानसभा चुनाव – पहले चरण में 71 सीटों पर मतदान शुरू

(1111 words)

बिहार विधानसभा की 243 सीटों के लिए तीन चरण में 28 अक्टूबर, 3 नवम्बर और 7 नवम्बर को मतदान कराया जाना है। पहले चरण में 16 जिलों के 71 सीट पर आज मतदान शुरू हो गया है। चुनाव परिणाम 10 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। चुनाव के पहले चरण में राज्य सरकार के 8 मंत्रियों की परीक्षा है। पहले चरण में महागठबंधन की अग्निपरीक्षा होने वाली है। बिहार में आरजेडी और कांग्रेस के साथ तीन प्रमुख वामपंथी दलों का एक चुनावी गठबंधन पर जनता मे शक है. भिन्न विचारधारा और कई आर्थिक-सामाजिक मुद्दों पर मतभेदों के बावजूद आरजेडी और कांग्रेस से इन वामदलों के चुनावी तालमेल असरदार नहीं है।

कोरोना महामारी के दौरान हो रहे बिहार विधानसभा के चुनाव के पहले चरण में कोविड-19 प्रोटोकॉल के साथ शांतिपूर्वक वोट डाले जा रहे हैं। मतदान केंद्रों पर सुबह से ही मतदाता मतदान केंद्रों पर पहुंचना शुरू हो गए। भभुआ के बूथ संख्या 142, कुर्था, शेखपुरा, बरबीघा, सासाराम, बांका और लखीसराय आदि स्थानों के कुछ बूथों पर ईवीएम मशीन खराब होने के कारण कुछ समय मतदान प्रभावित हुआ।

पहला चरण मे इन जिलों में हो रही है वोटिंग

बक्सर, भोजपुर, अरवल, जहानाबाद, औरंगाबाद, गया, कैमूर, रोहतास, नवादा, शेखपुरा, मुंगेर, बांका, जमुई और लखीसराय जिले में वोटिंग होगी।

71 विधानसभा सीटें

बिहार चुनाव के पहले चरण की विधानसभा सीटें है, जिनमें कहलगांव, सुल्तानगंज, अमरपुर, धोरैया (एससी), बांका, कटोरिया (एसटी), बेलहर, तारापुर, मुंगेर, जमालपुर, सूर्यगढ़, लखीसराय, शेखपुरा, बारबीघा, मोकामा, बाढ़, मसौढ़ी (एससी), पालीगंज, बिक्रम, संदेश, बराहरा, आरा, अगियांव (एससी), तरारी, जगदीशपुर, शाहपुर, ब्रह्मपुर, बक्सर, दुमरांव, रायपुर (एससी), मोहनिया (एससी), भाबुआ, चैनपुर, चेनारी (एससी), सासाराम, करगहर, दिनारा, नोखा, देहरी, कराकट, अरवल, कुर्था, जेहानाबाद, घोसी, मखदूमपुर (एससी), गोह, ओबरा, नबी नगर, कुटुम्बा (एससी), औरंगाबाद, रफीगंज, गुरुआ, शेरघाटी, इमामगंज, (एससी), बाराचट्टी (एससी), बोध गया (एससी), गया टाउन, टीकरी, बेलागंज, अतरी, वजीरगंज, राजौली (एससी), हिसुआ, नवादा, गोबिंदपुर, वरसालीगंज, सिकंदरा (एससी), जमुई, झाझा, चकाई सीटें शामिल हैं।

हेलीकॉप्‍टर से रखी जा रही निगरानी

पहले चरण की 71 सीटों में से 35 नक्सल प्रभावित हैं। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुबह सात से शाम चार बजे तक वोट डाले जायेंगे जबकि अन्य सीटों पर शाम छह बजे तक मतदान होगा। कोरोना के चलते चुनाव आयोग ने वोटिंग का समय एक घंटे बढ़ाया है। इस बीच औरंगाबाद के ढिबरा में सीआरपीएफ ने दो आईईडी बरामद की हैं, जिन्हें बाद में डिफ्यूज कर दिया गया।

सभी बूथों पर अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है। इसके अलावा हेलीकॉप्टर से भी निगरानी की जा रही है। इस काम के लिए दो हेलीकॉप्टर लगाये गये हैं। पहले चरण में 31 हजार 380 मतदान केंद्र बनाये गये हैं। दो करोड़, 14 लाख, 6 हजार 96 मतदाता अपने अधिकार का इस्तेमाल करेंगे। पहले चरण में 1,066 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इनमें 114 महिला और 952 पुरुष हैं। राजद के 42, जदयू के 35, भाजपा के 29, कांग्रेस के 21, रालोसपा के 43, लोजपा के 42, बसपा के 27 माले के आठ, हम के छह और वीआईपी के एक उम्मीदवार हैं।

पहले चरण के राजनीतिक समीकरण

पहले चरण में चुनाव एनडीए के लिए खास राजद के बाद दूसरे नंबर नीतीश कुमार की जेडीयू थी जिसने 19 सीटों पर पिछले चुनाव में जीत दर्ज की थी वहीं 12 सीट पर एनडीए की दूसरी सहयोगी भाजपा के विधायक हैं। इस बार पहले चरण में एनडीए गठबंधन के तहत जदयू ने 35, भाजपा ने 29, हम ने 6 और वीआईपी ने इकलौती सीट ब्रह्मपुर से अपने प्रत्याशी दिए हैं। एनडीए के चारों दल ने अच्छी संख्या में नए लड़ाकों को मैदान में उतारा है।

इनमें से कई को मौका पुराने और दिग्गज नेताओं का टिकट काटकर दिया गया है। इन चारों दलों के उम्मीदवारों की बात करें तो 71 में से 21 सीटों पर ऐसे उम्मीदवार मैदान में हैं जो पहली बार विधानसभा के दंगल में उतरे हैं।

जदयू ने अपने हिस्से की 115 सीटों में से 27 पर नए प्रत्याशियों को मौका दिया है। इनमें सबसे अधिक 11 पहले ही चरण में चुनाव मैदान में हैं। हम की ओर से भी पहले चरण में कुटुंबा सीट से श्रवण भुंइयां और सिकंदरा सीट से प्रउल्ल मांझी जबकि वीआईपी से ब्रह्मपुर से जयराम चौधरी पहली ही बार चुनाव लड़ने उतरे पहले चरण के चुनाव में आरजेडी 42 सीट पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस 21 सीट पर चुनाव लड़ रही है।

27 October 2020

8:31 AM : India's Fatality Rate has touched 1.5%

8:23 AM : Special suburban trains

8:13 AM : मतदान कल

पहले चरण के लिए थमा चुनाव प्रचार, 71 सीटों के लिए मतदान कल

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर पहले चरण में 16 जिलों की 71 सीटों पर प्रचार का दौर सोमवार शाम पांच बजे समाप्त हो गया। अब प्रत्याशी चुनाव प्रचार नहीं कर सकेंगे। पहले चरण के लिए 28 अक्टूबर को मतदान होगा। पहले चरण में कुल 1,064 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। पहले चरण में जिनके भाग्य का फैसला होना है, उनमें राजद के 42 तो जदयू के 35, भाजपा के 29, कांग्रेस के 21, रालोसपा के 43, लोजपा के 42, बसपा के 27 माले के आठ, हम के छह और वीआईपी के एक उम्मीदवार शामिल हैं।

पहले चरण में कई सियासी दिग्गजों पर नजरें टिकी हैं। इनमें नीतीश सरकार के 8 मंत्रियों की साख भी दांव पर लगी है। इनमें चार भाजपा और चार जदयू कोटे के मंत्री है। जिन मंत्रियों के भाग्य का फैसला 28 को होने वाला है उनमें कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार, शिक्षा मंत्री कृष्नंदन वर्मा, ग्रामीण विकास मंत्री शैलेश कुमार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जय कुमार सिंह, परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला, राजस्व मंत्री रामनारायण मंडल, श्रम मंत्री विजय कुमार सिन्हा और अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण मंत्री बृजकिशोर बिंद शामिल हैं।

इनके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, पूर्व मंत्री विजय प्रकाश, रामेश्वर चौरसिया, राजेंद्र सिंह, श्रेयसी सिंह, भगवान सिंह कुशवाहा और मोकामा से बाहुबलि विधायक अनंत सिंह की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है।

(हिन्दुस्थान समाचार)

26 October 2020

3:52 PM : The bilateral meeting

3:23 PM : Raksha Mantri dedicates BRO Road to the Nation

3:04 PM : Pompeo arrives India

2:55 PM : Fresh snowfall

2:25 PM : IndiaEnergyForum

9:51 AM : COVID-19

9:42 AM : COVID-19 Update

9:38 AM : COVID-19 Testing Update

9:23 AM : COVID-19 Update

9:19 AM : एयर इंडिया वन

दूसरा ‘एयर इंडिया वन’ भी पहुंचा भारत

भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की यात्रा ओं के लिए भारत के वीवीआईपी बेड़े का दूसरा ‘एयर इंडिया वन’ रविवार को अमेरिका से आ गया। अत्याधुनिक मिसाइल रक्षा प्रणाली से लैस यह वीवीआईपी विमान दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरा। पहला वीवीआईपी एयरक्राफ्ट एक अक्टूबर को भारत आया था। ये दोनों विमान 2018 तक एयर इंडिया के वाणिज्यिक बेड़े का हिस्सा थे, जिन्हें वीवीआईपी विमान बनाने के लिए अमेरिका भेजा गया था ।

भारत के वीवीआईपी बेड़े के लिए ‘एयर इंडिया वन’ का इंतजार अब खत्म हो गया है, क्योंकि अब दोनों हाई-टेक विमान भारत आ चुके हैं। इ नका इस्तेमाल प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की उड़ान के लिए किया जाएगा, जिसे वायु सेना के पायलट उड़ाएंगे।

मिसाइल डिफेंस सिस्टम से लैस

मिसाइल डिफेंस सिस्टम से लैस दूसरे ‘एयर इंडिया वन’ में भी अशोक की लाट बनी है, जिसके एक तरफ हिन्दी में ‘भारत’ और दूसरी तरफ अंग्रेजी में ‘INDIA’ लिखा है। साथ ही विमान की पूंछ पर बना ‘तिरंगा’ भारत की शान दर्शा रहा है। दोनों विमान को जुलाई में ही बोइंग कंपनी से भारत को मिलने थे लेकिन पहले कोविड-19 महामारी के कारण और फिर तकनीकी कारणों से देरी हुई।

25 साल पुराने बोइंग-747 की होगी विदाई

भारत को मिले ‘एयर इंडिया वन’ में भारत सरकार के ऑर्डर पर बड़े मिसाइल इन्फ्रारेड काउंटरमेशर (एलएआईआरसीएम) और सेल्फ-प्रोटेक्शन सूट (एसपीएस) नामक अत्याधुनिक मिसाइल रक्षा प्रणाली फिट की गई है। मौजूदा समय में प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति घरेलू यात्रा के लिए भारतीय वायु सेना के विमान और अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए एयर इंडिया के बोइंग-747 में उड़ान भरते हैं।

इनके आने के बाद एयर इंडिया वीवीआईपी बेड़े से 25 साल पुराने बोइंग-747 विमान हटा लिये जाएंगे। यह दोनों विमान भारतीय वायुसेना के पायलट उड़ाएंगे। विमानों का मेंटेनेंस एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेज लिमिटेड (एआईईएसएल) द्वारा किया जाएगा। दोनों विमानों के पुनर्निर्माण में लगभग 8,400 करोड़ रुपये की लागत आई है।

अत्याधुनिक तकनीक से लैस

एयर इंडिया वन विमान पूर्ण हवाई कमान केंद्र की तरह काम करते हैं, जिनके अत्याधुनिक ऑडियो-वीडियो संचार को टैप या हैक नहीं किया जा सकता। दोनों विमान एक तरह से मजबूत हवाई किले की तरह हैं। राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री के लिए इ न विमानों में उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट की सुविधा है, जो विमान पर किसी भी तरह के हमले को न केवल रोकते हैं बल्कि हमले के समय जवाबी कार्रवाई भी कर सकते हैं।

सेल्फ-प्रोटेक्शन सूट (एसपीएस) से लैस होने के नाते यह विमान दुश्मन के रडार सिग्नल्स को जाम कर के पास आने वाली मिसाइलों की दिशा भी मोड़ सकते हैं । विमान के अंदर एक कॉन्फ्रेंस रूम, वीवीआईपी यात्रियों के लिए एक केबिन, एक मेडिकल सेंटर और अन्य गण्यमान्य व्यक्तियों, स्टाफ के लिए सीटें हैं। यह विमान एक बार ईंधन भरने के बाद लगातार 17 घंटे तक उड़ान भर सकेंगे ।

हो सकती है हवा में रीफ्यूलिंग

वर्तमान में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति ए य र इंडिया के बी – 747 विमानों से यात्रा करते हैं, जिन पर ए य र इंडिया का चिह्न होता है। भारतीय वीवीआईपी बेड़े के मौजूदा विमान सिर्फ 10 घंटे तक ही लगातार उड़ सकते हैं लेकिन इन दोनों हाई-टेक विमा नों की वायु सेना के विमानों की तरह ही उड़ने में असीमित रेंज होगी। इमरजेंसी की स्थिति में प्लेन मिड-एयर रीफ्यूल करने में भी सक्षम होगा।

ट्विन जीई90-115 इंजन वाला ‘एयर इंडिया वन’ अधिकतम 559.33 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से उड़ सकता है। इनमें सफेद, हल्का नीला और नारंगी रंग है। हल्का नीला और सफेद रंग का इस्तेमाल अधिक किया गया है जबकि नारंगी रंग की हवाई जहाज के बीच में लाइन दी गई है।

( हिन्दुस्थान समाचार)

9:01 AM : Prime Minister will interact with CEOs

25 October 2020

4:30 PM : गंगटोक-नाथुला वैकल्पिक मार्ग का उद्घाटन

रक्षमंत्री ने किया गंगटोक-नाथुला वैकल्पिक मार्ग का उद्घाटन

नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (हि.स.)। उत्तर-पूर्व क्षेत्र में परिचालन स्थिति और सैन्य तैयारियों की समीक्षा करने के दो दिवसीय दौरे के दूसरे दिन रक्षा मंत्री राजनाथ ने रविवार को सुकना में 33 कोर मुख्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सिक्किम सेक्टर में राष्ट्रीय राजमार्ग-310 के गंगटोक-नाथुला वैकल्पिक मार्ग का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि गंगटोक से नाथूला को जोड़ने वाला एनएच-310 पूर्वी सिक्किम के सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों की जीवन रेखा है। 19.35 किलोमीटर लम्बे वैकल्पिक मार्ग का निर्माण करके सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने पूर्वी सिक्किम के निवासियों और सेना की आकांक्षाओं को पूरा किया है।

एनएच-310 पूर्वी सिक्किम के सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों की जीवन रेखा

राजनाथ सिंह ने कहा कि पुराने वैकल्पिक मार्ग एनएच-310 पर भारी मात्रा में भूस्खलन और सिंकिंग की संभावनाओं वाला क्षेत्र है। इससे बरसात के मौसम में यहां के लोगों और सेना को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अब यह 19.35 किलोमीटर वैकल्पिक मार्ग बनने से ये दिक्कतें दूर हो सकेंगी। मैं आप सबको यह भी बताना चाहता हूं कि बीआरओ सिक्किम की अधिकांश सीमावर्ती सड़कों का डबल लेन में उन्नयन कर रहा है। इसमें से पूर्व सिक्किम में 65 किलोमीटर सड़क निर्माण-कार्य प्रगति पर है और 55 किलोमीटर सड़क निर्माण योजना के तहत है। नॉर्थ सिक्किम में भारतमाला परियोजना के अंतर्गत चु मगन-चुगथांग-यूमेसेमडोंग और चुगंथांग-लाचेन-गामा-मुगुथांग-नचुला 225 किलोमीटर डबल लेन सड़क का निर्माण कार्य नियोजित है। ये कार्य 9 पैकेजों में नियोजित किए गए हैं जिनकी अनुमानित लागत 5710 करोड़ रुपये है।

बीआरओ ने पूर्वी क्षेत्र के निवासियों और सेना की आकांक्षाओं को पूरा किया

रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के दिशा-निर्देश में पूर्वोत्तर राज्यों में बुनियादी ढांचे के निर्माण में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। बीआरओ के पास पूर्वोत्तर क्षेत्र में कुल 8090 किमी. लम्बाई की सड़कें हैं। इनमें से 5734 किमी. निर्माण योजना में है। पैकेज 1 की स्वीकृति शीघ्र ही होने वाली है। शेष पैकेज के डीपीआर में है। इस प्रोजेक्ट में आधुनिक तकनीक से बनी सड़कों से नॉर्थ सिक्किम के दूर-दराज के इलाके जोड़े जायेंगे। इससे न केवल स्थानीय सामाजिक एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा बल्कि सैन्य तत्परता भी बेहतर होगी। हमारी सरकार का शुरू से ही देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क, पुल, सुरंग एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर ध्यान केन्द्रित रहा है। सड़कें किसी भी राष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

उन्होंने कहा कि कुछ समय तक पहले तक हमारे यहां एक विषम धारणा थी कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों का विकास हमारे हित में नहीं है। समझा जाता था कि सीमा की सड़कें विपरीत परिस्थितियों में हमारा ही नुकसान कर सकती हैं। हमने इस धारणा को तोड़ा और सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास की नई रहें खुलीं। प्रधानमंत्री नियमित रूप से इन परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा कर रहे हैं और हर समय निधि प्रवाह सुनिश्चित किया जा रहा है। संगठन का वार्षिक बजट आज से पांच-छह साल पहले तक तीन से चार हज़ार करोड़ के बीच हुआ था, अब वह 11000 करोड़ रुपये तक हो चुका है।

युद्ध स्मारक में शस्त्र पूजन

उन्होंने सिक्किम राज्य सरकार के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री, उनके मंत्रिमंडल और अधिकारियों का योगदान प्रशंसनीय है। बीआरओ को सड़क निर्माण के लिए शीघ्र भूमि अधिग्रहण, वन विभाग से मंजूरी और पत्थर खदान की स्थापना में आप लोगों का विशेष सहयोग मिला।

इससे पूर्व रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दार्जिलिंग में सुकना युद्ध स्मारक में शस्त्र पूजन किया। आज सुबह दार्जिलिंग में सुकना युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की और जवानों को संबोधित किया। उनके साथ सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे भी उपस्थित रहे। उन्होंने पूजन के बाद कहा कि भारतीय सेना के जवानों से भेंट करके मुझे हमेशा बेहद ख़ुशी होती है। उनका मनोबल बहुत ऊंचा रहा है, इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। भारत चाहता है कि तनाव ख़त्म हो और शांति स्थापित हो। मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं कि हमारी सेना भारत की एक इंच ज़मीन भी दूसरे के हाथ में नहीं जाने देगी।

(हिन्दुस्थान समाचार)

24 October 2020

1:59 PM : अगले तीन महीने होंगे निर्णायक

1:06 PM : Industry 4.0 Technology

12:56 PM : Industry 4.0 Technology

इस प्रक्रिया में ऐसी स्मार्ट मशीनों का उत्पादन शामिल है, जो मानव हस्तक्षेप के बिना उत्पादन से जुड़ी समस्याओं का विश्लेषण और निदान कर सकती है।

चौथी पीढ़ी के उद्योगों (इंडस्ट्री-4.0) के मौजूदा दौर में इन स्मार्ट तकनीकों के उपयोग से पारंपरिक विनिर्माण और औद्योगिक कार्यप्रणालियों के ऑटोमेशन पर विशेष बल दिया जा सकता है।

12:32 PM : गिरनार में रोपवे का शुभारंभ

12:01 PM : Covid update

12:01 PM : Covid update

11:59 PM : प्रधानमंत्री का संबोधन

 

गिरनार पर्वत पर मां अंबे भी विराजती हैं, गोरखनाथ शिखर भी है, गुरु दत्तात्रेय का शिखर है और जैन मंदिर भी है। यहां की सीढ़ियां चढ़कर जो शिखर पर पहुंचता है, वो अद्भुत शक्ति और शांति का अनुभव करता है। अब यहां विश्व स्तरीय रोप-वे बनने से सबको सुविधा मिलेगी, दर्शन का अवसर मिलेगा।

इस नई सुविधा के बाद यहां ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालु आएंगे, ज्यादा पर्यटक आएंगे। आज जिस रोप-वे की शुरुआत हुई है, वो गुजरात का चौथा रोप-वे है। बनासकांठा में अंबाजी के दर्शन के लिए, पावागढ़ में, सतपूड़ा में तीन और रोप-वे पहले से काम कर रहे हैं।

अगर गिरनार रोप-वे कानूनी उलझनों में नहीं फंसा होता, तो लोगों को इसका लाभ बहुत पहले ही मिलने लग गया जाता। हमें सोचना होगा कि जब लोगों को इतनी बड़ी सुविधा पहुंचाने वाली व्यवस्थाओं का निर्माण, इतने लंबे समय तक अटका रहेगा, तो लोगों का कितना नुकसान होता है।

आयुष्मान भारत योजना के तहत गुजरात के 21 लाख लोगों को मुफ्त इलाज मिला है। सस्ती दवाइयां देने वाले सवा 5 सौ से ज्यादा जनऔषधि केंद्र गुजरात में खुल चुके हैं। इसमें से लगभग 100 करोड़ रुपए की बचत गुजरात के सामान्य मरीज़ों को भी हुई है।

बीते दो दशकों में गुजरात ने आरोग्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम किया है। चाहे वो आधुनिक अस्पतालों का नेटवर्क हो, मेडिकल कॉलेज हों, गांव-गांव को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ने का बहुत बड़ा काम किया गया है।

गुजरात ने तो बिजली के साथ सिंचाई और पीने के पानी के क्षेत्र में भी शानदार काम किया है। इस कार्यक्रम में जुड़े हम सभी जानते हैं कि गुजरात में पानी की क्या स्थिति थी। बीते दो दशकों के प्रयासों से आज गुजरात उन गांवों तक भी पानी पहुंच गया है, जहां कोई पहले सोच भी नहीं सकता था।

इस योजना के तहत अगले 2-3 वर्षों में लगभग साढ़े 3 हज़ार सर्किट किलोमीटर नई ट्रांसमिशन लाइनों को बिछाने का काम किया जाएगा। मुझे बताया गया है कि आने वाले कुछ दिनों तक हज़ार से ज्यादा गांवों में ये योजना लागू भी हो जाएगी। इनमें भी ज्यादा गांव आदिवासी बाहुल्य इलाकों में हैं।

10:03 PM : In Conversation

23 October 2020

11:48 AM : बिहार चुनाव: सासाराम में जनसभा को संबोधित करने पहुंचे प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने कहा :

भारत की विकास यात्रा में अहम योगदान देने वाले बिहार आकर बेहद खुश हूं।

11:21 AM : बार-बार कपड़े धोने से बच सकते हैं

कोरोना काल में सर्दी के मौसम में बार-बार कपड़े धोने से बच सकते हैं, रखें इन बातों का ध्यान

भारत की स्वदेशी वैक्सीन बायोटेक की कोरोना वैक्सीन के दो फेज के सफल ट्रायल के बाद अब तीसरे फेज के ट्रायल की मंजूरी मिल गई है। लेकिन जब तक तीसरे फेज के परिणाम आयेंगे तब तक कोरोना से बचाव की इलाज है। इसलिये पीएम मोदी ने भी बार-बार दोहराया है कि जब तक दवाई नहीं तक ढिलाई नहीं। वहीं बसंत ऋतु से शुरू हुये कोरोना ने गर्मी, बारिश के बाद सर्दी अब भारत में सर्दी के मौसम में प्रवेश करने वाला है। ऐसे में लोगों में ठंड में कोरोना के प्रकोप से बचने के लिये क्या कुछ सावधानी रखनी है, इस बारे में आरएमएल, नई दिल्ली के डॉ. ए के वार्ष्‍णेय ने कई महत्वपूर्ण जानकारी दी।

सांस और अस्थमा के मरीज रखें सावधानी

डॉ. वार्ष्‍णेय ने कोरोना काल में सांस के मरीजों को सलाह देते हुये कहा कि सर्दी के मौसम में अस्‍थमा और सांस के मरीजों को तकलीफ बढ़ जाती है, क्योंकि मौसम में कई प्रकार के रेस्प‍िरेटरी वायरस एक्टिव हो जाते हैं और रेस्‍प‍िरेटरी इंफेक्शन बार-बार होता है। इस बार जहां तक संभव हो ऐसे लोग घर में ही रहें। अगर बाहर निकलते हैं, तो अपनी दवाइयां बिलकुल भी कम मत करें। अगर लक्षण बढ़ते हैं, तो तुरंत डॉक्‍टर से संपर्क करें। मास्‍क लगाने में कोताही मत बरतें और धूम्रपान से दूर रहें। हो सके तो इंफ्लुएंजा वैक्‍सीन लगवा लें।

सर्दी के मौसम में कपड़े धोने से बच सकते है

वहीं सर्दी के मौसम में बार-बार बाहर से आने पर नहाने और कपडे़ धोने की चिंता भी लोगों को सता रही है। इस बारे में उन्होंने कहा कि जिस जगह पर आप जा रहे हैं, वहां अगर सभी लोग मास्क लगाये हुए हैं, तो आपके कपड़ों पर इंफेक्शन आने की संभावना बहुत कम होगी। लगभग न के बराबर। फिर भी अगर मान लें कि वायरस कपड़े पर आ गया है, तो सूखी सतहों पर वायर 8-10 घंटे से अधिक जीवित नहीं रहता है। इस तरह से प्लान करें कि एक जैकेट या स्वेटर हर बार ऊपर पहनें, घर आते ही उसे उतार कर कहीं अलग रख दें, या धूप में डाल दें। वैसे कोशिश करें कि सर्दियों में बाहर नहीं निकलें।

फ्रिज का खाना न खायें

सर्दियों में खान-पान पर विशेष ध्यान देने को लेकर डॉ वार्ष्णेय ने कहा कि घर का बना खाना ही खायें, लेकिन ध्‍यान रहे खाना फ्र‍िज का रखा या बहुत अधिक ठंडा नहीं हो। अगर फ्र‍िज से कुछ निकाल कर कुछ खाना है, तो उसे थोड़ी देर के लिए बाहर रख दें, जब तापमान सामान्य हो जाए तभी खायें। अगर किसी चीज से आपको एलर्जी है, तो उसे तो कतई मत खायें।

11:03 AM : COVID-19 Updates

10:44 AM : Decline in the active cases

9:12 AM : Anti-ship missile (AShM)

9:05 AM : India's cumulative Positivity Rate

8:50 AM : कोरोना से 11 लाख मौतें

8:45 AM : अमेरिकी चुनाव

जो बाइडेन पर हमला करते हुए ट्रंप ने कहा कि हम अपने राष्ट्र को बंद नहीं कर सकते, 99.9% लोग ठीक हो गए; राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा कि हमारे पास कोरोना वायरस का एक टीका आने वाला है, जैसे ही वैक्सीन आती है हम उसके वितरण के लिए तैयार हैं, जो बिडेन के पास कोई योजना नहीं

22 October 2020

5:01 PM : कोविड-19

कोविड-19 : महंगी पड़ सकती है लापरवाही और बेफिक्री

(627 words)

दुनियाभर में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा चार करोड़ को पार कर चुका है। दूसरी ओर राहत की खबर यह सामने आई कि भारत में कोरोना संक्रमण का पहला दौर बीत चुका है और बीते तीन सप्ताह के दौरान कोरोना के नए मामलों और इससे होने वाली मौतों में कमी आई है। स्वस्थ होने वालों की दर बढ़कर 88.03 फीसदी हो गई है और देश में सक्रिय मरीजों की संख्या अब 8 लाख से कम है। हालांकि कुछ विशेषज्ञ कहते रहे हैं कि कोरोना का असली प्रभाव आना बाकी है और अब नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने सर्दियों में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आने की बात कहकर विशेषज्ञों की इस आशंका की पुष्टि भी कर दी है।

दरअसल महामारी की पहली लहर थमने के बाद यूरोप में कोरोना संक्रमण फिर से बढ़ गया है, जहां अबतक 63 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और दुनिया के हर 100 संक्रमितों में से 34 व्यक्ति यूरोपीय देशों के ही हैं। ब्रिटेन में सर्दी शुरू होते ही 40 फीसदी मामले बढ़ गए हैं। यही वजह है कि कोरोना से निपटने के प्रयासों के लिए बने विशेषज्ञ पैनल के प्रमुख वीके पॉल भारत में भी सर्दियों में संक्रमण की दूसरी लहर आने की आशंका जताते हुए कह रहे हैं कि देश बेहतर स्थिति में है लेकिन अभी हमें लंबा रास्ता तय करना है।

त्योहार का सीजन शुरू हुआ भारत में

भारत में त्योहारी सीजन की शुरुआत हो चुकी है। जिस प्रकार देशभर में कोरोना को लेकर लापरवाही और बेफिक्री का माहौल देखा जा रहा है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को त्योहारी मौसम में लोगों से वायरस के प्रति लापरवाही न बरतने की अपील करने के लिए राष्ट्र को सम्बोधित करना पड़ा। उनका सीधा और स्पष्ट संदेश था कि जबतक दवाई नहीं, तबतक ढिलाई नहीं। देशवासियों को चेताते हुए उन्होंने कहा कि सावधानी का परिचय न देने के वैसे ही खतरनाक परिणाम हो सकते हैं, जैसे कई यूरोपीय देशों और अमेरिका में देखने को मिल रहे हैं, जहां कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने सिर उठा लिया है और इसीलिए प्रतिबंधात्मक उपाय वहां फिर से लागू करने पड़ रहे हैं।

कोरोना को लेकर प्रधानमंत्री को एकबार फिर जनता को इसीलिए सचेत करने के लिए सामने आना पड़ा क्योंकि विभिन्न सरकारी एजेंसियां चेतावनियां दे रही हैं कि अगर पूरी एहतियात नहीं बरती गई तो कोरोना की दूसरी लहर सर्दियों में आ सकती है, जो पहली लहर से ज्यादा भयावह होगी।

प्रधानमंत्री ने अपने 12 मिनट के सम्बोधन में लोगों को भीड़ से बचने और दो गज की दूरी अपनाने की हिदायतें दोहरायी लेकिन उनके इस सम्बोधन के बाद सरकारी तंत्र पर कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न भी खड़े हुए हैं। मसलन, क्या कोरोना संक्रमण रोकने के लिए जारी किए जाने वाले तमाम दिशा-निर्देश केवल आम जनता के लिए ही हैं? प्रधानमंत्री को कोरोना प्रोटोकॉल की लगातार धज्जियां उड़ाते रहे राजनीतिक लोगों की जमात के लिए भी कुछ सख्त शब्द बोलने चाहिए थे।

स्वतंत्र टिप्पणीकार योगेश कुमार गोयल का कहना है कि त्योहारी सीजन में जिस प्रकार लोग कोरोना से पूरी तरह बेफिक्र होकर बगैर मास्क के सार्वजनिक स्थानों पर घूमने लगे हैं, वह आने वाले दिनों में वाकई काफी खतरनाक साबित हो सकता है। विशेषज्ञों की तमाम चेतावनियों पर गौर करने के बाद हमें समझ लेना चाहिए कि जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं आ जाती, तबतक कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए मास्क का इस्तेमाल सबसे प्रभावी उपाय है। सर्दियों में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ने की जिस तरह की रिपोर्टें आ रही हैं, ऐसे में बेहद जरूरी है कि हम लापरवाही बरतकर अपने साथ-साथ दूसरों को भी मुश्किल में डालने से परहेज करें क्योंकि यदि हमने सामाजिक दूरी और मास्क पहनने जैसी हिदायतों को दरकिनार किया तो संक्रमण का स्तर काफी ऊपर जा सकता है और हालात बिगड़ सकते हैं।

4:43 PM : सर्दियों में कैसे करें त्वचा की देखभाल

सर्दियों में कैसे करें त्वचा की देखभाल, बता रही हैं सौंदर्य विशेषज्ञ

अक्टूबर के पहले सप्ताह से ही देश के उत्तरी छोर पर स्थित ऊंचे हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं पर सीजन की पहली बर्फबारी रिकॉर्ड की गई है। इस बर्फबारी के बाद पहाड़ों के साथ-साथ मैदानी इलाकों में भी ठण्ड का आगाज हो गया है। वातावरण में अचानक बदलाव से त्वचा, सिर, होठों तथा नाखून बुरी तरह प्रभावित होते हैं। सर्द ऋतु की तेज हवाओं से त्वचा शुष्क तथा पपड़ीदार होने के साथ ही होठों का फटना भी शुरू हो जाता है।

सर्दियों के आरम्भ में मौसम में आर्द्रता की कमी से त्वचा में खिंचाव आना शुरू हो जाता है। जैसे ही वातावरण में आर्द्रता कम होना शुरू होती है वैसे ही शुष्क तथा फोड़े-फुन्सी से ग्रसित त्वचा के लिए परेशानियों का सबब शुरू हो जाता है। ऐसी परिस्‍थ‍ितियों में त्वचा की देखभाल कैसे करें, बता रही हैं लखनऊ की सौंदर्य विशेषज्ञ शहनाज हुसैन।

दरअसल सर्दियों के मौसम में हमारी त्वचा को दोहरी मार झेलनी पड़ती है क्योंकि पहले तो वातावरण में नमी की कमी तथा ठण्डी हवाओं से त्वचा रूखी-सूखी हो जाती है तो दूसरी और ठण्ड की मार से बचने के लिए हम गर्म पानी से नहाते हैं और घर में हॉट एयर कंडीशनर, अंगीठी, हॉट रॉड, हीटर आदि का जमकर प्रयोग करते हैं, जिससे घर के वातावरण में भी नमी की कमी हो जाती है।

यह सभी विद्युत उपकरण हमारे घर के वातावरण और शरीर में नमी की कमी कर देते हैं। इससे हमारी त्वचा सूखकर फटने लगती है। इस सीजन में संवेदनशील त्वचा के लोग ज्यादा प्रभावित होते हैं जिसमें त्वचा से खून बहना शुरू हो जाता है तथा इन्फेक्शन कई नई बीमारियों को दावत देती है। इसीलिए हमें सर्दियों में हमें अपनी त्वचा के प्रति ज्यादा सतर्क और संवेदनशील रहने की जरूरत है।

त्वचा की देखभाल को लेकर शहनाज हुसैन की टिप्‍स इस प्रकार हैं-

> इस मौसम में सबसे ज्यादा जरूरत त्वचा की नमी बनाये रखने की होती है इसलिए दिन में आठ-दस गिलास शुद्ध जल नियमित रूप से पीयें। अपनी दिनचर्या में जूस, सूप, नारियल पानी सहित अनेक द्रव्य पदार्थों का सेवन करें, जिससे शरीर में नमी और आद्रता बनी रहे। इसके लिए आप मौसमी फलों जैसे स्ट्रॉबेरी, ब्लू बेर्री, ब्लैक बेरी, पल्म, सेब, अमरूद आदि को जरूर शामिल कीजिये।

> इस मौसम में त्वचा के अनुकूल वस्त्रों का उपयोग कीजिये। हालाँकि इस मौसम में ऊनी कपड़े पहनने की अनिवर्यता होती है लेकिन ऊनी स्वेटर/ पुल ओवर/ जुराबें आपकी त्वचा में जलन पैदा कर सकती हैं। इसलिए ज्यादातर सूती/ सिल्क के प्राकृतिक फाइबर को प्राथमिकता दें ताकि त्वचा सहज महसूस कर सके।

> घर से बाहर जाते समय हाथों को दस्ताने से कवर कर लें तथा यदि बारिश आदि की वजह से आपके कपड़े /जुराबें/ दस्ताने भीग जाएँ तो इन्हें तत्काल बदल दीजिये अन्यथा आपकी त्वचा में खारिस जलन आदि पैदा हो सकती है।

> फटी तथा शुष्क त्वचा को स्वास्थ्यप्रद बनाने के लिए नहाने से पहले नारियल तेल से मालिश कीजिये। नहाने के लगभग आधा घण्टा तक घर पर ही सामान्य वातावरण में रहें। अपने नहाने के पानी की बाल्टी में कुछ बूंदें ऑलिव ऑयल, कोकोनट ऑयल, आलमंड ऑयल डाल लें इससे नहाती बार आपकी त्वचा से कम हुई नमी को शरीर में बरकरार रखने में मदद मिलेगी।

> अगर आप नहाने से पहले शरीर में ऑलिव ऑयल, कोकोनट ऑयल के गर्म तेल या दूध से शरीर की मालिश करें, ज्यादा गर्म पानी से नहाने से परहेज करें तथा नहाने की अवधि को कम करें तो त्वचा की नमी बनाये रखने में मदद मिलेगी।

> सर्दियों में सही खानपान त्वचा की सेहत में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इस मौसम में तेल नमी को बरकरार रख सकते हैं। अपनी डाइट में ऑलिव ऑयल, कोकोनट ऑयल, आलमंड ऑयल, अवोकेडो ऑयल आदि को शामिल कीजिये। इससे आपके शरीर के आंतरिक भाग को स्वास्थ्यवर्धक बनाकर त्वचा की लालिमा और आकर्षण को प्राकृतिक तौर पर बरकरार रखा जा सकेगा।

> अपनी त्वचा को ठण्डी /बर्फीली हवाओं से बचाने के लिए हमेशा ढंक कर रखें। अल्कोहल युक्त सौन्दर्य प्रसाधनों के उपयोग से बचें। नहाने तथा अन्य दैनिक कार्यों में केमिकल युक्त साबुन की बजाय हल्के फेसवॉश का प्रयोग करें तथा अपने पैरों, हाथों, होंठों को मुलायम रखने के लिए त्वचा के अनुकूल सौन्दर्य प्रसाधनों/ क्रीम का उपयोग करें।

> सर्द मौसम के शुरुआती दिनों में त्वचा को क्रीम, माइस्चराईजर, फलों, पेय पदार्थो तथा उचित पोषाहार के माध्यम से नमी तथा आर्द्रता प्रदान की जानी चाहिए।

> अगर आप अपनी रसोई तथा किचन गार्डन से कुछ पदार्थों का सही उपयोग करें तो त्वचा से सम्बन्धित सभी परेशानियों को प्राकृतिक तरीके से आसानी से उपचार किया जा सकता है। सर्दियों में सामान्य तथा शुष्क त्वचा को सुबह तथा रात्रि में क्लीजिंग क्रीम तथा जैल से सामान्य पानी से धोना चाहिए। इस मौसम में त्वचा की आर्द्रता वातावरण में मिल जाती है तथा त्वचा को खोई हुई आर्द्रता को प्रदान करना अत्यधिक आवश्यक होता है।

> त्वचा में आर्द्रता तथा नमी की लगातार कमी से त्वचा में रूखापन, पपड़ी, खुरदरापन तथा लालगी आनी शुरू हो जाती है। रात्रि में त्वचा से मेकअप तथा प्रदूषण की वजह से नमी गन्दगी को हटाने के लिए त्वचा की क्लींजिंग अत्यधिक जरूरी हो जाती है। त्वचा पर क्लींजर की मदद से हल्के से मालिश कीजिए तथा गीली कॉटन वूल से साफ कर दीजिए।

> गीली कॉटन वूल त्वचा से किसी भी प्रकार की नमी को नहीं सोखती जिसकी वजह से त्वचा में शुष्कता को रोकने में मदद मिलती है। सुबह त्वचा की क्लीजिंग के बाद त्वचा को गुलाब जल आधारित स्किन टाॅनिक या गुलाब जल से कॉटन वूल की मदद से टोन कीजिए। टोनिंग की वजह से त्वचा में रक्त संचार बढ़ता है।

> सर्दियों के मौसम में दिन के समय त्वचा को धूप की किरणों से बचाने के लिए सनस्क्रीन का उपयोग कीजिए। सूर्य की तपिश की वजह से त्वचा में नमी में कमी आ जाती है।

> अधिकतर सनस्क्रीन में माईस्चराईजर विद्यमान होते हैं। माइस्चराईजर क्रीम तरल पदार्थ के रूप में उपलब्ध होते हैं। तरल माइस्चराईजर को फाउंडेशन लगाने से पहले प्रयोग करना चाहिए। जब भी त्वचा में रूखापन बढ़ना शुरू होता है तभी त्वचा पर द्रव्य माईस्चराईजर का प्रयोग कीजिए।

> रात्रि को त्वचा को नाईटक्रीम से पोषित करना चाहिए। त्वचा पर नाईटक्रीम लगाने से त्वचा चिकनी तथा मुलायम हो जाती है। जिससे त्वचा में नमी बनी रहती है। त्वचा की क्लींजिंग के बाद त्वचा पर पोषक क्रीम लगाकर त्वचा के ऊपरी तथा निचले हिस्से में अच्छी तरह मालिश करनी चाहिए तथा इसके बाद क्रीम को गीली कॉटन वूल से साफ करना चाहिए।

> आंखों की बाहरी त्वचा के इर्द-गिर्द क्रीम लगाकर 10 मिनट बाद इसे गीले कॉटन वूल से धो डालना चाहिए। अक्सर तैलीय त्वचा को सतही तौर पर रूखेपन की समस्या से रूबरू होना पड़ता है।

> तैलीय त्वचा साफ करने के तुरन्त बाद रूखी बन जाती है। लेकिन अगर इस त्वचा पर क्रीम या माइस्चराईजर की मालिश की जाए तो फोड़े, फुन्सियां आदि उभर आती है।

> सामान्य त्वचा को मुलायम तथा कोमल बनाने के लिए प्रतिदिन दस मिनट चेहरे पर शहद लगाकर इसे साफ एवं ताजे पानी से धो डालिए। शुष्क त्वचा के लिए शहद में अण्डे का पीला भाग या एक चम्मच शुद्ध नारियल तेल डालकर त्वचा को मालिश कीजिए। तैलीय त्वचा के लिए शहद में अण्डे का सफेद हिस्सा तथा कुछ बूंदे नींबू जूस डालकर त्वचा की मालिश कीजिए।

> सेब के छिल्के तथा गूदे वाले भाग को बलेंडर में पूरी तरह पीस कर लेप बना लीजिए। इसे 15 मिनट तक चेहरे पर फेश मास्क की तरह लगाइए तथा इसके बाद ताजे ठण्डे पानी से धो डालिए। यह सभी प्रकार की त्वचा के लिए अत्याधिक प्रभावी स्किन टोनर साबित होता है।

> धृतकुमारी सबसे प्रभावकारी माइस्चराईजर है। प्रतिदिन चेहरे पर ऐलोवेरा जेल लगाकर चेहरे को 20 मिनट बाद ताजे साफ पानी से धो डालिए। यदि आपके घर आंगन में धृतकुमारी का पौधा उगा है तो आप पौधे से सीधे जैल या जूस चेहरे पर लगा सकते हैं। एलोवेरा जैल पत्तियों के बाहरी भाग के बिल्कुल नीचे विद्यमान रहता है। यदि आप इसे अपने आंगन से सीधा प्रयोग में ला रहे हैं तो पौधे को साफ करना कतई न भूलें।

(ह‍िन्दुस्थान समाचार)

8:27 AM : India continues to report one of the lowest cases/million population

8:19 AM : Vande Bharat Mission

8:08 AM : चीन बॉर्डर पर शस्त्र पूजन

विजयदशमी पर चीन बॉर्डर पर शस्त्र पूजन करेंगे रक्षा मंत्री

इस साल विजयदशमी के शुभ अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चीन सीमा पर तैनात सैनिकों के साथ दशहरा मनाएंगे। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ही वे शस्त्र पूजन भी करेंगे। रक्षा मंत्री 23-24 अक्टूबर को सिक्किम सेक्टर में एलएसी का दौरा करेंगे। इस दौरान वे सिक्किम सेक्टर में बनाये गए कई रणनीतिक पुलों का उद्घाटन और शुभारंभ भी करेंगे।

रक्षा मंत्री ने पिछले साल वायुसेना के फाइटर पायलटों की टीम के साथ 8 अक्टूबर को पहला राफेल लेने के लिए फ्रांस के बॉर्डेक्स में मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट में गए थे। इसी दिन विजयादशमी पर्व पर उन्होंने फ्रांस में पहला राफेल लड़ाकू विमान हासिल करके उसका शस्त्र पूजन किया था। इस साल शस्त्र पूजन का कार्यक्रम चीन सीमा पर रखा गया है। भारत में कई जगह दशहरा पर्व पर शस्त्रों की पूजा करने का रिवाज है। इसीलिए इस बार इसी दिन चीन से लगी सीमा पर जाकर सैनिकों के साथ शस्त्र पूजन करने का फैसला लिया गया है। चीन सीमा पर दशहरा मनाने का मकसद यहां तैनात सैनिकों का मनोबल बढ़ाना भी है।

रणनीतिक पुलों का होगा उद्घाटन

रक्षा मंत्री 23-24 अक्टूबर को दौरे के समय सिक्किम सेक्टर में बनाये गए कई रणनीतिक पुलों का उद्घाटन और शुभारंभ भी करेंगे। राजनाथ सिंह की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब भारत और चीन के बीच चल रहे गतिरोध को कम करने के लिए सैन्य वार्ता चल रही है। एलएसी पर तीन बार फायरिंग की घटना भी हो चुकी है और गलवान की हिंसक झड़प में दोनों देशों के जवान अपनी जान गंवा चुके हैं। इसलिए अपने दो दिवसीय दौरे में रक्षा मंत्री उन स्थानों पर भी जा सकते हैं, जहां भारत ने चीन की ओर से होने वाली संभावित घुसपैठ की कोशिश को रोकने के लिए बड़ी संख्या में सैनिकों और टैंकों की तैनाती की है।

(हिन्दुस्थान समाचार)

8:00 AM : Aditi Urja Sanch

21 October 2020

6:19 PM : Khadi and Village Industries Commission

6:00 PM : चीन बॉर्डर पर शस्त्र पूजन

विजयदशमी पर चीन बॉर्डर पर शस्त्र पूजन करेंगे रक्षा मंत्री

इस साल विजयदशमी के शुभ अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चीन सीमा पर तैनात सैनिकों के साथ दशहरा मनाएंगे। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ही वे शस्त्र पूजन भी करेंगे। रक्षा मंत्री 23-24 अक्टूबर को सिक्किम सेक्टर में एलएसी का दौरा करेंगे। इस दौरान वे सिक्किम सेक्टर में बनाये गए कई रणनीतिक पुलों का उद्घाटन और शुभारंभ भी करेंगे।

रक्षा मंत्री ने पिछले साल वायुसेना के फाइटर पायलटों की टीम के साथ 8 अक्टूबर को पहला राफेल लेने के लिए फ्रांस के बॉर्डेक्स में मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट में गए थे। इसी दिन विजयादशमी पर्व पर उन्होंने फ्रांस में पहला राफेल लड़ाकू विमान हासिल करके उसका शस्त्र पूजन किया था। इस साल शस्त्र पूजन का कार्यक्रम चीन सीमा पर रखा गया है। भारत में कई जगह दशहरा पर्व पर शस्त्रों की पूजा करने का रिवाज है। इसीलिए इस बार इसी दिन चीन से लगी सीमा पर जाकर सैनिकों के साथ शस्त्र पूजन करने का फैसला लिया गया है। चीन सीमा पर दशहरा मनाने का मकसद यहां तैनात सैनिकों का मनोबल बढ़ाना भी है।

रणनीतिक पुलों का होगा उद्घाटन

रक्षा मंत्री 23-24 अक्टूबर को दौरे के समय सिक्किम सेक्टर में बनाये गए कई रणनीतिक पुलों का उद्घाटन और शुभारंभ भी करेंगे। राजनाथ सिंह की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब भारत और चीन के बीच चल रहे गतिरोध को कम करने के लिए सैन्य वार्ता चल रही है। एलएसी पर तीन बार फायरिंग की घटना भी हो चुकी है और गलवान की हिंसक झड़प में दोनों देशों के जवान अपनी जान गंवा चुके हैं। इसलिए अपने दो दिवसीय दौरे में रक्षा मंत्री उन स्थानों पर भी जा सकते हैं, जहां भारत ने चीन की ओर से होने वाली संभावित घुसपैठ की कोशिश को रोकने के लिए बड़ी संख्या में सैनिकों और टैंकों की तैनाती की है।

5:35 PM : India-ROK Special Strategic Partnership

5:03 PM : Ministry of Jal Shakti

3:00 PM : Watch Live: Cabinet briefing by Union Minister

3:00 PM : Watch Live: Cabinet briefing by Union Minister

2:45 PM : NIMHANS toll free helpline

12:59 PM : COVID-19 Updates:

12:57 PM : COVID-19 Updates:

12:02 PM : गांवों में पर्यटन को बढ़ावा

11:49 AM : NASA’s OSIRIS-REx spacecraft

11:31 AM : India- Sri Lanka: #SLINEX20

11:05 AM : COVID-19 in India

10:46 AM : US Senators group support India's decision

8:28 AM : Police Commemoration Day

7:23 AM : आयुष्‍मान सहकार योजना

ग्रामीण भारत को स्वस्‍थ्‍य बनाने में वरदान सिद्ध होगी आयुष्‍मान सहकार योजना

ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों को बेहतर व उच्च स्तर की स्वास्थ्‍य सेवाएं मुहैया कराने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत अंतर्गत शीर्ष स्वायत्त विकास वित्त संस्थान राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) ने आयुष्‍मान सहकार योजना तैयार की है, जिसका शुभारम्‍भ सोमवार को किया गया।

यह योजना क्या है, और कैसे ग्रामीण भारत को और अधिक स्वस्थ्‍य बनाने का कार्य करेगी, यह जानने के लिए प्रसार भारती ने कुछ विशेषज्ञों से बात की। विशेषज्ञों की राय जानने से पहले एक नज़र इस योजना पर।

क्या है आयुष्मान सहकार योजना

यह योजना विभिन्न आयामों में स्वास्थ्य प्रणालियों को आकार देने के उद्देश्य से स्वास्थ्य में निवेश, स्वास्थ्य सेवाओं के संगठन, प्रौद्योगिकियों तक पहुंच, मानव संसाधन का विकास करने, चिकित्सा बहुलवाद को प्रोत्साहित करने, किसानों को सस्ती स्वास्थ्य देखभाल इत्यादि को सम्मिलित करती है। इसका स्वरूप- अस्पतालों, स्वास्थ्य सेवा, चिकित्सा शिक्षा, नर्सिंग शिक्षा, पैरामेडिकल शिक्षा, स्वास्थ्य बीमा एवं समग्र स्वास्थ्य प्रणालियों जैसे आयुष के साथ व्यापक है । आयुष्मान सहकार योजना सहकारी अस्पतालों को मेडिकल/ आयुष शिक्षा में भी वित्त पोषण करेगी।

आयुष्मान सहकार में अस्पताल के निर्माण, आधुनिकीकरण, विस्तार, मरम्मत, नवीकरण, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के बुनियादी ढांचे के साथ निम्न को सम्मिलित किया गया है। इसके अंतर्गत अस्पताल और / या मेडिकल कॉलेज, आयुष, दंत चिकित्सा, नर्सिंग, फार्मेसी, पैरामेडिकल, फिजियोथेरेपी आदि के कॉलेजों में स्नातक या स्नातकोत्तर कार्यक्रम चलाने जाएंगे।

इसके तहत देश भर में योग कल्याण केंद्र, आयुर्वेद, एलोपैथी, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी अन्य पारंपरिक चिकित्सा स्वास्थ्य केंद्र, आपातकालीन चिकित्सा सेवाएँ और आघात केंद्र, फिजियोथेरेपी सेंटर, मोबाइल क्लिनिक सेवाएँ, हेल्थ क्लब और जिम, डेंटल केयर सेंटर, नेत्र देखभाल केंद्र, प्रयोगशाला सेवाएं, ब्लड बैंक, पंचकर्म/थोक्कनम/ क्षार सूत्र चिकित्सा केंद्र,आदि स्थापित किए जाएंगे।

साथ ही बुजुर्गों, विकलांग व्यक्तियों के लिए स्वास्थ्य देखभाल के लिए विशेष सेवाएं शुरू होंगी। यही नहीं यूनानी चिकित्सा पद्धति (इलाज बिल तदबीर) की रेजिमेंटल थेरेपी, मातृ एवं शिशु देखभाल सेवाएँ, प्रजनन और बाल स्वास्थ्य सेवाएं, उपलब्‍ध करायी जाएंगी।

10 हजार करोड़ आबंटित

आयुष्‍मान सहकार योजना पर एनसीडीसी के प्रबंध निदेशक संदीप नायक ने कहा, “आयुष्‍मान सहकार फंड बहुत अलग फंड है। इसका मुख्‍य लक्ष्‍य सहकारिता के माध्‍यम से देश भर में हेल्‍थ इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर एवं सविसेस को मजबूत बनाना है। सरकार ने फिलहाल 10 हजार करोड़ रुपए का फंड आबंटित किया है। इस योजना का खास फोकस ग्रामीण क्षेत्रों पर होगा।”

सहकार भारती के नेशनल वाइस प्रेसिडेंट दीनानाथ ठाकुर ने प्रसार भारती से बातचीत में कहा कि सहकारी समितियां तो पूरे देश में फैली हैं। खास तौर से देश के गांवों में आपको समितियां जरूर मिलेंगी। हेल्‍थ सेक्टर की बात करें तो केरल, कर्नाटक और महाराष्‍ट्र ही सहकारी समितियों का बड़ा योगदान है। बाकी राज्यों में सहकारी समितियों ने काम बहुत किए, लेकिन स्वास्थ्‍य क्षेत्र की दिशा में नहीं या फिर बहुत कम।

उन्‍होंने आगे कहा कि यह स्‍वस्‍थ्‍य भारत बनाने में बड़ा योगदान देगी। वो ऐसे कि गांव में रह रहे लोगों को जब कोई बीमारी होती है, तो बहुत देर में पता चल पाता है। इसका मुख्‍य कारण अस्‍पताल जाने में देरी और उनके क्षेत्र में टेस्‍ट‍िंग आदि की सुविधाएं उपलब्‍ध नहीं होना है। हमें यह मानना होगा कि देश में प्राइमरी हेल्‍थ फेसिलिटी बहुत अच्‍छी नहीं है। उसे दुरुस्‍त करने के लिए सहकारिता समितियों के साथ मिलकर काम करेंगे। अगर अब तक की क्षमता की बात करें तो देश भर में इस वक्‍त 52 अस्‍पताल सहकारी समितियां चला रही हैं।

7:14 AM : NASA set to make history

7:07 AM : मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क

20 लाख से अधिक लोगों के लिए रोजगार सृजन करेगा मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को वर्चुअल माध्यम से असम में देश के पहले परिवहन के विभिन्न साधनों वाले मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क का शिलान्यास किया। 693.97 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस पार्क से लोगों को हवाई, सड़क, रेल और जलमार्ग से सम्पर्क की सीधी कनेक्टिविटी की सुविधा मिलेगी। इसे भारत सरकार की महत्वाकांक्षी भारत माला परियोजना के तहत विकसित किया जाएगा।

190 एकड़ में फैला होगा लॉजिस्टिक्स पार्क

भारतमाला परियोजना के अंतर्गत देश का पहला मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क असम में बन रहा है। परियोजना की कुल लागत लगभग 693.97 करोड़ रुपये होगी। जोगीघोपा शहर के नजदीक 190 एकड़ में फैला लॉजिस्टिक्स पार्क की राष्ट्रीय राजमार्ग 17 और 31, मुख्य रेल मार्ग, जलमार्ग तथा गुवाहाटी एयरपोर्ट से सीधी कनेक्टिविटी होगी।

बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और म्यांमार के साथ बढ़ेगा व्यापार

पूर्वोत्तर के त्वरित विकास को समर्पित भारत सरकार के इस प्रोजेक्ट से अब असम में अंतरराष्ट्रीय व्यापार की राह सुगम होगी। असम पूर्वोत्तर भारत का बिजनेस हब बनेगा। बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और म्यांमार के साथ व्यापार बढ़ेगा। 20 लाख से ज्यादा रोजगार और स्वरोजगार का सृजन होगा। इस पार्क के बनने से सामान का स्टोरेज व ढुलाई आसान होगी। साथ ही परिवहन लागत में 10 प्रतिशत से अधिक की कमी आएगी।

प्रतिवर्ष 13 मिलियन मिट्रिक टन कार्गो संचालन की क्षमता होगी

यह मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क विश्वस्तरीय सुविधाओं से सुसज्जित होगा। 13 मिलियन मिट्रिक टन तक प्रतिवर्ष कार्गो संचालन की क्षमता होगी। इंटीग्रेटेड कोल्ड चेन में अधिक मात्रा में भंडारण की सुविधा होगी। अत्याधुनिक सुरक्षा उपकरणों से लैस होगा।

स्थानीय एवं क्षेत्री स्तर पर उत्पादों की मार्किटिंग करना आसान होगा और इससे व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। कार्गो, वेयरहाउसिंग, कस्टम क्लीयरेंस, पार्किंग एवं रख-रखाव से संबंधित सेवाएं एक ही जगह पर उपलबध होंगी। सभी मौसम के अनुकूल भंडारण की सुविधा उपलब्ध होगी। कंपनियों के कंटेनर्स के लिए सुरक्षित व ज्यादा स्थान उपलब्ध होगा।

पहले चरण का काम नवंबर 2020 से

केंद्रीय मत्री गडकरी ने कहा कि मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क के निर्माण से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 20 लाख से अधिक रोजगार और स्वरोजगार के अवसर पैदा होंगे।

उन्होंने कहा कि लॉजिस्टिक पार्क के निर्माण का काम दो चरणों में होगा। पहले चरण का काम नवंबर 2020 से शुरू हो जाएगा और 2023 में पूरा होगा। उन्होंने परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण सहित तमाम कार्यों की गति बढ़ाने के लिए राज्य सरकार से आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ब्रह्मपुत्र एक्सप्रेस हाईवे योजना पर विचार किया जा रहा है। इस योजना से गांवों को बाढ़ से बचाया जा सकता है। गडकरी ने कहा कि देश में 35 मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क बना रहे हैं।

7:00 AM : मालाबार अभ्यास

19 October 2020

1:59 PM : NCDC Ayushman Sahakar Fund

1:10 PM : COVID-19 UPDATES

1:10 PM : COVID-19 UPDATES

11:16 AM : Convocation of University of Mysore

9:31 AM : Birds Connect Our World

9:12 AM : बदली आर्थिक तस्वीर

यूपी में फार्मर फर्स्ट परियोजना से जुड़े हल्दी किसानों की बदली आर्थिक तस्वीर

कोरोना महामारी के दौरान, अधिकांश किसान कृषि उपज से अच्छा लाभ नहीं कमा सके। लेकिन, केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान से फार्मर फर्स्ट परियोजना के अन्तर्गत जुड़े हल्दी किसानों की कहानी पूरी तरह से अलग है। कोरोना के कारण, कच्ची हल्दी की मांग बढ़ रही है और इसकी कीमत 50 रुपये से 60 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ गई है, जबकि पिछले साल किसानों ने इसी हल्दी को 15-20 रुपये प्रति किलोग्राम बेचा था।

आम के बागों में हल्दी-जिमीकंद की जैविक खेती को बनाया लोकप्रिय

फार्मर फर्स्ट प्रोजेक्ट (एफएफपी) के तहत किसानों की आय को दोगुना करने के लिए आम के बागों में पेड़ों के बीच में उपलब्ध जमीन पर अशरफ अली खेती करके आय बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। एफएफपी के तहत आम के बागों में हल्दी और जिमीकंद की जैविक खेती को लोकप्रिय बनाया गया। तीन साल पहले, मलिहाबाद के मोहम्मदनगर तालुकेदार और नबीपनाह गांवों के 20 किसानों को हल्दी किस्म, नरेंद्र देव हल्दी-2 के बीज उपलब्ध कराए गए थे। किसानों ने सफलतापूर्वक प्रति एकड़ 40-45 क्विंटल हल्दी का उत्पादन किया।

जानवरों से नहीं पहुंचता नुकसान, पौष्टिक तत्वों से भरपूर है गोल्डन केसर

दिलचस्प तथ्य यह है कि इसकी पत्तियों को जानवरों द्वारा क्षति नहीं होती है, इसलिए फसल मवेशी, नीलगाय, बंदर आदि से सुरक्षित है। मुख्य अन्वेषक डॉ. मनीष मिश्रा के मुताबिक हल्दी को भारतीय गोल्डन केसर के नाम से जाना जाता है जो पौष्टिक तत्वों से भरपूर है।

एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी बायोटिक और एंटी वायरल गुणों के कारण कोरोना काल ने कच्ची हल्दी को अधिक महत्वपूर्ण बना दिया। नरेंद्र देव हल्दी-2 में करक्यूमिन की 5 प्रतिशत मात्रा होती है, जो शरीर से फ्री रेडिकल्स को हटाकर कई बीमारियों से बचाता है। सर्दी-खांसी, श्वास-संबंधी रोग, ऊपरी श्वसन पथ के संक्रमण या संबंधित रोगों, वायरल बुखार जैसी कई समस्याओं से हल्दी के प्रयोग द्वारा बचा जा सकता है। आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी की गई सलाह में कहा गया है कि कोरोना के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए हल्दी वाले दूध (स्वर्ण दूध) का सेवन दिन में कम से कम एक या दो बार करें।

हल्दी के उन्नत बीज विकसित कर रहे ग्रामीण

संस्थान के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र राजन ने बताया कि बदलती परिस्थितियों में किसानों ने उन्नत किस्म के बीज गांव का विकास किया है। आज, 50 से अधिक किसानों ने आम के बागों में इस फसल को अन्तः फसल के रूप में अपनाया है और गांव को बीज गांव में बदल दिया है। हल्दी के उन्नत बीज की मांग लखनऊ और अन्य जिलों से है। मलीहाबाद के किसान अन्य किसानों को बीज बेचकर अपनी आय बढ़ा रहे हैं और साथ ही साथ अन्य किसानों की आय भी बढ़ाने में सहायता कर रहे हैं।

हल्दी प्रसंस्करण की नयी विधि का प्रशिक्षण किया हासिल

संस्थान ने पिछले वर्ष किसानों को हल्दी प्रसंस्करण की नयी विधि का प्रशिक्षण दिया जिसमें हल्दी के कंदो को बिना उबाले, चिप्स बनाकर, फिर इसे सुखाकर पीस कर उत्तम किस्म का हल्दी पाउडर बनाया गया। इस गांव के किसान राम किशोर मौर्य बताते हैं कि अब उन्होंने हल्दी चिप्स बनाने और सुखाने में महारत हासिल कर ली है और अब हल्दी पाउडर पैक कर के बेचते हैं। संस्थान ने किसानों को संगठित करके स्वयं सहायता समूह बनाकर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य कर रही है, संस्थान द्वारा प्रशिक्षित किसान हल्दी पाउडर का आकर्षक पैकिंग करके अच्छा लाभ कमाने के साथ ही साथ अन्य किसानों को समूह में जोड़कर आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में मदद करेंगे।

कच्ची हल्दी की बढ़ रही है मांग

हममें से ज्यादातर लोग रोजाना खाना पकाने में सूखी हल्दी पाउडर का उपयोग करने के अभ्यस्त हैं। धीरे-धीरे लोग कच्ची हल्दी के लाभ को समझ गए हैं। कच्ची हल्दी की मांग बढ़ रही है क्योंकि गृहिणियां सूखे पाउडर हल्दी के स्थान पर इसे पसंद कर रही हैं। सब्जी की दुकान पर अब आप कच्ची हल्दी भी प्राप्त कर सकते हैं। यह नया चलन मूल्य श्रृंखला में एक बदलाव है जो अंततः किसान को लाभान्वित करता है क्योंकि उसे पाउडर बनाने के लिए हल्दी को संसाधित नहीं करना पड़ता। प्रसंस्करण में अतिरिक्त लागत शामिल होती है और अंतिम उत्पाद (सूखी हल्दी) भी कम मात्रा में प्राप्त होती है। इसलिए किसान अपनी कच्ची हल्दी को आकर्षक कीमत पर बेचने में अधिक प्रसन्न हैं।

(हिन्दुस्थान समाचार)

9:00 AM : 8th annual joint exercise

18 October 2020

4:32 PM : एम्स निर्माण